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भारत की इस मिसाइल के पीछे पागल हुई दुनिया, फ्रांस ने रख दी अरबों डॉलर की डील सामने
भारत आज लंबी दूरी तक सटीक हमला करने की क्षमता रखता है, लेकिन यह ताक़त एक दिन में नहीं बनी। वर्षों की मेहनत और रणनीतिक निवेश के चलते भारत ने रॉकेट मिसाइलों और थल-प्रक्षेप यानी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
भारत की स्वदेशी मिसाइल और रॉकेट प्रणाली ने न केवल देश की सीमाओं की रक्षा में नई शक्ति जोड़ी है, बल्कि अब दुनिया भी इसकी ताक़त की कायल होती दिख रही है। हाल ही में फ्रांसीसी सेना के जनरल पियरेसल भारत दौरे पर आए और उन्होंने भारत की लंबी दूरी की रॉकेट तकनीक, ड्रोन-रोधी सिस्टम और उन्नत युद्ध प्रणालियों में गहरी दिलचस्पी दिखाई। सबसे बड़ी बात यह रही कि उन्होंने भारतीय पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की खुलकर तारीफ की और को-प्रोडक्शन यानी सह-निर्माण का प्रस्ताव तक रख दिया।
यह बयान केवल एक डील की संभावना भर नहीं है, बल्कि यह भारत और फ्रांस के बीच भविष्य की एक मज़बूत रक्षा साझेदारी का संकेत भी है। यह वही फ्रांस है जिसने भारत को राफेल लड़ाकू विमान दिए हैं और अब नौसेना के लिए 26 राफेल-एम विमान भी देने जा रहा है।
भारत की यह स्थिति रातों-रात नहीं बनी। पिछले दो दशकों में भारत ने रणनीतिक दृष्टि से रॉकेट, मिसाइल और आर्टिलरी प्रणालियों में भारी निवेश किया है। विशेष रूप से डीआरडीओ द्वारा विकसित पिनाका प्रणाली ने देश की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
पिनाका एमके1 की मारक क्षमता लगभग 38 किलोमीटर तक थी, लेकिन अब पिनाका एमके2, गाइडेड वर्जन और एक्सटेंडेड रेंज वर्जन जैसे नए संस्करणों पर काम चल रहा है, जिनकी रेंज 60 से 90 किलोमीटर या उससे अधिक बताई जा रही है। यह प्रणाली अपने बहु-बैरल लॉन्चर सिस्टम के कारण दुश्मन के ठिकानों को कुछ ही मिनटों में नेस्तनाबूद करने में सक्षम है।
कारगिल युद्ध के दौरान पिनाका प्रणाली ने अपने पराक्रम का प्रदर्शन कर दुनिया को चौंका दिया था। ऊँची पहाड़ियों पर मौजूद दुश्मन के ठिकानों को बेहद सटीकता के साथ तबाह कर इसने अपनी उपयोगिता सिद्ध की थी। तब से लेकर आज तक इसे भारतीय सेना में बड़े पैमाने पर शामिल किया जा चुका है।
भारत में कुछ महीने पहले फ्रांसीसी रक्षा प्रतिनिधिमंडल के सामने पिनाका का प्रदर्शन किया गया था, जिसके बाद यह रुचि और मजबूत हुई। फ्रांस की रुचि सिर्फ तकनीक में नहीं, बल्कि भारत के साथ मिलकर इसे संयुक्त रूप से विकसित करने और अपने सैन्य शस्त्रागार में शामिल करने में भी है।
भारत की इस रक्षा प्रणाली को हाल ही में आर्मेनिया ने भी अपनाया है। आर्मेनिया ने चार पिनाका बैटरियों और अन्य रक्षा उपकरणों के लिए करीब 2,000 करोड़ रुपये की संयुक्त डील साइन की है, जिसकी डिलीवरी नवंबर 2024 तक पूरी कर दी जाएगी। यह भारत के लिए एक बड़ी निर्यात सफलता है और इसने भारत को एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित कर दिया है।
अब दक्षिण-पूर्व एशिया से लेकर यूरोप तक, कई देश भारत की पिनाका प्रणाली में गहरी रुचि दिखा रहे हैं। भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग में पहले ही स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना और राफेल विमान जैसे बड़े करार हो चुके हैं। पिनाका के साथ संभावित सह-निर्माण भारत को न केवल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का लाभ देगा, बल्कि यह 'मेक इन इंडिया' और रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।
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