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Shashi Tharoor: कांग्रेसी हो कर कांग्रेस के न रहे थरूर: पार्टी में घमासान, आरपार की नौबत
Shashi Tharoor: थरूर की भाजपा से नजदीकियां, अपनी बेबाकी और पार्टी लाइन से अलग राय उन्हें न सिर्फ सुर्खियों में बनाये हुए है बल्कि एक विस्मयकारी राजनीतिक खींचतान के केंद्र में रख दिया है।
Shashi Tharoor
Shashi Tharoor: कांग्रेस के सीनियर नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर को लेकर कांग्रेस में आर या पार की स्थिति बन गई है। थरूर एक के बाद एक ऐसे बयान दे रहे हैं जो कांग्रेस की पार्टी लाइन के विपरीत हैं। इससे पार्टी के भीतर अजीबोगरीब स्थिति बन गई है। सवाल उठ खड़े हुए हैं कि आखिर थरूर हैं किस पार्टी में?
थरूर की भाजपा से नजदीकियां, अपनी बेबाकी और पार्टी लाइन से अलग राय उन्हें न सिर्फ सुर्खियों में बनाये हुए है बल्कि एक विस्मयकारी राजनीतिक खींचतान के केंद्र में रख दिया है।
क्या हुआ अब?
ताज़ा घटनाक्रम में केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि शशि थरूर को अब पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा, जब तक वह राष्ट्रीय सुरक्षा पर पार्टी की आधिकारिक लाइन नहीं अपनाते। यह बयान कांग्रेस के भीतर गहराते मतभेदों की सार्वजनिक अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है।दरअसल, विवाद की शुरुआत तब हुई जब थरूर ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि - देश पहले आता है, फिर कोई सरकार या राजनीतिक पार्टी।
उन्होंने नेहरू के प्रसिद्ध कथन "जब भारत ही खत्म हो जाएगा तो कौन जीवित बचेगा?' को दोहराते हुए सफाई दी कि राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रहित के मुद्दों पर उन्हें किसी दलगत विचारधारा की इजाजत की जरूरत नहीं है। थरूर ने यह भी कहा कि अगर किसी नीति को वह राष्ट्रहित में पाते हैं, भले ही वो सरकार की नीति हो तो उसका समर्थन करना गलत नहीं है।
हमलावर हुई कांग्रेस
थरूर के बयान पर केरल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता के. मुरलीधरन ने कड़े शब्दों में कहा - शशि थरूर अब हमारे साथ नहीं हैं। जब तक वह पार्टी लाइन के अनुसार बात नहीं करते, उन्हें किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाएगा। मुरलीधरन ने यह भी कहा कि पार्टी हाईकमान को थरूर के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
पहले के विवाद
इमरजेंसी पर लेख: जून 2025 में थरूर ने एक लेख में इमरजेंसी को "भारत का काला अध्याय" बताया था। इसे लेकर पार्टी के भीतर कड़ा असंतोष जताया गया।
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' पर थरूर ने खुल कर मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ की। फिर, थरूर को सरकार ने भारत का पक्ष रखने की कवायद के तहत विदेश दौरे पर भेजा जबकि कांग्रेस पार्टी ने थरूर को जाने की अनुमति नहीं दी थी। कांग्रेस नेतृत्व ने इस पर उन्हें घेरा था।
मुख्यमंत्री पद की चर्चा: कुछ समय पहले केरल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने थरूर को भावी मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करना शुरू किया, जिसे के. मुरलीधरन ने पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ करार दिया।
थरूर भी अड़े
तमाम विवाद और पार्टी में विरोध व असहजता के बावजूद थरूर अपनी लाइन पर अड़े हुए हैं। उनका एक ही जवाब है - मैं अपने बयान पर कायम हूं। उन्होंने अपनी पोजीशन साफ कर दी है कि वे अपनी बात से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि, मैंने जो भी कहा वह राष्ट्रहित में था। मैंने जो कहा उसपर मुझे अफ़सोस नहीं है। मैं किसी पार्टी की निंदा नहीं कर रहा, लेकिन देश को सर्वोपरि मानता हूं, स्वतंत्र सोच रखने का अधिकार सभी को है।थरूर ने ये भी कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।
जो कुछ चल रहा है उससे कांग्रेस के अंदर अब उहापोह की स्थिति है। थरूर के विरोधी कह रहे हैं कि वो पार्टी लाइन का उल्लंघन कर रहे हैं और भाजपा की भाषा बोल रहे हैं,उन पर कार्रवाई होनी चहिते। वहीं, थरूर के समर्थक थोड़ा नरम रुख रखते हुए थरूर के विचारों को सिर्फ निजी राय बता रहे हैं। जहां तक हाईकमान की बात है तो वहां अभी चुप्पी है लेकिन मुमकिन है कि भीतरी दबाव के चलते थरूर पर कुछ कार्रवाई का निर्णय ले लिया जाये।
कुछ थरूर के बारे में
68 वर्षीय शशि थरूर वे 2009 से लगातार तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं। वेअंतरराष्ट्रीय मंचों पर कांग्रेस का बौद्धिक चेहरा रहे हैं। थरूर ने अमेरिका के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से पीएचडी की है, इसीलिए उन्हें डॉ. थरूर कहा जाता है। थरूर संयुक्त राष्ट्र में अंडर सेक्रेटरी जनरल होने के अलावा, केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री भी रह चुके हैं।।इंग्लिश भाषा में उत्कृष्ट और पारंगत, शशि थरूर ने 20 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं।
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