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वह शख्स जिसने 'हाउडी मोदी' से लेकर G20 तक... दुनिया भर में भारत का डंका बजाया! अब बनेगा संसद की आवाज़
Harsh Vardhan Shringla: 'हाउडी मोदी' से G20 तक भारत की वैश्विक छवि को नयी ऊंचाई देने वाले हर्षवर्धन श्रृंगला अब बनेंगे संसद की आवाज़। पढ़िए पर्दे के पीछे के इस मास्टरमाइंड का प्रेरणादायक सफर।
Harsh Vardhan Shringla: इतिहास गवाह है कि बड़े बदलाव करने वाले लोग हमेशा पर्दे के पीछे ही रहते हैं। वे शोर नहीं मचाते, वे सुर्खियों में नहीं आते, लेकिन उनका काम पूरी दुनिया की सोच बदल देता है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही शख्स की, जिसने भारत की कूटनीति और वैश्विक छवि को एक नई ऊंचाई दी है। जिस G20 सम्मेलन की भव्यता देखकर पूरा विश्व हैरान रह गया, जिसकी अध्यक्षता को भारत की सबसे बड़ी राजनयिक सफलता माना गया, उसके असली सूत्रधार कोई और नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले यही शख्स थे। उन्होंने सिर्फ G20 को ही सफल नहीं बनाया, बल्कि जब पूरी दुनिया कोरोना के खौफ में थी, तब लाखों भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने का असंभव सा दिखने वाला काम भी इन्हीं की देखरेख में पूरा हुआ था।
कभी अमेरिका में 'हाउडी मोदी' जैसे ऐतिहासिक मेगा इवेंट को सफल बनाने में इनका अहम योगदान रहा, तो कभी बांग्लादेश से दशकों पुराने भूमि विवाद को सुलझाने में। उनके जीवन का हर कदम एक नई कहानी कहता है, एक नया अध्याय लिखता है। उनकी पहचान सिर्फ एक बेहतरीन प्रशासक की नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति के एक ऐसे शिल्पकार की है, जिसने अपने काम से देश का मान बढ़ाया है। और अब, इसी असाधारण शख्सियत को भारत के सर्वोच्च संवैधानिक सदन, राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है। यह कोई जादू नहीं था, बल्कि एक मास्टरमाइंड की दूरदर्शिता और अथक परिश्रम का नतीजा था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार खाली राज्यसभा सीटों के लिए जिन नामों की घोषणा की है, उनमें से एक हैं ये शख्सियत। इनका नाम है हर्षवर्धन श्रृंगला। आइए जानते हैं, एक आम भारतीय लड़के से लेकर दुनिया के सबसे बड़े कूटनीतिज्ञ बनने तक का उनका यह अविश्वसनीय सफर।
मुंबई से दिल्ली तक का सफ़र: एक साधारण शुरुआत
हर बड़ी कहानी की शुरुआत अक्सर बहुत साधारण होती है। हर्षवर्धन श्रृंगला का जन्म 1 मई 1962 को महाराष्ट्र के मुंबई शहर में हुआ था। शायद उस समय किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि यह बच्चा एक दिन भारत की विदेश नीति का चेहरा बनेगा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई, लेकिन उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई राजस्थान के अजमेर स्थित मेयो कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से पूरी की। मेयो कॉलेज से निकलने के बाद, उन्होंने दिल्ली का रुख किया और वहां के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। यहां से उनके जीवन का वह अध्याय शुरू हुआ, जिसने उन्हें 'डिप्लोमैट' के रूप में एक नई पहचान दी। साल 1984 में, उन्होंने भारतीय विदेश सेवा (IFS) में प्रवेश किया और अगले 38 सालों तक अपनी अद्भुत सेवा से भारत का मान बढ़ाया। इन दशकों में, उन्होंने अलग-अलग देशों में रहकर न सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि कूटनीति के हर उस पहलू को समझा, जो देश को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाता है।
थाईलैंड और बांग्लादेश में भारत का परचम
अपने लंबे और शानदार करियर में, हर्षवर्धन श्रृंगला ने कई महत्वपूर्ण देशों में भारत के राजदूत और उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल का हर पड़ाव, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण जीत साबित हुआ। साल 2014 से लेकर 2016 तक, उन्होंने थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में काम किया। यहां उन्होंने भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन, उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण दौर तब आया, जब उन्हें साल 2016 में बांग्लादेश में भारत का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया। बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण हैं। इस कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत-बांग्लादेश संयुक्त सीमा कार्य समूह की सह-अध्यक्षता की और दोनों देशों के बीच दशकों से लंबित भूमि सीमा समझौते को अंतिम रूप दिया। यह समझौता दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, जिसने सरहदों पर शांति और सहयोग का एक नया अध्याय शुरू किया। इस काम ने उन्हें एक ऐसे डिप्लोमैट के रूप में पहचान दिलाई, जो न सिर्फ बड़े लक्ष्य साधता है, बल्कि उन्हें हकीकत में भी बदल सकता है।
