कांग्रेस निष्कासित होकर ही क्या मानेंगे थरूर? आपातकल को लेकर साधा अपनी ही पार्टी पर निशाना, बोले- आज का भारत 1975 वाला नहीं

Shashi Tharoor Criticize Congress: शशि थरूर ने कांग्रेस पार्टी पर आपातकाल को लेकर तंज कसा है और कहा है कि क्या वे केवल पार्टी से निष्कासित होने के बाद ही स्वीकार्य होंगे। उन्होंने कहा कि आज का भारत 1975 जैसा नहीं है और इमरजेंसी के दौरान हुए अधिकारों के हनन को भूलना नहीं चाहिए। लोकतंत्र की रक्षा आवश्यक है।

Shivam Srivastava
Published on: 10 July 2025 4:31 PM IST
कांग्रेस निष्कासित होकर ही क्या मानेंगे थरूर? आपातकल को लेकर साधा अपनी ही पार्टी पर निशाना, बोले- आज का भारत 1975 वाला नहीं
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Shashi Tharoor Criticize Congress: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने 1975 की इमरजेंसी को लेकर एक बेबाक लेख लिखा है। लेख में उन्होंने इस दौर को केवल एक ऐतिहासिक गलती नहीं उसके साथ लोकतंत्र के लिए एक स्थायी चेतावनी करार दिया है। मलयालम अखबार दीपिका में प्रकाशित इस लेख में थरूर ने कहा कि हमें इमरजेंसी को भूलना नहीं चाहिए। जबकि, उससे जरूरी सबक सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।

शशि थरूर ने इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के उस कालखंड का जिक्र करते हुये कहा, उस दौर में अनुशासन और राष्ट्रीय व्यवस्था के नाम पर जो नीतियाँ लागू की गईं। वे कई बार मानवाधिकारों और संवैधानिक मूल्यों को कुचलने वाली साबित हुईं। उन्होंने संजय गांधी द्वारा चलाए गए नसबंदी अभियान को इसका प्रमुख उदाहरण बताया। जिसमें लाखों गरीब लोगों पर जबरन सर्जरी करवाई गई और विरोध करने वालों को दमन का सामना करना पड़ा। दिल्ली और अन्य शहरों में झुग्गियों को तोड़ा गया जिससे हजारों लोग बेघर हो गए।

लोकतंत्र एक नाजुक लेकिन अमूल्य धरोहर

शशि थरूर ने लिखा कि लोकतंत्र एक नाजुक लेकिन अमूल्य धरोहर है। जिसे केवल कानूनों से नहीं, बल्कि निरंतर सतर्कता और जिम्मेदारी से सुरक्षित रखा जा सकता है। उनका मानना है कि आज का भारत 1975 के भारत से काफी आगे बढ़ चुका है। हम अधिक आत्मविश्वासी, अधिक जागरूक और संस्थागत रूप से मजबूत लोकतंत्र बन चुके हैं। फिर भी सत्ता का केंद्रीकरण, असहमति को दबाने की प्रवृत्तियाँ और संवैधानिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करने का खतरा आज भी बरकरार है।

लोकतांत्रिक संस्थाओं को किनारे करना बहुत ही खतरनाक

कांग्रेस सांसद ने आगाह किया कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा ‘राष्ट्रहित’ या ‘स्थिरता’ के नाम पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को दरकिनार किया जाना बहुत खतरनाक हो सकता है। ऐसे में लोकतंत्र के संरक्षक चाहे वे जनप्रतिनिधि हों या आम नागरिक को हमेशा सतर्क और सजग रहना चाहिए।

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Shivam Srivastava

Shivam Srivastava is a multimedia journalist with over 4 years of experience, having worked with ANI (Asian News International) and India Today Group. He holds a strong interest in politics, sports and Indian history.

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