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B.Sudarshan Reddy के अलावा ये जज भी लड़ चुके हैं राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति का चुनाव
Vice Presidential Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए INDIA गठबंधन की ओर से बी.सुदर्शन रेड्डी ने नामांकन दाखिल कर दिया है।
Vice Presidential Election 2025: इन दिनों उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश में काफी चर्चा चल रही है। INDIA गठबंधन ने अपने उम्मीदवार के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) को मैदान में उतारा है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) का मुकाबला NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) से होगा। दोनों ही उम्मीदवारों ने नामांकन दर्ज कर दिया है।
भारत में आमतौर पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे ऊंचे पदों पर चुनाव के लिए राजनीतिक अनुभव वाले लोग चुने जाते हैं, लेकिन जब राजनीतिक के इतिहास के पन्नों को खंगाला जाये तो आप पायेंगे कि कई बार ऐसा भी हुआ है जब न्यायपालिका से जुड़े यानी पूर्व जजों को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद के लिए सियासी मैदान में उतारा गया हो। यानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) के अलावा और भी पूर्व जजों को राजनीति में लाया गया है।
कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
INDIA गठबंधन की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं। बात करें उनके शुरूआती जीवन की तो 1946 में आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के अकुला मायलारम गांव के एक साधारण कृषक परिवार में बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म हुआ था। गांव के माहौल से निकलकर उन्होंने शिक्षा की ओर कदम बढ़ाया और हैदराबाद में पढ़ाई की। साल 1971 में उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की और वकालत की दुनिया में कदम रखा।
ऐसे शुरू हुआ वकालत का करियर
कानून की पढ़ाई पढ़ाई पूरी करने के बाद रेड्डी ने आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में अपना नाम दर्ज कराया। वकालत के दौरान उनकी मेहनत और ईमानदारी की वजह से उन्हें 1988 में सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर काम करने का मौका मिला। इसके बाद 1990 में वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील भी बने। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में रिट और सिविल मामलों की पैरवी की।
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने
बी. सुदर्शन रेड्डी ने उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के तौर पर काम किया। बी. सुदर्शन रेड्डी को 2 मई 1995 को उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 2005 में वे गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने करियर में कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। इस प्रकार देखा जाये तो उन्हें न्यायपालिका में काम करने का काफी अनुभव है जिसके लिए उन्हें उच्च स्तर पर भी सराहना मिली है।
जब सुप्रीम कोर्ट में जज के रुप में हुई नियुक्ति
गुवाहाटी हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम करने के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया। यहां रहते हुए उन्होंने कई बड़े फैसले दिए और न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया।
ये पूर्व जज भी लड़ चुके हैं राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति का चुनाव
बी. सुदर्शन रेड्डी ने जज के रुप में कई अहम फैसले दिये हैं। भारत की राजनीति के इतिहास में ऐसे कई पूर्व जज हुए हैं जिन्होंने न्यायपालिका के बाद राजनीति में कदम रखा है। ऐसे जजों में सबसे पहला नाम आता है सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हंस राज खन्ना का। 1982 में कांग्रेस ने ज्ञानी जैल सिंह को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया था। इसके जवाब में 9 विपक्षी दलों ने जस्टिस हंसराज खन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया था, हालांकि वो चुनाव हार गए, लेकिन उनकी निष्पक्ष छवि और संविधान के प्रति निष्ठा को आज भी याद किया जाता है बता दें कि उन्होंने आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों की रक्षा में ऐतिहासिक फैसला दिया था।
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