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पहलगाम हमला: सिर्फ आतंकी नहीं, पाकिस्तान की सेना और हुकूमत ने रची थी मौत की साज़िश — ISI के इशारे पर लश्कर ने उतारे विदेशी आतंकी

Pahalgam Terror Attack: 26 मासूमों की जान लेने वाला यह हमला केवल आतंक का मामला नहीं, बल्कि अब यह साफ हो चुका है कि यह हमला पाकिस्तान की गहरी साज़िश और उसकी सरकारी मंज़ूरी से अंजाम दिया गया एक खूनी खेल था।

Newstrack Network
Published on: 15 July 2025 1:51 PM IST
Pahalgam terror attack
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Pahalgam terror attack

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर की वादियों में बसे शांत, सुरम्य और पर्यटकों से गुलजार पहलगाम को 22 अप्रैल की सुबह लहूलुहान कर दिया गया। 26 मासूमों की जान लेने वाला यह हमला केवल आतंक का मामला नहीं, बल्कि अब यह साफ हो चुका है कि यह हमला पाकिस्तान की गहरी साज़िश और उसकी सरकारी मंज़ूरी से अंजाम दिया गया एक खूनी खेल था।

भारत की शीर्ष सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से मिली रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के निर्देश पर अंजाम दिया गया।

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सिर्फ विदेशी आतंकी, कश्मीरी नहीं लिए गए भरोसे में


रिपोर्ट के अनुसार, ISI ने विशेष आदेश दिए थे कि हमले में केवल पाकिस्तानी मूल के विदेशी आतंकियों का इस्तेमाल किया जाए। इसके पीछे मकसद था— गोपनीयता बनाए रखना और स्थानीय आतंकियों की संलिप्तता से बचते हुए किसी सुराग को बाहर न निकलने देना।

लश्कर कमांडर साजिद जट के नेतृत्व में, हाशिम मूसा उर्फ सुलैमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई को पाकिस्तान से विशेष रूप से इस हमले के लिए भेजा गया। इनके साथ स्थानीय सहयोगी आदिल हुसैन ठोकर को केवल बुनियादी लॉजिस्टिक सपोर्ट तक सीमित रखा गया।

TRF: पाकिस्तान का ‘क्लीन शेव’ आतंकी चेहरा

हमले की जिम्मेदारी जिस संगठन The Resistance Front (TRF) ने ली, वह लश्कर-ए-तैयबा का ही दूसरा नाम है। TRF का इस्तेमाल पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए करता है, ताकि जब FATF जैसी संस्थाएं आतंकी गतिविधियों पर सवाल उठाएं तो वह यह कह सके कि इनका लश्कर से कोई संबंध नहीं।

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मददगार गिरफ्तार, NIA की जांच में खुलासा

हमले के बाद की जांच में दो स्थानीय नागरिक — परवेज़ अहमद जोठर और बशीर अहमद जोठर — को गिरफ्तार किया गया है। NIA की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों को हमलावरों की आतंकी पहचान की जानकारी थी, बावजूद इसके इन्होंने आतंकियों को छिपाने, खाना देने और मदद करने का काम किया।

भारत का जवाब: ऑपरेशन “सिंदूर” में तबाही


भारत ने इस बर्बर हमले का जवाब 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में दिया। इस गुप्त सैन्य अभियान में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सुबह-सुबह बमबारी की, जिसमें कम से कम 100 आतंकी मारे गए।

इसके बाद चार दिनों तक भारत और पाकिस्तान के बीच ड्रोन, मिसाइल और लंबी दूरी की तोपों से जवाबी हमले होते रहे। अंततः 10 मई को दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने का समझौता किया, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब ‘सिर्फ़ निंदा नहीं, ठोस जवाब मिलेगा।’

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विश्लेषण: जब हमले को अंजाम देती है एक सरकार

यह हमला सिर्फ आतंकियों की करतूत नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान की स्वीकृति से चलाए जा रहे राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का जीता-जागता उदाहरण है। जिस तरह से इस हमले में पाकिस्तान की सेना, खुफिया एजेंसी और सरकारी हुक्मरानों की मिलीभगत सामने आई है, वह भारत को अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और आक्रामक रुख अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

अब सवाल उठते हैं…

• क्या FATF पाकिस्तान को फिर “ग्रे लिस्ट” में डालेगा?

• क्या संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका जैसे देशों की आंखें अब भी बंद रहेंगी?

• क्या भारत अब अपनी नीति में और आक्रामक मोड़ लाएगा?

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पहलगाम हमला एक घटना नहीं, बल्कि हमें यह याद दिलाने वाला जख्म है कि पाकिस्तान की नीयत कभी बदलने वाली नहीं। और अब भारत भी वह नहीं रहा जो सिर्फ़ बैठकें करता था। आज का भारत कार्रवाई करता है, और दुश्मन को वहीं जाकर मारता है।

यह सिर्फ जवाब नहीं, संदेश था। और शायद चेतावनी भी।

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Priya Singh Bisen

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