Vitamin D: विटामिन D की कमी चुपचाप छीन रही है आपकी खुशियां, अगली पीढ़ी पर भी पड़ेगा असर

Vitamin D: विटामिन आपकी प्रजनन क्षमता यानी संतान प्राप्ति की संभावना को भी गहराई से प्रभावित करता है? यही नहीं, यह असर सिर्फ एक पीढ़ी तक सीमित नहीं रहता , बल्कि अगली पीढ़ियों की सेहत और जीवन की दिशा भी तय कर सकता है।

Ragini Sinha
Published on: 20 May 2025 3:50 PM IST
Vitamin D
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Vitamin D Silently Harm Fertility and Future Generations (social media)

Vitamin D: अक्सर जब हम विटामिन D की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले हड्डियों की मजबूती आती है। विटामिन D एक फैट में घुलनशील विटामिन है, जो शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस को संतुलित करने में मदद करता है। यह हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए तो जरूरी है ही, साथ ही यह हमारे इम्यून सिस्टम, हार्मोन बैलेंस और प्रजनन क्षमता में भी अहम भूमिका निभाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही विटामिन आपकी प्रजनन क्षमता यानी संतान प्राप्ति की संभावना को भी गहराई से प्रभावित करता है? यही नहीं, यह असर सिर्फ एक पीढ़ी तक सीमित नहीं रहता , बल्कि अगली पीढ़ियों की सेहत और जीवन की दिशा भी तय कर सकता है।

क्या कहती हैं स्पेशलिस्ट डॉक्टर?

डॉ. शिल्पा सिंघल कहती हैं कि जैसे ही हम प्रजनन की बात करते हैं, हम हार्मोनल संतुलन, अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता, भ्रूण का विकास और गर्भाशय की तैयारियों की चर्चा करते हैं। इन सभी में विटामिन D की अहम भूमिका होती है। हमारे शरीर में मौजूद अंडाशय, अंडकोष, प्लेसेंटा और मस्तिष्क के हिस्से जैसे हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि इन सभी में विटामिन D के रिसेप्टर्स पाए जाते हैं। इन अंगों का मुख्य काम प्रजनन हार्मोन का संतुलन बनाए रखना है। जब शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती है, तो यह संतुलन बिगड़ने लगता है, जिससे अंडाणु और शुक्राणु बनने में बाधा आती है, भ्रूण की गुणवत्ता प्रभावित होती है और गर्भाशय में इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया भी मुश्किल हो सकती है।


भारत में विटामिन D की चुपचाप फैलती कमी

भारत में जहां धूप भरपूर है, वहां विटामिन D की कमी की कल्पना करना भी अजीब लगता है, लेकिन सच्चाई यह है कि एक स्टडी के अनुसार, 64% भारतीय महिलाएं विटामिन D की कमी से जूझ रही हैं। यह कमी सबसे ज्यादा उन महिलाओं में देखी जाती है जो PCOS से ग्रसित हैं। PCOS एक ऐसी स्थिति है जिसमें हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, मासिक धर्म अनियमित हो जाता है और गर्भधारण करना मुश्किल होता है, लेकिन शोध बताते हैं कि यदि विटामिन D की पूर्ति की जाए, तो इन महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है, पीरियड नियमित होते हैं, अंडाणु बेहतर बनते हैं और गर्भपात का खतरा भी घटता है।

सिर्फ महिलाओं नहीं पुरुष पर भी होता है असर

यह समझना जरूरी है कि विटामिन D सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, पुरुषों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जब पुरुषों में विटामिन D की कमी होती है, तो उनके शुक्राणुओं की गतिशीलता कम हो जाती है। यानी शुक्राणु अंडाणु तक पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाते। यह संतान प्राप्ति की संभावना को कम कर सकता है। डॉ. सिंघल बताती हैं कि विशेष रूप से उम्रदराज पुरुषों में विटामिन D सप्लीमेंट लेने से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार देखा गया है।


गर्भावस्था में कमी का असर अगली पीढ़ी तक

गर्भवती महिलाओं में विटामिन D की कमी सिर्फ मां की सेहत को नहीं, बल्कि अजन्मे बच्चे की जिंदगी को भी प्रभावित कर सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि 77.4% गर्भवती महिलाएं विटामिन D की कमी से ग्रसित थीं। इन महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना तीन गुना ज्यादा थी। इसके अलावा, विटामिन D की कमी से गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर, समय से पहले डिलीवरी, और कम वजन वाले बच्चे के जन्म जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। इतना ही नहीं, यह भविष्य में बच्चे को टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज, अस्थमा, और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे ऑटिज्म या स्किजोफ्रेनिया का शिकार बना सकता है।

विटामिन D की पूर्ति कैसे करें?

विटामिन D की कमी का सबसे बड़ा कारण है धूप से दूरी। आज के समय में लोग ज्यादातर समय घर या ऑफिस में बिताते हैं, धूप में निकलना कम हो गया है और खानपान में भी विटामिन D पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा।

विटामिन D की पूर्ति के उपाय

  • रोज सुबह की धूप में 15-20 मिनट बिताएं। धूप से शरीर स्वयं विटामिन D बनाता है।
  • अंडे की ज़र्दी, फैटी मछली (जैसे सैल्मन), गाय का दूध, चीज़, दही, और विटामिन D फोर्टिफाइड उत्पाद (जैसे दूध या अनाज) खाएं।
  • यदि खून की जांच में विटामिन D का स्तर कम आता है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें।

लगभग 80% वयस्कों में विटामिन D की कमी देखी जाती है। यह सिर्फ हड्डियों तक सीमित समस्या नहीं है। इसका संबंध संतान प्राप्ति, गर्भावस्था की सफलता और बच्चों की दीर्घकालिक सेहत से भी है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम विटामिन D को केवल 'हड्डी का विटामिन' मानने की सोच से बाहर निकलें और इसे संपूर्ण प्रजनन स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा समझें। मां बनने की प्लानिंग बना रही महिलाएं, पिता बनने की तैयारी कर रहे पुरुषों और गर्भवती महिलाओं के लिए विटामिन D का सही स्तर सुनिश्चित करना न सिर्फ उनकी सेहत, बल्कि अगली पीढ़ी के भविष्य के लिए भी बेहद जरूरी है।

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