'हाउडी मोदी' से लेकर अमेरिका तक भारत की कूटनीति
जनवरी 2019 से जनवरी 2020 तक, हर्षवर्धन श्रृंगला ने अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया। यह एक ऐसा समय था जब भारत-अमेरिका संबंध अपने सबसे मजबूत दौर में थे। इसी दौरान, 22 सितंबर 2019 को टेक्सास के ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' का ऐतिहासिक मेगा इवेंट आयोजित हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंच साझा किया था। यह इवेंट केवल एक राजनयिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि दुनिया भर में फैले भारतीय प्रवासियों की ताकत और एकजुटता का एक भव्य प्रदर्शन था। इस मेगा इवेंट की योजना बनाने और इसे सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने में हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक अहम भूमिका निभाई थी। उनके नेतृत्व में भारतीय दूतावास ने इस आयोजन के लिए दिन-रात मेहनत की, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों का जोश और उत्साह देखने लायक था। इस इवेंट ने न सिर्फ दोनों देशों के नेताओं को करीब लाया, बल्कि भारत की 'सॉफ्ट पावर' का भी दुनिया को एहसास कराया।
जब आया कोरोना का संकट तो वह बने 'लाखों की उम्मीद'
जनवरी 2020 में, उन्हें भारत का विदेश सचिव नियुक्त किया गया। यह उनके करियर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी, और यह ऐसे समय में आई जब पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व संकट, कोरोना महामारी, का सामना कर रही थी। हर्षवर्धन श्रृंगला ने अपने इस कार्यकाल में एक ऐसे योद्धा की तरह काम किया, जिसने संकट के समय में लाखों लोगों की जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी संभाली। जब विदेशों में लाखों भारतीय फंसे हुए थे, जब उड़ानें बंद हो चुकी थीं और हर तरफ अनिश्चितता का माहौल था, तब उन्होंने विदेश मंत्रालय की रणनीति बनाने और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फरवरी 2021 तक, उन्होंने वंदे भारत मिशन के 9 चरणों को सफलतापूर्वक कोऑर्डिनेट किया। यह मिशन केवल कुछ लोगों को वापस लाने का काम नहीं था, बल्कि दुनिया के कोने-कोने में फंसे हुए हजारों भारतीयों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने का एक महाअभियान था। उनके नेतृत्व में, विदेश मंत्रालय ने यह असंभव काम संभव कर दिखाया, और वह लाखों परिवारों की उम्मीद का सबसे बड़ा सहारा बन गए।
दुनिया ने मानी भारत की धाक: G20 का 'मास्टरमाइंड'
विदेश सचिव के पद से रिटायर होने के बाद भी, उनका काम खत्म नहीं हुआ था। भारत को एक और बड़ी जिम्मेदारी मिली थी, G20 प्रेसीडेंसी की। भारत की इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी को सफल बनाने का जिम्मा भी हर्षवर्धन श्रृंगला को ही सौंपा गया। उन्हें साल 2023 में भारत के G20 प्रेसीडेंसी के लिए 'चीफ कोऑर्डिनेटर' नियुक्त किया गया। उनकी देखरेख में, G20 की बैठकें देश के अलग-अलग राज्यों और शहरों में आयोजित हुईं। यह सिर्फ एक सम्मेलन नहीं था, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता, आर्थिक शक्ति और वैश्विक नेतृत्व क्षमता का एक प्रदर्शन था। दुनिया ने देखा कि भारत सिर्फ एक विकासशील देश नहीं, बल्कि समस्याओं का समाधान देने वाला एक ग्लोबल लीडर बन चुका है। G20 का यह सफल आयोजन, जिसकी पूरे विश्व में सराहना हुई, हर्षवर्धन श्रृंगला के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शिता का ही प्रमाण था। उन्होंने भारत की विदेश नीति को केवल बैठकों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे जमीन पर उतारा और दुनिया को भारत की असली ताकत का एहसास कराया।
एक अफ़सर ही नहीं, बल्कि एक 'विचारक' भी
हर्षवर्धन श्रृंगला सिर्फ एक बेहतरीन प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं हैं, बल्कि एक लेखक और विचारक के तौर पर भी उनकी गहरी पहचान है। उन्होंने इकोनॉमिक डिप्लोमेसी, कॉन्फ्लिक्ट प्रीवेंशन, द इंडियन डायसपोरा और इंडिया-बांग्लादेश रिलेशंस जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर किताबें भी लिखी हैं। इसके अलावा, वह अपनी गहन समझ और ज्ञान को वैश्विक मीडिया के जरिए भी साझा करते रहते हैं। राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए उनके नामांकन की घोषणा के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं। हर्षवर्धन श्रृंगला का जीवन यह साबित करता है कि सच्ची मेहनत, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण से कोई भी व्यक्ति असंभव को भी संभव बना सकता है। उनका सफर हम सभी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।
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