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शवों के 'टुकड़े' तो मिले, रिश्तों की कहानी बिखर गई! प्लेन हादसे के पीछे छिपा 19 लाशों के दर्द का समंदर

Air India Plane Crash: अंतिम विदाई इस बात की गवाही देती है कि इंसानी रिश्तों की डोर मौत के बाद भी जुड़ी रहती है...

Snigdha Singh
Published on: 9 July 2025 12:24 PM IST
शवों के टुकड़े तो मिले, रिश्तों की कहानी बिखर गई! प्लेन हादसे के पीछे छिपा 19 लाशों के दर्द का समंदर
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Air India Plane Crash: 12 जून को देश ने अपने इतिहास का एक बेहद दर्दनाक दिन देखा, जब एक विमान हादसे में 270 से अधिक लोगों की जान चली गई। यह हादसा न केवल एक तकनीकी विफलता था, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों के सपनों और रिश्तों का अंत भी साबित हुआ जो अपनों की सलामती की उम्मीद में प्रार्थना कर रहे थे।

हादसे के बाद सबसे बड़ा इंतजार था अपनों के पार्थिव शरीरों का जो कई घंटों की प्रक्रिया, डीएनए परीक्षण और प्रशासनिक कार्यवाही के बाद परिजनों को सौंपे गए। लेकिन कुछ अवशेष घटनास्थल पर ही छूट गए थे। इन बचे हुए हिस्सों को जब गुजरात सरकार ने बरामद किया, तो यह कहानी एक नई जिम्मेदारी और करुणा की मिसाल बन गई।

सरकार ने निभाई एक पारिवारिक भूमिका

अहमदाबाद प्रशासन ने घटनास्थल का गहन सर्वेक्षण कर जब अवशेषों को इकट्ठा किया और डीएनए परीक्षण से उनकी पहचान सुनिश्चित की तो यह सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं थी यह उन लोगों के लिए न्याय था, जिनका वजूद अब सिर्फ यादों में बचा था। सरकार ने न केवल परिजनों से संपर्क किया, बल्कि उनसे भावनात्मक सहमति लेने के बाद ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आगे बढ़ाई। डॉक्टरों, फोरेंसिक विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में पूरे सम्मान के साथ इन अवशेषों का अंतिम संस्कार किया गया यह प्रक्रिया दिखाती है कि मृत्यु के बाद भी इंसान की गरिमा बनी रहनी चाहिए।

धर्म और संस्कृति को मिला मान

प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि मृतकों के धार्मिक विश्वासों का पूरा सम्मान किया जाए। 19 में से 18 मृतकों के अवशेषों का हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया, जबकि एक मुस्लिम मृतक के अवशेषों को इस्लामिक परंपरा के अनुसार दफनाया गया। यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता का प्रतीक था बल्कि भारत की विविधता और आपसी सम्मान की भी झलक थी।

एक अंतिम स्पर्श...

जब परिवारों ने अपने प्रियजनों के अवशेषों को हाथों में लिया, तब वह केवल हड्डियों का टुकड़ा नहीं था वह किसी की मां की ममता, किसी की बेटी की मुस्कान, किसी पिता की उम्मीद या किसी भाई का सहारा था। यह अंतिम विदाई इस बात की गवाही देती है कि इंसानी रिश्तों की डोर मौत के बाद भी जुड़ी रहती है।

यह रिपोर्ट केवल एक हादसे की नहीं है यह उन असंख्य रिश्तों की कहानी है, जिन्हें समय, विज्ञान और सरकार ने मिलकर अंतिम सम्मान दिया। एक त्रासदी के बाद की यह मानवीय कोशिश हमें यह याद दिलाती है कि संवेदना और गरिमा हमेशा सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है।

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Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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