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JCB देखने वालों से भी कम आबादी वाले देशों में घूम रहे हैं मोदी? भगवंत मान का तंज़ बना राष्ट्रीय बवाल! BJP ने किया पलटवार

Bhagwant Mann comment on Modi: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पानी संकट के मुद्दे पर बोल रहे थे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने अचानक प्रधानमंत्री की हालिया विदेश यात्राओं का ज़िक्र छेड़ दिया।

Harsh Srivastava
Published on: 11 July 2025 2:48 PM IST
JCB देखने वालों से भी कम आबादी वाले देशों में घूम रहे हैं मोदी? भगवंत मान का तंज़ बना राष्ट्रीय बवाल! BJP ने किया पलटवार
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Bhagwant Mann comment on Modi: देश की राजनीति में अचानक एक तंज़ीला बयान ऐसा भूकंप ले आया, जिसकी गूंज दिल्ली से लुधियाना और विदेश मंत्रालय से लेकर सोशल मीडिया तक सुनाई दे रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं को लेकर ऐसा तंज कसा, जिसने सत्ता पक्ष को झकझोर दिया और विदेश मंत्रालय को बयान जारी करने पर मजबूर कर दिया। शब्द थे तो हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहे गए, लेकिन असर इतना तेज़ कि केंद्र सरकार से लेकर बीजेपी तक ने मोर्चा खोल दिया। और अब ये बहस उठ गई है क्या भगवंत मान ने प्रधानमंत्री के सम्मान को ठेस पहुंचाई है या एक लोकतांत्रिक मुखिया होने के नाते उन्होंने एक कड़ा, पर सही सवाल पूछने की हिम्मत की?

घाना गए हैं... या गलवेशिया? कॉमेडी से कंट्रोवर्सी तक

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पानी संकट के मुद्दे पर बोल रहे थे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने अचानक प्रधानमंत्री की हालिया विदेश यात्राओं का ज़िक्र छेड़ दिया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा प्रधानमंत्री जी घाना गए हैं? चलो, चलो, देश में स्वागत करेंगे। पता नहीं कौन-कौन सी कंट्री जाते हैं मैग्नेसिया, गलवेशिया, तरवेशिया... दस हज़ार की आबादी वाले देश। जहां जेसीबी चलती है, वहां दस हज़ार लोग देखने आ जाते हैं। इतना ही नहीं, भगवंत मान ने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 11 साल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, मैं हर दिन करता हूं। यानि एक ओर जनता से संवाद का तंज़, दूसरी ओर विदेश नीति पर गंभीर कटाक्ष।

बयान नहीं, राजनीतिक विस्फोट था

सीएम मान का यह बयान कुछ घंटों में ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बीजेपी नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री पद का अपमान करार दिया। और फिर सामने आया विदेश मंत्रालय का तीखा जवाब। विदेश मंत्रालय ने बिना नाम लिए बयान को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और पद की गरिमा के ख़िलाफ़ बताया। आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ये टिप्पणियां भारत और ग्लोबल साउथ के हमारे मित्र देशों के रिश्तों को कमजोर करती हैं। भारत सरकार ऐसी अनुचित टिप्पणियों से खुद को अलग करती है। बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन ने भगवंत मान को कॉमेडियन की भूमिका से बाहर निकलने की सलाह दी। उन्होंने कहा, अब भी वो सीएम की कुर्सी पर बैठकर स्टेज कॉमेडी कर रहे हैं। उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। बीजेपी महासचिव तरुण चुघ ने तो मांग कर डाली कि भगवंत मान को तुरंत माफ़ी मांगनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए।

क्या विदेश यात्राएं सचमुच बेकार हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2-9 जुलाई के बीच घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया की यात्रा पर थे। इस दौरान उन्हें चार देशों ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। प्रधानमंत्री को अब तक 27 अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए रिकॉर्ड है। बीजेपी इसे ग्लोबल लीडरशिप का प्रतीक मानती है, जबकि विपक्ष इसे बाहरी सैर-सपाटे से अधिक कुछ नहीं मानता। पर क्या भगवंत मान का बयान सिर्फ़ कटाक्ष था, या उन्होंने वास्तव में प्रधानमंत्री की विदेश नीति की उपयोगिता पर एक गंभीर प्रश्न उठाया? विधानसभा में अपने बयान का बचाव करते हुए भगवंत मान ने कहा मुझे हक़ नहीं कि मैं प्रधानमंत्री से पूछूं कि वे किन देशों में जाते हैं? क्या उन देशों ने पाकिस्तान के खिलाफ हमारा साथ दिया? क्या उनका दौरा वाकई भारत के हित में है, या सिर्फ़ दिखावा है?

क्लास जोकर या लोकतांत्रिक सवालकर्ता?

भगवंत मान के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया और मीडिया में ज़बरदस्त बहस छिड़ चुकी है। एक वर्ग मानता है कि वे अभी तक कॉमेडियन के अंदाज़ में राजनीति कर रहे हैं। लेकिन दूसरा वर्ग उन्हें जनता की ओर से सरकार से सवाल पूछने वाला इकलौता मुख्यमंत्री कह रहा है। एक यूज़र ने लिखा, भगवंत मान ने जो कहा, वो सच है। पीएम को छोटे देशों में घूमने से पहले मणिपुर में शांति लाने की कोशिश करनी चाहिए थी। वहीं बीजेपी समर्थकों का कहना है कि अगर किसी विदेशी नेता ने मोदी के बारे में ऐसा कहा होता, तो देशभर में विरोध होता।

राजनीतिक कॉमेडी या राष्ट्रहित का करारा तमाचा?

बात अब सिर्फ़ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के तंज़ की नहीं रह गई है। सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं प्रचार का साधन बन गई हैं? क्या किसी मुख्यमंत्री को यह पूछने का अधिकार नहीं है कि इन यात्राओं से क्या लाभ हुआ? क्या लोकतंत्र में आलोचना की जगह खत्म होती जा रही है? भगवंत मान का जेसीबी वाला बयान जितना चुटीला था, उतना ही राजनीतिक विस्फोटक भी। अब देखना यह है कि यह तंज़ भगवंत मान के खिलाफ़ सज़ा बनता है या उन्हें जनता का और बड़ा समर्थन दिलाता है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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