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Amit Shah in Ranchi: रांची में हुआ सियासी धमाका! हेमंत सोरेन ने किया अमित शाह का सम्मान, ममता की मंत्री भी रही मौजूद
Amit Shah in Ranchi: हेमंत सोरेन, जिनके खिलाफ भाजपा अक्सर भ्रष्टाचार और आदिवासी मुद्दों को लेकर हमलावर रही है, वही हेमंत इस मंच पर केंद्रीय सत्ता के सबसे ताकतवर चेहरे अमित शाह को सम्मानित करते दिखे।
Amit Shah in Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची में मंगलवार को जो हुआ, उसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। मौका था 27वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक का, लेकिन जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, वह था सम्मान और सामंजस्य का वह क्षण जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और पश्चिम बंगाल की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य को सम्मानित किया। मगर क्या यह सचमुच सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम था, या फिर इसके पीछे कोई गहरा राजनीतिक संकेत छिपा है?
हेमंत सोरेन ने किया अमित शाह को सम्मानित
हेमंत सोरेन, जिनके खिलाफ भाजपा अक्सर भ्रष्टाचार और आदिवासी मुद्दों को लेकर हमलावर रही है, वही हेमंत इस मंच पर केंद्रीय सत्ता के सबसे ताकतवर चेहरे अमित शाह को सम्मानित करते दिखे। मुस्कराते चेहरे, कैमरे की चमक, और मंच पर सौहार्द्र की झलक लेकिन अंदर ही अंदर राजनीति के शातिर खिलाड़ी इस दृश्य को तौल रहे हैं कि आखिर यह मेल कैसा है? इस बैठक में सिर्फ बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा ही आमने-सामने नहीं थे, बल्कि बंगाल की ममता बनर्जी का प्रतिनिधित्व कर रही मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य भी मौजूद थीं, जिन्हें भी हेमंत ने सम्मानित किया। ममता और अमित शाह के बीच की तल्ख़ी किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में एक ही मंच पर उनके प्रतिनिधि का बैठना और भाजपा के कद्दावर नेता को सम्मान मिलना ये कोई साधारण संयोग नहीं लगता।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी रहे मौजूद
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी इस बैठक का हिस्सा रहे, जो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के गठबंधन को चुनौती देने की रणनीति में जुटे हैं। यानी एक ही मंच पर पूर्वी भारत की सियासत के तमाम प्रतिनिधि योद्धा एकत्रित थे, जिनकी निगाहें आने वाले चुनावी समीकरणों पर टिकी हैं।
सवाल यह है कि क्या यह मंच सिर्फ योजनाओं और विकास की चर्चा के लिए था या फिर यहां बैठकर सियासी चालें भी चली जा रही थीं? क्या हेमंत सोरेन भाजपा के खिलाफ अपने पुराने तेवरों में बदलाव ला रहे हैं? क्या ममता की तरफ से चंद्रिमा की मौजूदगी 2026 के बंगाल मिशन की झलक दे रही है? और क्या अमित शाह इस सौहार्द्रपूर्ण माहौल के ज़रिए विपक्षी राज्यों में भाजपा की स्वीकार्यता को बढ़ाने का संदेश दे रहे हैं? इस पूरे कार्यक्रम ने यह साफ कर दिया है कि अब राजनीति सिर्फ विरोध और समर्थन के सीमित दायरे में नहीं सिमटी। सम्मान भी एक रणनीति है, और मंच भी एक संकेत। और रांची की यह तस्वीर आने वाले महीनों में बहुत कुछ कहने वाली है शायद वह भी, जो नेताओं की मुस्कान के पीछे फिलहाल छिपा है।
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