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चीन पर भारत के युवाओं को नहीं है भरोसा, बांग्लादेश की भी गिरी साख, नेपाल-भूटान को माना सबसे भरोसेमंद
भारत के युवाओं का चीन पर भरोसा लगातार घटा है जबकि नेपाल और भूटान को सबसे भरोसेमंद पड़ोसी माना गया है। ORF के सर्वे में बांग्लादेश की साख भी कमजोर होती दिखी। युवाओं की राय भारत की विदेश नीति और पड़ोसी देशों को लेकर उनकी जागरूकता दर्शाती है।
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका की कमान दोबारा संभालने के बाद से वैश्विक राजनीति में अस्थिरता और अनिश्चितता का दौर काफी तेज हो गया है। अमेरिका की विदेश नीति में उनके मनमाने और अकेले चलने वाले तौर-तरीकों का असर केवल उसके सहयोगियों पर ही नहीं साथी उनके विरोधियों पर भी पड़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध, वेस्ट एशिया में जारी संघर्ष, दक्षिण एशिया में आतंक का फैलता दायरा और चीन की बढ़ती आक्रामकता। इन सभी घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को जटिल सा बना दिया है।
इन वैश्विक उलझनों के बीच भारत की भूमिका न सिर्फ मजबूत हुई है। इसके साथ ही भारतवासियों की वैश्विक स्तर पर अधिक सक्रिय भागीदारी की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। इसी को लेकर ORF नाम की संस्था ने भारत के युवाओं के नजरिये को समझने के लिए एक विशेष सर्वेक्षण किया । इस सर्वे का फोकस भारत-चीन संबंधों और विदेश नीति को लेकर युवाओं की की क्या राय उसपर फोकस था।
सर्वे जुलाई से सितंबर 2023 के बीच हुआ था। इसलिए हाल की घटनाएं जैसे कि ट्रंप की नई नीतियां, पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर इसमें सीधे शामिल नहीं हो पाईं। लेकिन, इसने युवा वर्ग का इसे लेकर क्या सोचना है उस पर बेहतरीन रूप से प्रकाश डालता है।
भारत की विदेश नीति को मिलता युवा समर्थन
सर्वे के अनुसार, करीब 88 प्रतिशत युवा भारत की मौजूदा विदेश नीति से संतुष्ट हैं और उसे प्रभावी मानते हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की भूमिका को लेकर विश्वास मजबूत हुआ है। चीन के साथ सीमा विवाद को 89 प्रतिशत प्रतिभागियों ने सबसे गंभीर चुनौती माना है। जबकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और सीमा विवाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
हालांकि भारत और चीन के बीच तनाव कम करने की कोशिशें हुई हैं। लेकिन सर्वे के मुताबिक अविश्वास की खाई गहरी अभी भी गहरी बनी हुई है। चीन को लेकर युवा वर्ग की सोच पहले से भी नकारात्मक हुई है। 84 प्रतिशत युवाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से चीन के साथ व्यापारिक निर्भरता कम करने को जरूरी बताया। वहीं बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से दूर रहने के निर्णय को 79 प्रतिशत युवाओं ने भारत के हित में माना है।
‘Neighbour First’ की नीति को मिला भारी समर्थन
भारत की Neighbour First’ नीति को भी व्यापक समर्थन मिला है। 72 प्रतिशत युवा नेपाल को सबसे भरोसेमंद पड़ोसी मानते हैं, इसके बाद भूटान और श्रीलंका आते हैं। बांग्लादेश को लेकर भरोसा धीरे-धीरे कम हो रहा है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रति अविश्वास बना हुआ है। हालांकि अफगानिस्तान को लेकर दृष्टिकोण में पिछले साल की तुलना में थोड़ा सुधार देखा गया। वहीं, हिंद महासागर और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर युवाओं की सजगता बढ़ी है। समुद्री क्षेत्रों में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर भी चिंता सामने आई है।
अमेरिका के साथ रिश्तों को लेकर दिखे अच्छे संकेत
भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर युवाओं का दृष्टिकोण सकारात्मक रहा। 86 प्रतिशत युवाओं ने दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक साझेदारी की संभावना जताई। हालांकि ट्रंप के नेतृत्व में इस रिश्ते की दिशा कुछ बदल सकती है। लेकिन फिलहाल भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और बहुपक्षीय संतुलन की नीति को युवाओं का समर्थन मिल रहा है।
QUAD जैसे संगठनों को लेकर जहां उत्साह है। वहीं शंघाई सहयोग संगठन को लेकर संशय है बना हुआ है। खासकर चीन के वर्चस्व के चलते। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर युवा वर्ग में गंभीर इच्छाशक्ति दिखी। वहीं G7 जैसे मंचों पर भारत की नियमित सदस्यता की मांग भी सामने आई।
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