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International Day of Action for Women's Health: महिलाएं ध्यान दें! घंटों बैठने की आदत से हो रही हैं खतरनाक बीमारियां, जानिए बचाव के उपाय

International Day of Action for Women's Health: 'अंतरराष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस' हर साल विश्वभर में महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और बीमारियों से बचाव के लिए मनाया जाता है। मुंबई के Alyve Health की न्यूट्रिशनिस्ट और योगा एक्सपर्ट तान्या खन्ना के मुताबिक, निष्क्रिय जीवनशैली से महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ रहा है।

Priya Singh Bisen
Published on: 28 May 2025 3:41 PM IST
International Day of Action for Womens Health
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International Day of Action for Women's Health (photo: social media)

International Day of Action for Women's Health: 'अंतरराष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस' हर साल विश्वभर में महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और बीमारियों से बचाव के लिए मनाया जाता है। लेकिन आज की बदलती जीवनशैली और आरामदायक तकनीकों के दौर में सभी महिलाएं अपने स्वास्थ्य को पूर्ण रूप से नज़रअंदाज़ कर रही हैं। खासतौर पर सेडेंटरी लाइफस्टाइल (inactive lifestyle) महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रही है, जिस कारण वे बहुत कम उम्र में ही कई बीमारियों से ग्रसित होते जा रही हैं।


मुंबई के Alyve Health की न्यूट्रिशनिस्ट और योगा एक्सपर्ट तान्या खन्ना के मुताबिक, निष्क्रिय जीवनशैली से महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ रहा है।

सेडेंटरी लाइफस्टाइल से जुड़ी प्रमुख समस्याएं

1. हार्मोनल असंतुलन और पीरियड संबंधी दिक्कतें: शरीर में चयापचय (metabolism) कम होने के कारण हार्मोन गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं जिससे हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। इससे अनियमित मासिक धर्म (menstruation), पीसीओएस (PCOS), थायरॉइड की दिक्कतें और मूड स्विंग्स हो सकते हैं।

2. थकावट और ऊर्जा की भारी कमी: लंबे समय तक बैठने से ब्लड सर्कुलेशन गंभीर रूप से प्रभावित होता है, जिस कारण शरीर सुस्त और थका हुआ महसूस करता है। इससे महिलाओं की रोजाना कार्य करने की क्षमता घट जाती है।

3. ज्यादा वज़न और मेटाबोलिक डिसऑर्डर: कैलोरी बर्न न होने के कारण शरीर का वज़न तेजी से बढ़ने लगता है, जिससे डायबिटीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है


4. हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी: शरीर की नियमित एक्टिविटी की कम होने के कारण हड्डियों की मजबूती घटने लगती है और ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है।

5. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: शरीर में कोई नियमित रूप से एक्टिविटी ना होने के कारण डिप्रेशन, चिंता और आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।

6. नींद की कमी: शारीरिक गतिविधि में कमी से मेलाटोनिन हार्मोन (melatonin hormone) गंभीर रूप से प्रभावित होता है, जिससे नींद की गुणवत्ता घट जाती है।

7. प्रजनन क्षमता पर प्रभाव: लंबे समय तक नियमित रूप से सक्रिय न रहने वाली महिलाओं में फर्टिलिटी हार्मोन (fertility hormone) असंतुलन पैदा कर सकता है, जिस कारण गर्भधारण में दिक्कतें पैदा हो सकती है।

खुद को स्वस्थ रखने के असरदार तरीके:


- प्रतिदिन लगभग 30 मिनट तक पैदल चलने की आदत डालें और या योग अवश्य करें।

- हर एक घंटे में 5 मिनट ज़रूर टहलें।

- ऑफिस में हर एक घंटे में डेस्क एक्सरसाइज़ या स्ट्रेचिंग अवश्य करें।

- डांस, घरेलू काम और ज्यादा से ज्यादा सीढ़ियों का प्रयोग करें।

- मानसिक स्वास्थ्य के लिए रोजाना मेडिटेशन, प्राणायाम और पूरी नींद को प्राथमिकता दें।

महिलाओं का स्वास्थ्य सिर्फ उनके शरीर की नहीं बल्कि पूरे परिवार के स्वास्थ्य की नींव होती है। ऐसे में महिलाओं का नियमित रूप से सक्रिय रहना न केवल उन्हें बीमारियों से दूर रखता है बल्कि उनके जीवन में ऊर्जा, आत्मबल और सकारात्मकता भी बनाए रखता है।

Disclaimer: यह लेख सिर्फ साधारण जानकारी के लिए है। किसी भी डाइट या फिटनेस प्रोग्राम में शामिल होने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सम्पर्क अवश्य करें।

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Priya Singh Bisen

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Content Writer

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