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India-Nepal Border: गंभीर चुनौती, नेपाल-भारत सीमा पर मिशनरी का धर्मांतरण का बढ़ रहा खेल
India-Nepal Border: धर्मांतरण से सुरक्षा और सांस्कृतिक संतुलन के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है जो कि सांप्रदायिक सौहार्द को भी बिगाड़ रहा है
India Nepal Border News (Social Media image)
India-Nepal Border:भारत और नेपाल के बीच की खुली सीमा, जो लंबे समय से दोनों देशों के मजबूत सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों का प्रतीक रही है, अब धर्मांतरण की बढ़ती गतिविधियों के कारण एक गंभीर चुनौती बन गई है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और बिहार के पश्चिम चंपारण जैसे सीमावर्ती जिले, जो नेपाल के रूपनदेही, कपिलवस्तु, नवलपरासी और पर्सा जिलों से सटे हैं, वहाँ से धर्मांतरण के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।
धर्मांतरण की छिपी रणनीति और भारत पर खतरा
सीमा क्षेत्र में सक्रिय कुछ विदेशी मिशनरी संगठन गरीब, अशिक्षित और वंचित समुदायों को निशाना बना रहे हैं। ये संगठन लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, भोजन, कपड़े और पैसों का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। नेपाल के ग्रामीण इलाकों में, जहाँ रोज़गार और सरकारी सहायता का अभाव है, वहाँ धर्मांतरण के लिए पहले से ही अनुकूल जमीन मौजूद है। रिपोर्टों के अनुसार, हिंदू और बौद्ध परिवारों को यह कहकर बहकाया जाता है कि "ईसा मसीह ही अंतिम सत्य हैं और उनके अनुयायी होने पर स्वर्ग की प्राप्ति निश्चित है।" धर्मांतरण के बाद इन लोगों को नई पहचान, आर्थिक मदद और कभी-कभी विदेश जाने के झूठे सपने भी दिखाए जाते हैं।
यह गतिविधि केवल नेपाल तक सीमित नहीं है। चूंकि भारत और नेपाल के बीच एक खुली सीमा है, ये मिशनरी भारत के सीमावर्ती गांवों तक भी अपनी पहुँच बना रहे हैं। कुछ रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि नेपाल के रास्ते मिशनरी भारत में प्रवेश कर गुप्त रूप से प्रचार और धर्मांतरण कर रहे हैं। यह न केवल सांस्कृतिक मूल्यों पर हमला है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी गंभीर खतरा है। नेपाल के कुछ हिस्सों में बढ़ती धार्मिक असंतुलन की वजह से सामाजिक तनाव की संभावना बढ़ गई है, जिसका सीधा असर भारत पर पड़ सकता है।
खुली सीमा: सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती
भारत और नेपाल के बीच लगभग एक हज़ार किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जहाँ दोनों देशों के नागरिक बिना पासपोर्ट के आ-जा सकते हैं। सिद्धार्थनगर के बरनी बॉर्डर जैसे कुछ क्षेत्रों में तो दूरी पचास मीटर से भी कम है। यह सुविधा असामाजिक तत्वों और आतंकवादियों के लिए भारत में घुसपैठ करने का एक पसंदीदा रास्ता बन गई है।
जानकारों का मानना है कि इस खुली सीमा का दुरुपयोग पहले भी हो चुका है। उदाहरण के तौर पर, गोरखपुर का दिलशाद बेग नामक व्यक्ति नेपाल में बस गया, नेपाली नागरिकता हासिल की और संसद का चुनाव जीतकर सांसद बना। आरोप है कि उसने नेपाल में कई मुस्लिमों को नेपाली नागरिकता दिलाने में मदद की और बाद में पाकिस्तान की आईएसआई के लिए एजेंट के रूप में काम करते हुए भारत में तस्करी और घुसपैठ में शामिल हो गया। माना जाता है कि छोटा राजन गैंग ने भारत के लिए खतरा बन रहे दिलशाद मिर्ज़ा की हत्या नेपाल में ही करवाई थी।
आगे की राह: भारत-नेपाल को मिलकर बनानी होगी रणनीति
धर्मांतरण के इस गुप्त खेल को रोकने के लिए दोनों देशों द्वारा किए गए प्रयास अब तक नाकाफी साबित हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और नेपाल दोनों सरकारों को मिलकर एक ठोस रणनीति बनानी होगी। इसमें शामिल हैं:
सीमा क्षेत्र में निगरानी को मजबूत करना।
फर्जी एनजीओ पर सख्ती करना।
स्थानीय समुदायों में जागरूकता फैलाना।
शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार कर वंचित समुदायों को सशक्त बनाना, ताकि वे किसी भी प्रकार के प्रलोभन का शिकार न बनें।
यदि इस गंभीर चुनौती को अब भी अनदेखा किया गया, तो यह सीमावर्ती क्षेत्र सांस्कृतिक असंतुलन और सामाजिक विघटन का शिकार बन सकता है, जिसके दीर्घकालिक गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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