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नेहरू पर FIR! ‘जवाहरलाल नेहरू बनाम भारत सरकार’ मुकदमा चलेगा, संसद में जो हुआ वाक़ई देखने वाला है
Jawaharlal Nehru vs Government of India: संसद में नेहरू बनाम भारत सरकार का ‘काल्पनिक मुकदमा’! आरजेडी सांसद मनोज झा ने ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की रणनीति को घेरा और पीएम मोदी की चुप्पी पर तंज कसा।
Jawaharlal Nehru vs Government of India: संसद का सत्र गर्मियों में शुरू होता है, लेकिन इस बार तापमान कुछ खास ही बढ़ गया और कारण बना ऑपरेशन सिंदूर पर बहस। विषय था सुरक्षा का लेकिन चर्चा में बार-बार प्रकट हो गए पंडित जवाहरलाल नेहरू ऐसा लगा जैसे 'नेहरू नामक आत्मा' का विशेष सत्र बुला लिया गया हो। आरजेडी सांसद प्रो. मनोज झा, जिनकी वाणी में व्यंग्य का सधी हुई लहर है, ने राज्यसभा में ऐसा भाषण दिया कि सरकार के गलियारों में हल्की सिहरन दौड़ गई। उन्होंने कहा, नेहरू लाइफ ब्रीथ हैं इस सरकार की। यानी जहाज डूबता है, तो सरकार ‘नेहरू-नेहरू’ फूंकने लगती है मानो नेहरू ऑक्सीजन का कनस्तर हों और विपक्ष उनका रिफिल स्टेशन।
नेहरू हर जगह हैं, जैसे भूतिया हवेली में पुराना फ्रेम
मनोज झा ने तंज कसा, मैंने पिछले सदन में ही कहा था बेहतर है मुकदमा कर दीजिए ‘जवाहरलाल नेहरू बनाम भारत सरकार’। विपक्ष वकील बन जाएगा, सरकार अभियोजन पक्ष। और नेहरू? वो तो हमेशा हाज़िर हैं ही कहीं मेट्रो में, कहीं मणिपुर में, और कभी-कभी टीवी डिबेट में भी। झा का यह ‘नेहरू-संदेश’ सीधे सरकार के उन प्रवक्ताओं के लिए था जो हर विफलता को नेहरू की ‘राजनीतिक विरासत’ की पैदाइश बताते हैं। अगर नेहरू आज भी आपको चैन से नहीं बैठने दे रहे। उन्होंने कहा, तो समझ लीजिए कुछ तो बात थी उस बंदे में।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार की स्क्रिप्ट और विपक्ष का संपादन
अब आते हैं असली मुद्दे पर ऑपरेशन सिंदूर। सरकार ने इसे गर्व से ‘शौर्यगाथा’ बताया लेकिन झा बोले कि यह घटना पहलगाम की सामूहिक पीड़ा का नतीजा है, न कि किसी ‘कंट्रोल्ड मिशन’ का क्लाइमैक्स। आप उपलब्धियों का जश्न मनाइए, वे बोले, पर 26 लोगों की मौत पर मौन क्यों? खुफिया तंत्र में कौन सो रहा था? ये सवाल ऐसे थे जैसे क्लास में टीचर से कोई छात्र पूछ ले सर, ये तो आपने पढ़ाया ही नहीं! झा ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा कोई स्लोगन नहीं है जिसे चुनावी रैलियों में उछालें। ये बायोमेट्रिक अटेंडेंस नहीं कि स्कैन किया और रिकॉर्ड हो गया।
‘सिंदूर’ को पाठ्यक्रम में शामिल करें, पर संपूर्ण कथा के साथ
सरकार अगर ऑपरेशन सिंदूर को एनसीईआरटी की किताबों में शामिल करना चाहती है, तो झा की शर्त थी: “पूरा सच भी पढ़ाना होगा प्री-ऑपरेशन इंटेलिजेंस फेलियर से लेकर पोस्ट-ऑपरेशन मीडिया सेलिब्रेशन तक। वरना ये इतिहास नहीं, टेलीग्राम चैनल फॉर गवर्नमेंट अपडेट्स बन जाएगा, जिसमें सिर्फ वही आता है जो सत्ता को अच्छा लगे।
‘बोलते हैं नेता, चुप हैं प्रधानमंत्री’ ये भी कोई मंत्र है?
मनोज झा का निशाना बीजेपी सांसदों पर भी था, जिन्होंने पहलगाम में शहीद हुई महिलाओं पर असंवेदनशील टिप्पणियां की थीं। झा बोले, जब आपकी पार्टी के नेता सेना का अपमान करते हैं, प्रधानमंत्री क्यों चुप रहते हैं? मोदी जी, ये चुप रहना अब आचार नहीं, प्रचार हो गया है। उन्होंने चेताया कि सत्ता का मतलब सिर्फ 'हेडलाइनों का प्रबंधन' नहीं है प्रस्तावना में जो "हम भारत के लोग" लिखा है, उसमें हम अभी भी बाकी हैं। प्रो. झा का भाषण एक तरफ़ भावुक अपील था आपकी सुरक्षा नीति में कितनी सुरक्षा है? और दूसरी तरफ करारा व्यंग्य नेहरू छोड़िए, अब अपना खाता संभालिए। जहां सरकार ऑपरेशन सिंदूर को ‘विजय गाथा’ बना रही है, वहीं विपक्ष पूछ रहा है कि अगर जीत है, तो हार कहां हुई? और संसद के गलियारे में इस बार नारे नहीं, प्रश्न गूंज रहे हैं ‘नेहरू नहीं, नीयत देखिए।’
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