What Is Autoimmune diseases:कहीं आप में भी तो नहीं हैं ये संकेत? जानिए ऑटोइम्यून बीमारी क्या है?

What Is Autoimmune diseases: ऑटोइम्यून बीमारियां जटिल होती हैं, लेकिन जागरूकता और समय पर उपचार से इन पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

Shivani Jawanjal
Published on: 15 Oct 2025 2:24 PM IST
What Is Autoimmune diseases:कहीं आप में भी तो नहीं हैं ये संकेत? जानिए ऑटोइम्यून बीमारी क्या है?
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Health News In Hindi: आज की तेज़ और व्यस्त जीवनशैली में लोग अक्सर सही समय पर खाना नहीं खाते, नींद पूरी नहीं लेते और लगातार तनाव में रहते हैं। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) प्रभावित होती है। यह प्रणाली हमारे शरीर को बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक तत्वों से बचाती है। लेकिन ऑटोइम्यून बीमारियों में यह सिस्टम गलती से अपने ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं और अंगों पर हमला करने लगता है। इसके कारण शरीर में सूजन, अंगों की कार्यक्षमता में कमी और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि ऑटोइम्यून बीमारियाँ क्या हैं और यह हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।

ऑटोइम्यून बीमारियां क्या होती हैं?

ऑटोइम्यून बीमारियाँ तब होती हैं जब हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) जो सामान्यत: बैक्टीरिया, वायरस और हानिकारक तत्वों से हमें बचाती है, गलती से अपने ही स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करने लगती है। इसे ऐसे समझ सकते हैं जैसे सुरक्षा की फौज अपने ही नागरिकों पर हमला कर दे। इस गलत प्रतिक्रिया की वजह से शरीर में सूजन (inflammation) होती है और ऊतक (tissues) क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे अलग-अलग प्रकार के लक्षण और स्वास्थ्य समस्याएँ सामने आती हैं।

ऑटोइम्यून बीमारी कैसे होती है?

सामान्य तौर पर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) यह पहचान पाती है कि कौन सी चीज़ें शरीर की हैं (self) और कौन सी बाहरी हानिकारक (non-self)। जब कोई वायरस या बैक्टीरिया शरीर में आता है, तो यह सिस्टम उसे पहचानकर नष्ट कर देता है। लेकिन ऑटोइम्यून बीमारियों में, प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही अंगों या ऊतकों को खतरे में समझने लगती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर एंटीबॉडीज (antibodies) बनाता है जो गलती से स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगते हैं, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं

ऑटोइम्यून बीमारियों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

आनुवंशिकता (Genetics): अगर परिवार में किसी को ऑटोइम्यून बीमारी है, तो अन्य सदस्यों में इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। यह बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चल सकती है।

पर्यावरणीय कारक: प्रदूषण, विषैले रसायन, धूम्रपान, संक्रमण और अत्यधिक धूप का संपर्क भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकता है।

हार्मोनल असंतुलन: अधिकांश ऑटोइम्यून बीमारियाँ महिलाओं में अधिक पाई जाती हैं। लगभग 78% मरीज महिलाएं होती हैं, जो दिखाता है कि लैंगिक हार्मोन इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

संक्रमण: कुछ वायरस या बैक्टीरिया शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भ्रमित कर सकते हैं, जिससे यह अपने ही ऊतकों पर हमला करने लगती है।

ऑटोइम्यून बीमारियों के प्रमुख लक्षण

ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण व्यक्ति और बीमारी के प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हैं जो अक्सर देखे जाते हैं:

लगातार थकान और कमजोरी

जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न

त्वचा पर चकत्ते, लालिमा या खुजली

बार-बार बुखार आना

पाचन संबंधी समस्याएं जैसे पेट दर्द, कब्ज या दस्त

बालों का झड़ना

हाथ-पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी

यदि ये लक्षण कई हफ्तों या महीनों तक बने रहते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

ऑटोइम्यून बीमारियों के प्रमुख उदाहरण

ऑटोइम्यून बीमारियाँ कई प्रकार की होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

रूमेटॉइड आर्थराइटिस - यह बीमारी जोड़ों पर हमला करती है, जिससे दर्द, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई होती है।

टाइप 1 डायबिटीज - इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिससे शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है।

लुपस (Lupus) - यह बीमारी त्वचा, जोड़ों, किडनी, हृदय और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है, जिससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।

हाशिमोटो थायरॉयडाइटिस - इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करती है, जिससे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।

मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) - यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में समस्याएँ पैदा होती हैं।

सेलिएक रोग - इसमें शरीर ग्लूटेन (गेहूं में पाया जाने वाला प्रोटीन) के प्रति प्रतिक्रिया करता है, जिससे आंतों में जलन और क्षति हो सकती है।

निदान और उपचार

ऑटोइम्यून बीमारियों का निदान करना आसान नहीं होता क्योंकि इसके लक्षण अक्सर अन्य बीमारियों जैसे दिखाई देते हैं। डॉक्टर आमतौर पर रक्त परीक्षण (blood tests) करते हैं, जिनसे एंटीबॉडीज और शरीर में सूजन के स्तर का पता लगाया जा सकता है। इन बीमारियों का पूरा इलाज संभव नहीं है लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। उपचार में आम तौर पर इम्यून सिस्टम को धीमा करने वाली दवाएं (immunosuppressants), सूजन कम करने वाली दवाएं, संतुलित आहार, योग और व्यायाम, तनाव प्रबंधन और नियमित चिकित्सा जांच शामिल होती हैं।

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