RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) 2025 में 4.3% बढ़ा: हर क्षेत्र में दर्ज की गई प्रगति

RBI FI-Index 2025: जानिए कैसे बढ़ी बैंकिंग पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता; वित्तीय समावेशन में आई 4.3% की मजबूती

Sonal Girhepunje
Published on: 22 July 2025 6:14 PM IST
RBI FI-Index 2025
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RBI FI-Index 2025 (Photo - Social Media)

RBI FI-Index 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI Index) मार्च 2025 में बढ़कर 67 पर पहुंच गया है जबकि मार्च 2024 में यह 64.2 था। यानी एक साल में इसमें 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि देश में वित्तीय सेवाओं की बेहतर पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता में व्यापक सुधार को दर्शाती है। RBI ने बताया कि यह प्रगति FI Index के सभी प्रमुख उप सूचकांकों जैसे एक्सेस, उपयोग और गुणवत्ता में दर्ज की गई है। यह बदलाव दर्शाता है कि अब अधिक लोग न केवल बैंकिंग सेवाओं से जुड़ रहे हैं बल्कि उन्हें नियमित रूप से उपयोग भी कर रहे हैं। साथ ही, वित्तीय साक्षरता में बढ़ोतरी और डिजिटल माध्यमों का उपयोग बढ़ने से लोगों की सेवाओं के प्रति समझ और भरोसे में भी इजाफा हुआ है।

वित्तीय समावेशन में गुणवत्ता और उपयोग ने निभाई अहम भूमिका :

RBI ने स्पष्ट किया कि वित्तीय समावेशन सूचकांक में जो उछाल आया है, उसका सबसे बड़ा योगदान यूसेज (Usage) और क्वालिटी (Quality) जैसे पहलुओं से है। इसका सीधा मतलब है कि अब लोग सिर्फ बैंक खाते खुलवाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि नियमित रूप से बैंकिंग सेवाओं, बीमा, निवेश और डिजिटल लेन-देन का इस्तेमाल भी करने लगे हैं।

साथ ही, वित्तीय शिक्षा से जुड़ी पहलों ने भी लोगों में जागरूकता बढ़ाई है, जिससे वे ज्यादा समझदारी से वित्तीय सेवाओं का चयन और उपयोग कर पा रहे हैं। यह बदलाव खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में अधिक देखने को मिल रहा है, जहां पहले सेवाओं की पहुंच और समझ दोनों ही सीमित थीं।

FI-Index क्या है और कैसे मापता है समावेशन? :

भारतीय रिज़र्व बैंक ने FI-Index को एक समग्र (comprehensive) सूचकांक के रूप में डिज़ाइन किया है, जो देश में वित्तीय समावेशन की गहराई और गुणवत्ता को मापता है। यह सूचकांक सिर्फ बैंकिंग ही नहीं, बल्कि बीमा, निवेश, डाक सेवाएं, पेंशन योजनाएं और अन्य वित्तीय सेवाओं को भी शामिल करता है।

FI-Index का स्कोर 0 से 100 के बीच होता है, जहाँ:

• 0 = पूरी तरह से वित्तीय बहिष्करण (exclusion)

• 100 = पूर्ण वित्तीय समावेशन (inclusion)

इस सूचकांक में तीन प्रमुख घटकों को शामिल किया गया है:

1. Access (35%) - लोगों तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच

2. Usage (45%) - सेवाओं का वास्तविक इस्तेमाल

3. Quality (20%) - सेवाओं की प्रभावशीलता और उपभोक्ताओं की संतुष्टि

प्रत्येक घटक के अंदर कई संकेतकों को शामिल किया गया है, जिनके आधार पर समग्र स्कोर तय होता है। ये संकेतक सेवा केंद्रों की संख्या, डिजिटल लेन-देन की मात्रा, बीमा और निवेश के आंकड़े, बैंक खाता संचालन की नियमितता आदि हो सकते हैं।

क्यों अहम है FI-Index का बढ़ना? :

FI-Index में 4.3% की यह बढ़त कोई मामूली बात नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि भारत अब सिर्फ बैंक खाते खुलवाने से आगे बढ़कर, वित्तीय रूप से सशक्त बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सरकार और RBI की पहल जैसे जनधन योजना, PM सुरक्षा बीमा योजना, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना, और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग नेटवर्क को मजबूत करना - सभी ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है।

इसके साथ ही, फिनटेक कंपनियों की भागीदारी और डिजिटल भुगतान ऐप्स की आसान उपलब्धता ने लोगों को नकद रहित लेन-देन की ओर प्रेरित किया है। पहले जो सेवाएं केवल शहरों तक सीमित थीं, अब वे गांव-गांव तक पहुंच रही हैं।

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