Bihar Chunav 2025 Seats Report: इस बार ‘राकेट साइंस’ से कम नहीं है बिहार चुनाव

Bihar Chunav 2025 Seats Report: इस बार बिहार चुनाव में एक नये दल ने इंट्री मारी है, इस लिए चुनाव की गणित व नतीजों को पहले की तरह आसान भाषा में समझना मुश्किल कहा जा सकता है।

Yogesh Mishra
Published on: 7 Sept 2025 1:01 PM IST
Bihar Chunav 2025 Seats Report Prashant Kishor NdA MGB Vote Analysis
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Bihar Chunav 2025 Seats Report Prashant Kishor NdA MGB Vote Analysis

Bihar Chunav 2025 Seats Report: आम तौर पर बिहार विधानसभा चुनाव में कोई राकेट साइंस नहीं होता है। वहां तीन बड़े दल- जेडीयू, भाजपा व राजद हैं।कोई भी दो एक साथ हो जाते हैं तो उसी की सरकार बन जाती है। पर इस बार एक नये दल ने बिहार चुनाव में इंट्री मारी है, इस लिए चुनाव की गणित व नतीजों को पहले की तरह आसान भाषा में समझना मुश्किल कहा जाना चाहिए । वह भी तब जब वह दल एक ऐसे महारथी का हो, जो चुनाव जिताने व लड़वाने में दक्ष माना जाता हो। उत्तर प्रदेश में सपा- कांग्रेस के गठबंधन की सरकार को छोड़ दें तो यह महारथी पूरब, पश्चिम , उत्तर , दक्षिण सभी दिशा के किसी न किसी प्रदेश में मनचाही सरकार बनवा कर दिखा चुका है। यह महारथी है-प्रशांत किशोर पांडेय।


इसीलिए इस बार समीकरण के पेंच इतने उलझ गये हैं कि राजनीतिक पंडितों के लिये भी दिकक्त पेश आ रही है। जिस राज्य में सभी राजनीति दल पिछड़ा ,अति पिछड़ा खेल रहे हों। सभी महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की कमान पिछड़ों या अति पिछड़ों के हाथ हो वहां अगडे समाज के नेतृत्व वाले दल से या तो कोई आशा नहीं की जा सकती है या फिर बहुत आशा की जा सकती है। चूँकि प्रशांत किशोर पांडे इसी कला के कलाकार है, इसलिए कोई आशा नहीं करने की बात का सिरे से ख़ारिज किया जाना चाहिए । बहुत आशा की दिशा में यह तो साफ़ है कि तीन दलों में से दो के साथ होने पर सरकार बन जाने का फ़ार्मूला तो इस बार कामयाब होता नहीं दिखता है।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, एनडीए को कुल 1,46,85,822 (37.26%) फीसदी वोट हाथ लगे थे। इस गठबंधन में जनता दल (यूनाइटेड) था, जिसे 43 सीटें मिली थीं। भारतीय जनता पार्टी को 74 सीटें मिलीं। इस गठबंधन के अन्य छोटे सहयोगी दलों में ‘ हम’ और ‘वीआईपी’ पार्टी का भी योगदान रहा। जबकि महागठबंधन (MGB) को कुल 1,43,54,849 (37.23%) वोट मिले।इसमें राष्ट्रीय जनता दल 75 सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 19 सीटें मिलीं। वाम दल (CPI, CPI(M), CPI(ML)): CPI(ML) को 12 सीटें हाथ लगीं। दोनों गठबंधनों (NDA और MGB) के बीच वोटों का अंतर: 3,30,973 (0.03%) ही था।

बीते बिहार चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट व लगभग 5-6 फीसदी वोट हाथ लगे। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 5 सीटें मिलीं। विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र में इस दल का मजबूत प्रदर्शन रहा। मायावती की बहुजन समाज पार्टी को भी 1 सीट मिल गई। एक निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में कामयाब रहा।


