UPI New Rules: UPI यूज़र्स सावधान! सब पर लगेगी लिमिट; 1 अगस्त से लागू होंगे ये 7 नियम, नहीं माना तो फंस सकते हैं

New Rule 1 August: 1 अगस्त 2025 से यूपीआई यूज़ करने वालों के लिए बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यदि आप प्रतिदिन फोनपे, गूगल पे या पेटीएम जैसे यूपीआई ऐप्स के माध्यम से पेमेंट करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत आवश्यक है।

Priya Singh Bisen
Published on: 23 July 2025 4:14 PM IST
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New Rule 1 August: 1 अगस्त 2025 से यूपीआई यूज़ करने वालों के लिए बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यदि आप प्रतिदिन फोनपे, गूगल पे या पेटीएम जैसे यूपीआई ऐप्स के माध्यम से पेमेंट करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत आवश्यक है।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने यूपीआई को और रफ़्तार, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नए नियम लागू किए हैं। ये नियम आपको टेक्निकल लग सकते हैं, लेकिन इनका प्रभाव आपकी रोजमर्रा की डिजिटल माध्यम से किये जाने वाले पेमेंट्स पर पड़ेगा।

जानकारी के मुताबिक, भारत में हर महीने यूपीआई से लगभग 16 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन किये जाते हैं। लेकिन कई बार सर्वर में बाधा या देरी की शिकायतें आती हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए NPCI ने 7 महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

अब बैलेंस चेक करने में होगी लिमिट...

सबसे पहला बदलाव है रोजाना बैलेंस चेक करने की लीमिट। अब आप एक दिन में अपने यूपीआई ऐप से केवल 50 बार बैलेंस चेक पाएंगे। बार-बार बैलेंस चेक करने से सर्वर पर भारी दबाव पड़ता है, जिससे ट्रांजैक्शन स्लो हो जाता है।

अक्सर लिंक बैंक अकाउंट्स को चेक किये जाने पर लीमिट

आप अपने मोबाइल नंबर से लिंक बैंक अकाउंट्स को दिन में केवल 25 बार चेक कर सकेंगे। इससे सिस्टम में अनावश्यक रूप से सर्वर पर दबाव कम पड़ेगा और फ्रॉड की संभावना भी कम होगी।

ऑटोपे ट्रांजैक्शन से जुड़ा परिवर्तन

ऑटोपे ट्रांजैक्शन जैसे नेटफ्लिक्स या म्यूचुअल फंड की किश्त अब केवल तीन वक़्त स्लॉट में प्रोसेस होंगे। ये वक़्त है सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर के 1 से 5 बजे और रात 9:30 बजे के बाद। इससे पीक आवर्स में सर्वर पर दबाव कम पड़ेगा।

बार-बार ट्रांजैक्शन स्टेट्स चेक करने की लीमिट

चौथा बदलाव है ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करने की लिमिट। अब आप किसी फेल ट्रांजैक्शन का स्टेटस दिन में मात्र तीन बार ही देख पाएंगे, और हर चेक के बीच लगभग 90 सेकंड का गैप होना आवश्यक है। बार-बार स्टेटस चेक करने से सिस्टम पर दबाव पड़ता है जिससे सर्वर धीमा हो जाता है।

पेमेंट करने से पहले देख पाएंगे बैंक का नाम

आपको बता दे, 1 अगस्त से पहले 30 जून से पहले ही लागू हो चुका नियम है कि पेमेंट करने से पहले रिसीवर का रजिस्टर्ड बैंक नाम देख पाना। इससे गलत अकाउंट में पैसे जाने की संभावना या फ्रॉड का खतरा कम हुआ है।

पेमेंट रिवर्सल की लीमिट

चार्जबैक यानी पेमेंट रिवर्सल की लिमिट सेट कर दी गयी है। आप मात्र 30 दिन में 10 बार और किसी एक व्यक्ति या संस्था से 5 बार ही चार्जबैक मांग सकते हैं।

बैंकों और ऐप्स के लिए आदेश

इसके अलावा NPCI ने बैंकों और ऐप्स को आदेश दिए हैं कि वे API यूज को मॉनिटर करें, ताकि सिस्टम में कोई समस्या उत्पन्न न हो। इन बदलावों का उद्देश्य UPI को तेज और बेहतर बनाना है। बार-बार बैलेंस चेक करने या स्टेटस रिफ्रेश करने की आदत अब बदलनी होगी। ऑटोपे के लिए नॉन-पीक वक़्त का ध्यान रखें और पेमेंट से पहले रिसीवर का नाम अवश्य चेक करें। ये नियम सिस्टम को तेज और सुरक्षित बनाने में सहयोग करेंगे, ताकि आप बिना रुकावट के डिजिटल पेमेंट्स का लाभ उठा सकें।

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