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बाप रे! 'सोने' की तरह महंगी हो जाएगी 'शराब', UN से उठी आवाज; भारत तुंरत बढ़ाने जा रहा रेट
Alcohol-Liquor Price: पीना है तो कीमत भी चखो, थोड़े बहुत नहीं बलिकु 50 फीसदी बढ़ेंगे दाम।
Alcohol Liquor Price: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बड़ा और विवादित कदम उठाते हुए दुनियाभर की सरकारों से अपील की है कि वे तंबाकू, शराब और शुगर ड्रिंक्स पर टैक्स बढ़ाकर अगले 10 वर्षों में इनकी कीमतों को करीब 50% तक महंगा कर दें। WHO का दावा है यह सिर्फ स्वास्थ्य सुधार की बात नहीं है, बल्कि एक ट्रिलियन डॉलर जुटाने का प्लान है।
यह सिफारिश स्पेन के सेविले में हाल ही में हुए UN के Finance for Development सम्मेलन में पेश की गई। संगठन की मंशा है कि इन टैक्सों से मोटापा, कैंसर, डायबिटीज़ जैसी जानलेवा बीमारियों को रोका जाए और देशों की स्वास्थ्य प्रणाली को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए।
"3 by 35" योजना: एक ट्रिलियन डॉलर का सपना
WHO की नई रणनीति "3 by 35" के तहत 2035 तक हेल्थ टैक्स से एक ट्रिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मी सांडोवाल का दावा है कि किसी देश में जो उत्पाद आज 4 डॉलक का है, वह 2035 तक 10 डॉलर तक पहुंच सकता है। यानी, टैक्स और महंगाई मिलाकर कीमतें ढाई गुना तक उछल सकती हैं।
WHO चीफ ने दिया सीधा संदेश
WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, “सरकारों को अब नींद से जागना होगा, स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करना ही समय की मांग है।” वहीं सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फेरर ने इस टैक्स पॉलिसी को "सबसे असरदार हथियार" बताया।
भारत पहले ही कर चुका है तैयारी
भारत इस दिशा में पहले ही कदम बढ़ा चुका है। अप्रैल 2025 में ICMR-NIN के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय पैनल ने अत्यधिक वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाने और स्कूल-कॉलेज के पास इनकी बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश की थी। यह प्रस्ताव FSSAI की गाइडलाइंस के अनुरूप है।
उद्योग जगत में मचा हड़कंप
WHO की इस सख्त सिफारिश को लेकर उद्योग संगठनों में नाराज़गी साफ दिख रही है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बेवरेज एसोसिएशंस की केट लॉटमैन ने कहा, WHO पुरानी विफल नीतियों को दोहरा रहा है। वहीं डिस्टिल्ड स्पिरिट्स काउंसिल की अमांडा बर्जर ने इसे "गुमराह करने वाली और अव्यावहारिक नीति" बताया।
अब अगला कदम किसका?
WHO का यह प्रस्ताव एक आक्रामक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान की तरह सामने आया है, लेकिन इसका क्रियान्वयन सरकारों की इच्छाशक्ति और उद्योगों की प्रतिक्रिया पर टिका है। अब देखना होगा कि क्या दुनिया इस टैक्स हथियार को अपनाकर बीमारियों को मात देने की राह पर चलती है या फिर यह सिफारिश कागज़ों तक ही सिमट जाएगी।
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