बिहार में कुल 4.2 करोड़ वोट डाले गए। बिहार विधान सभा के सभी 243 सीटों के लिए चुनाव 28 अक्टूबर से 7 नवंबर, 2020 तक हुए, और मतगणना 10 नवंबर, 2020 को हुई ।कुल मतदान लगभग 57.3% रहा । सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच केवल तीन लाख वोटों का अंतर एक नये प्लेयर के प्रवेश के साथ कई तरह की नई संभावनाएं जनता है। वह भी तब जब जेडीयू के दो वरिष्ठ नेता—दसाई चौधरी और भुवन पटेल—जन सुराज पार्टी में शामिल होकर प्रशांत किशोर के नेतृत्व को स्वीकार करने चुके हों। पूर्व मंत्री और नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद रहे आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी ‘ आप सब की आवाज़’ को जन सुराज पार्टी से मिला दिया हो। यह संगठनात्मक ताकत और कुर्मी वोट बैंक में मददगार हो सकता है । प्रशांत किशोर तीन साल से बिहार में संपर्क यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा में सरकार से मोहभंग तबके और युवाओं में प्रशांत किशोर के प्रति रुझान देखा जा रहा है। इतिहास गवाह है कि जिस जिस ने पदयात्रा की है, उसे उसे देर सबेर सफलता जरूरी मिली है। प्रशांत किशोर बिहार की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए कमर कस चुके हैं, ऐसे में साफ़ है कि वह एनडीए व गठबंधन दोनों को नुक़सान पहुँचाने का काम करेंगे। अब यह देखना है कि प्रशांत किशोर से ज़्यादा नुक़सान किसे होता है। महागठबंधन को या एनडीए को। क्योंकि पिछले चुनाव में जीत हार के बीच में केवल तीन लाख वोटों का अंतर था।

एक ऐसे समय जब महागठबंधन ने भाजपा को वोट कटवा घोषित करने की मुहिम चला रखी हो। बिहार का वोटर लिस्ट (Special Intensive Revision, SIR) का विवाद पूरे देश में चर्चा का सबब हो। इसे भाजपा की चुनाव जीतने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति के तौर पर पेश किया जा रहा हो।कांग्रेस ने विंचित वर्गों के मतदाताओं के नाम हटाए जाने का आरोप लगाया हो। कहा हो कि 89 लाख शिकायतें दी थीं; चुनाव आयोग ने इन्हें गलत प्रारूप में बताया।


लोजपा के चिराग़ पासवान सीटों की मांग को लेकर दबाव बना रहे है। हालाँकि एनडीए ने साफ कर दिया है कि वे चिराग को मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बनाएंगे। उनका दायरा सीटों के एवज में विस्तार और दबदबा तक सीमित रहेगा। पर चिराग ने नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था की कमी को लेकर जोर से हमला किया, जो गठबंधन में तनाव उत्पन्न कर रहा।लोजपा ने “Bihar First, Bihari First” जैसे सामाजिक अभियानों के माध्यम से दलित मूलतः पासी समुदाय का वोट खींचने की कवायद शुरू की है ।वह राजग में रहकर भी अपनी राजनीतिक पहचान को मजबूत कर रहे हैं।अगर उन्हें अपेक्षित सीटें मिल जाती हैं, तो वे महागठबंधन के लिए खतरा बन सकते हैं।हालांकि मुख्यमंत्री की दौड़ से वह बाहर हैं। लेकिन गठबंधन के भीतर उनकी स्थिति निर्णायक यानी किगंमेकर की बन सकती है।

लिहाज़ा चिराग़ को गठबंधन के लिए ख़तरा भी माना जा रहा है।हालाँकि भाजपा व जेडीयू सौ सौ सीटों पर लड़ने का मन बना चुके हैं।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1 अगस्त , 2025 से घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर लगभग 1.67 करोड़ परिवार को लाभ पहुँचाने का पासा फेंक चुके हों। नीतीश कुमार ने आश्वासन दिया कि 2020 से अब तक 10 लाख सरकारी नौकरियाँ और 39 लाख रोजगार उपलब्ध कराए गए। चुनाव से पहले यह संख्या 50 लाख पार कर जाएगी, इसके साथ ही सोलर पैनल, अस्पतालों का आधुनिकीकरण और स्वरोजगार अवसर भी प्रमुख वादे सुनाते फिर रहे हैं।

