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उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी का बड़ा हमला, बोले: NDA उम्मीदवार का कोई अता-पता नहीं
Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद के उम्मदीवार बी सुदर्शन रेड्डी ने किया तीखा हमला
B Sudershan Reddy
Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने प्रतिद्वंद्वी और सत्ताधारी NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन पर सीधा निशाना साधा है। गत सोमवार को मीडिया से बातचीत में रेड्डी ने कहा कि राधाकृष्णन न तो चुनावी मैदान में नजर आ रहे हैं और न ही जनता के सामने अपनी बात रख रहे हैं। उनका कुछ भी अपा-पता नहीं है।
रेड्डी ने तंज कसते हुए कहा, “मेरे प्रतिद्वंद्वी दिखाई ही नहीं दे रहे। वह बोलते भी नहीं हैं। पता नहीं कहां हैं और क्या कर रहे हैं। अगर दोनों उम्मीदवार खुलकर बात करें तो एक स्वस्थ बहस संभव है। लोगों को भी हमें समझने का अवसर मिलेगा। लेकिन मुझे वह मौका नहीं मिला।”
बी सुदर्शन ने लोकतंत्र पर उठाए गंभीर सवाल
इसके बाद जब बी सुदर्शन से पूछा गया कि उनके इस बयान का क्या मतलब है, तो रेड्डी ने साफ किया कि उनका उद्देश्य बहस और संवाद की कमी पर ध्यान दिलाना था। उन्होंने कहा कि यह चुनाव सिर्फ पद पाने का रास्ता नहीं है, बल्कि जनता से जुड़ने का एक मंच है।
इसके बाद संविधान से जुड़ी चुनौतियों पर सवाल के जवाब में रेड्डी ने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज भारत के निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली में गहरी खामियां हैं। अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले समय में लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है। रेड्डी ने आगे कहा कि संविधान के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है। अगर सुधार नहीं हुए तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा।
"अब मैं विपक्ष का उम्मीदवार हूं"
रेड्डी ने स्पष्ट किया कि अब वह सिर्फ ‘इंडिया’ गठबंधन के नहीं बल्कि पूरे विपक्ष के उम्मीदवार हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे दलों का भी समर्थन है, जो ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके रेड्डी ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी, संविधान से जुड़ी उनकी 53 साल की यात्रा का हिस्सा है। उनके मुताबिक, यह चुनाव भारत के इतिहास में सबसे सभ्य और निष्पक्ष चुनावों में से एक साबित होगा।
"संविधान शक्ति नहीं, सीमाएं तय करता है"
रेड्डी ने देश की विविधता पर जोर देते हुए कहा कि भारत किसी एक विचारधारा या बहुसंख्यकवाद से नहीं चलता। “हमारा समाज बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक है। संविधान किसी को असीमित शक्ति नहीं देता, बल्कि वह शक्ति को नियंत्रित करने का काम करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समय में जब लोकतांत्रिक संस्थाएं अपनी चमक खो रही हैं, तो आवाज उठाना सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने का प्रस्ताव स्वीकार करना भी इसी जिम्मेदारी का हिस्सा है।
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