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Ahmedabad AI Crash: 'जो सवालों के घेरे में, वही कर रहे जांच...' सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी!
Supreme Court on Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को अमदाबाद में हुए एयर इंडिया प्लेन क्रैश हादसे की रिपोर्ट पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान सामने आया है। इस हादसे में 250 से अधिक लोगों को मौत हो गई थी।
Supreme Court on Ahmedabad Plane Crash
Supreme Court on Ahmedabad AI Crash: 12 जून 2025... साल का वो सबसे भयानक दिन... जिसे कभी भूला नहीं जा सकता। एयर इंडिया की फ्लाइन AI-171 बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी ही थी कि कुछ मिनट बाद विमान ऊंचाई खो दी और पास में ही मौजूद BJ मेडिकल कॉलेज की हॉस्टल बिल्डिंग में जा घुसा और क्रैश हो गया था। तब से लेकर अबतक एयर इंडिया की फ्लाइन AI-171 बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर पर लगातार सवाल खड़े हुए। अब इस मामले में आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान सामने आया है।
एयर इंडिया प्लेन क्रैश मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि एयर इंडिया दुर्घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट के 'ईंधन कट-ऑफ' के जिक्र को सुप्रीम कोर्ट ने 'बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण' बताया है। एक रिपोर्ट में 'पायलट द्वारा इंजन का फ्यूल बंद' करने का दावा किया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी किया और साथ ही मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
SC ने स्वतंत्र जांच की मांग की
‘AI 171 क्रैश’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘पायलट की गलती’ वाली थ्योरी को 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए केंद्र सरकार और DGCA (Directorate General of Civil Aviation) से इस हादसे की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर जवाब मांगा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा कि निष्पक्ष जांच की मांग एकदम सही है, लेकिन जांच पूर्ण होने से पहले सभी जानकारी सार्वजनिक करने से समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यदि सीधे कहा गया कि 'पायलट दोषी था', तो पायलट के परिवार को गंभीर र्रोप से नुकसान पहुंचेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो से भी जवाब मांगा है। इस ब्यूरो ने जुलाई महीने में अपनी आरंभिक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें यह सामने आया था कि हादसे में 250 से अधिक लोगों की जान गयी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, कॉकपिट ऑडियो रिकॉर्डिंग में कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर की जो बातचीत हुई थी उसे सुना गया था। इसमें एक पायलट ने पूछा,'तुमने कट ऑफ क्यों किया?' तो दूसरे ने जवाब दिया,'मैंने नहीं किया'। इसी बातचीत के अनुसार पर यह संभावना व्यक्त की गयी कि हादसा पायलट की गलती से हुआ था।
आखिर कैसे ये मामला पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट ?
एविएशन सेफ्टी से सम्बंधित NGO सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी। उनका आरोप है कि AI प्लेन क्रैश हादसे की शुरूआती रिपोर्ट कई बड़ी जानकारियां छुपाने का प्रयास कर रही हैं और इससे लोगों के जीवन, समानता और सही जानकारी पाने के अधिकार का उल्लंघन होता है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि रिपोर्ट के अंदर सिस्टम की गलतियों को भी सीधेतौर पर अनदेखा किया गया है। NGO ने कहा कि जल्दबादी में पायलट को ही दोषी ठहराने का भी प्रयास किया गया है।
'जिनपर सवाल खड़े हो रहे, वही कर रहे हैं जांच'
याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि प्लेन क्रैश हादसे को लगभग 100 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक केवल प्राथमिक रिपोर्ट ही सामने आई है। इसमें यह उजागर नहीं किया गया है कि असल में क्या हुआ और आगे क्या-क्या सतर्कता बरतनी चाहिए। वकील ने यह भी कहा कि हादसे की जांच के लिए बनी 5 सदस्यीय टीम में से 3 लोग DGCA (एविएशन रेगुलेटर) के ही कार्यकारी हैं। यानी जिस संगठन पर सवाल खड़े किया जा रहे हैं, वही जांच भी कर रहा हैं यानि यह स्पष्ट तौर पर हितों का टकराव है।
कभी न भूला दिया जाने वाला हादसा
बता दे, इस विमान हादसे में तकरीबन 242 यात्री सवार थे। इन्हीं में 12 क्रू मेंबर्स भी शामिल थे, दुर्भाग्य से इस हादसे में सभी यात्रियों ने जान गंवा दी। केवल एक यात्री सुरक्षित बचा था, जो ब्रिटेन का रहने वाला था। दावा है कि सुरक्षित बचने वाला शख्स इमरजेंसी विंडो के पास ही बैठा था। इसके अलावा जिस हॉस्टल पर विमान गिरा था उसके कुछ छात्र सहित जमीन पर मौजूद 19 लोगों ने की भी इस हादसे में मौत हो गयी थी।
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