तेजस्वी यादव 20 महीने में बिहार बदलने का आह्वान करते और युवाओं से जुड़कर रोजगार, शिक्षा और नए विश्वविद्यालय जैसे वादे करते फिर रहे हों। यह सही है कि तेजस्वी अपने पिता पर बिहार में जंगल राज फैलाने व चलाने को लेकर चस्पा आरोप को उधार कर उस खोल से बाहर निकलने में कामयाब हुआ है। पर इस बार उन्हें अपने भाई तेज प्रताप यादव की भावुक अपीलों के साथ साथ वंचित विकास इंसान पार्टी व प्रगतिशील जनता पार्टी के साथ गठबंधन के असर को भी बेअसर भी करना पड़ेगा।


भाजपा ने भी कम तैयारी नहीं की है। केंद्र सरकार ने ₹675 करोड़ की स्वीकृति दी है, जो बिहार में दस प्रमुख सड़क निर्माण कार्यों को सशक्त बनाएगी; इससे कनेक्टिविटी और आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा। सीतामढ़ी में Punaura Dham माँ जानकी मंदिर का विस्तार योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है, जिसमें ₹883 करोड़ का निवेश होगा, साथ ही नई ट्रेन सेवा और यातायात सुविधाओं का विस्तार भी शामिल है। राजग सरकार को ‘फास्ट ट्रैक पर विकास’ पर केन्द्रित करते हुए, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पेंशन, मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं पर जोर दिया जा रहा है।गया इंटेरनेशनल एयरपोर्ट का विस्तार और पटना एयरपोर्ट को उच्चीकृत व अत्याधुनिक करने का ऐलान भी शामिल है। विशेष श्रेणी की स्थिति की मांग अस्वीकृत होने पर भी, भाजपा सहयोगी बिहार को यह मदद देकर राजनीतिक दृष्टि से उसे समर्थन का संकेत दिया गया माना गया।

2024-25 के केंद्रीय बजट में 58,900 करोड़ का विकास पैकेज बिहार के लिए घोषित किया गया। इसमें सड़क परियोजनाओं पर ₹26,000 करोड़, पावर प्लांट (Pirpainti, 2400 MW) पर ₹21,400 करोड़, और बाढ़ नियंत्रण हेतु ₹11,500 करोड़ शामिल है। इसके अलावा, Airports, Medical Colleges और Highways के विकास हेतु ₹26,000 करोड़ की सहायता की घोषणा भी की गई, जैसे Patna–Purnea Expressway, Buxar–Bhagalpur Expressway, दो लेन पुल (Buxar Ganga bridge) आदि। बिहार में लगभग 3 करोड़ प्रवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। बीजेपी ने देश के 150 जिलों में रह रहे इन प्रवासियों से संपर्क की रणनीति तैयार की है, ताकि वे वोट देने बिहार लौटें और भाजपा का पक्ष मजबूत हो। चुनावी रणनीति में बीजेपी ने महिला मतदाताओं को मुख्य ध्यान में रखा है। महिला सशक्तिकरण और सम्मान को चुनावी मुद्दा बनाकर अभियान आधारित योजनाएँ आगे बढ़ाई जा रही हैं। इसमें मोदी की माँ को कहे गये अपशब्द भी काफ़ी काम आ रहे हैं, जनमानस में इसे लेकर बहुत नाराज़गी पढ़ी जा सकती है। अमित शाह की अध्यक्षता में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में चल रहे गुटबाज़ी या अंदरूनी विवादों को खत्म करने की दिशा में की जा रही क़वायदों के नतीजे दिखने लगे हैं।अभी चुनाव में बहुत समय है। इस बीच चुनावी ऊँट कितने करवट बदलेगा कहा नहीं जा सकता । पर यह सच है कि इस बार बिहार चुनाव किसी राकेट साइंस से कम नहीं हैं।

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