भारत में सेप्सिस साइलेंट किलर! केजीएमयू विशेषज्ञ बोले समय पर इलाज से 85 प्रतिशत तक ठीक हो सकते मरीज

World Sepsis Day: विश्व सेप्सिस दिवस के अवसर पर केजीएमयू में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उसमें विशेषज्ञों ने त्वरित पहचान और सही इलाज पर जोर दिया।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 13 Sept 2025 9:50 PM IST
World Sepsis Day 2025
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World Sepsis Day 2025 (Photo: Social Media)

World Sepsis Day: विश्व सेप्सिस दिवस के अवसर पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने किया। इस साल विश्व सेप्सिस दिवस की 5 तथ्य × 5 क्रियाएं" (5 Facts × 5 Actions) थी। जिसका उद्देश्य जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। विशेषज्ञों ने त्वरित पहचान और सही इलाज पर जोर दिया, क्योंकि हर 3 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत सेप्सिस से होती है।

भारत में सेप्सिस गंभीर स्वास्थ्य चुनौती

प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने सेप्सिस से जुड़े कुछ चौंकाने वाले तथ्य साझा किए है। उन्होंने बताया कि विश्व में हर 5 में से 1 मौत सेप्सिस के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल 1.1 करोड़ लोग सेप्सिस से मरते हैं। भारत में सेप्सिस के मामले बहुत ज़्यादा हैं। भारत में सेप्सिस से मृत्यु दर प्रति 100,000 लोगों पर 213 है, जो वैश्विक औसत से अधिक है। हर घंटे एंटीबायोटिक उपचार में देरी से मृत्यु का खतरा 0.4 प्रतिशत से 7 प्रतिशत बढ़ जाता है।

सेप्सिस का कारण, लक्षण और प्रबंधन

विशेषज्ञों ने आगे बताया कि एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि भारत में ICU के आधे से ज़्यादा सेप्सिस से ग्रसित मरीज हैं, जिनमें से 45 प्रतिशत मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया के कारण होते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वेद प्रकाश ने बताया कि सेप्सिस संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया है, जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवियों से संक्रमित हो सकती है। उन्होंने कहा कि समय पर पहचान और प्रोटोकॉल-आधारित इलाज से सेप्सिस से होने वाली बीमारी और मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।

सेप्सिस के मुख्य लक्षण

-तेज बुखार या शरीर का ठंडा होना (हाइपोथर्मिया)

-दिल की धड़कन और सांस का बढ़ना

-मानसिक भ्रम या चेतना में बदलाव

-रक्तचाप का कम होना

-सांस लेने में कठिनाई

-त्वचा पर धब्बे पड़ना

केजीएमयू की सेप्सिस केयर में उत्कृष्टता

डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि सेप्सिस का प्रबंधन करने के लिए तुरंत पहचान व इलाज शुरू करना जरूरी है। इसमें एंटीबायोटिक्स, द्रव (फ्लुइड) प्रबंधन, और अंग समर्थन (ऑर्गन सपोर्ट) शामिल है। केजीएमयू का पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग सेप्सिस के मामलों के प्रबंधन में एक मिसाल बन गया है। विभाग के पास 26 बिस्तरों वाला भारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी ICU है। इस ICU में वेंटिलेटर-संबंधित निमोनिया (VAP) की दर 10 प्रतिशत से कम है, यहां सेप्सिस के लगभग 85 प्रतिशत मरीज ठीक होते हैं।

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