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INDIA गठबंधन में पड़ी दरार! हिंदी को लेकर उद्दव ठाकरे ने स्टालिन से किया किनारा, बोले- हम हिंदी विरोधी नही

Hindi Imposition Row: शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन से दूरी बनाते हुए स्पष्ट किया है कि वह हिंदी विरोधी नहीं है। जबकि वो प्राथमिक शिक्षा में जबरन हिंदी थोपने के खिलाफ है। संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी बोली जाती है हमारी लड़ाई सिर्फ थोपने के खिलाफ है।

Shivam Srivastava
Published on: 6 July 2025 8:17 PM IST
INDIA गठबंधन में पड़ी दरार! हिंदी को लेकर उद्दव ठाकरे ने स्टालिन से किया किनारा, बोले- हम हिंदी विरोधी नही
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Hindi Imposition Row: भाषा थोपने के मुद्दे पर देशभर में चल रही बहस के बीच उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव) ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से अपने मतभेद को सार्वजनिक कर दिया है। पार्टी का कहना है कि वह हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है। वह केवल प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर किसी भी भाषा को जबरन थोपने का विरोध करती है।

दरअसल, स्टालिन ने हाल ही में ठाकरे बंधुओं की एक रैली की सराहना करते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि हिंदी थोपने के विरोध में उठी आवाज अब महाराष्ट्र की सीमाओं तक सीमित नहीं रही है। राज्यभर में विरोध की लहर बन चुकी है। उन्होंने उद्धव ठाकरे की रैली और उनके भाषण को प्रेरणास्पद बताया था।

उद्धव सेना ने स्टालिन से किया किनारा

हालांकि उद्धव ठाकरे की पार्टी ने स्टालिन के इस समर्थन को ज्याददा तवज्जो नहीं दी। पार्टी नेता संजय राउत ने साफ कहा कि स्टालिन का रुख पूरी तरह हिंदी के खिलाफ झुकाव वाला है। जबकि महाराष्ट्र में हालात और सोच दोनों अलग हैं। उन्होंने कहा, स्टालिन का विरोध शायद इस हद तक है कि न वे हिंदी बोलते हैं और न किसी को बोलने देना चाहते हैं। लेकिन हम हिंदी बोलते हैं। यहां हिंदी फिल्में, थिएटर और संगीत की गहरी उपस्थिति है। हमने कभी किसी को हिंदी बोलने से रोका नहीं है। हमारी लड़ाई केवल प्राथमिक स्कूलों में जबरन हिंदी पढ़ाए जाने के खिलाफ है।

ठाकरे बंधुओं का विरोध किसी भाषा के खिलाफ नहीं

राउत ने यह भी कहा कि ठाकरे बंधुओं का विरोध किसी भाषा के खिलाफ नहीं है। उनका विरोध शिक्षा में विविधता और मातृभाषा के सम्मान के लिए है। उन्होंने स्टालिन को उनकी भाषा की लड़ाई के लिए शुभकामनाएं दीं लेकिन दोहराया कि UBT का संघर्ष पूरी तरह भिन्न है।

दो दशक बाद एक साथ आये ठाकरे बंधु

यह बयान उस वक्त आया है जब करीब दो दशक बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर एकजुट दिखाई दिए। इस रैली में दोनों नेताओं ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ एकजुटता दिखाई जिसे स्टालिन ने एक ऐतिहासिक कदम बताया था।

हिंदी को पांचवी कक्षा तक अनिवार्य करने का फैसला हुआ वापस

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा पहली से पांचवीं तक हिंदी अनिवार्य करने के फैसले को वापस ले लिया था। उद्धव ठाकरे ने इसका स्वागत करते हुए कहा था कि हमें हिंदी भाषा से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन मराठी की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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