TRENDING TAGS :
Dog Walking Earning: मालामाल कर देगा आपका कुत्ता, कभी सोचा था कि डॉग को घुमाकर भी कमाए जा सकते हैं लाखों?
Dog Walking Profession: कुत्तों को घुमाने का काम! सुनने में यह भले ही साधारण लगे लेकिन बड़े महानगरों में यह एक फुल-टाइम, प्रोफेशनल और उच्च आय देने वाला करियर बन चुका है।
Dog Walking Profession
Dog Walking Profession Information: जब बात करोड़ों की कमाई वाले पेशों की होती है, तो हमारे दिमाग में आमतौर पर डॉक्टर, इंजीनियर, बड़े बिजनेसमैन या फिर सॉफ्टवेयर डेवलपर्स जैसे प्रोफेशन ही आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुत्तों को घुमाने का काम यानी Dog Walking भी किसी को लाखों ही नहीं, बल्कि करोड़ों की कमाई करा सकता है? शायद नहीं।
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में जहाँ लोग ऑफिस, ट्रैफिक और डिजिटल दुनिया की भागदौड़ में उलझे हुए हैं वहीं कुछ ऐसे भी पेशे उभर कर सामने आए हैं जो पहले केवल ‘शौक’ माने जाते थे। लेकिन आज सम्मानजनक और लाभदायक प्रोफेशन बन चुके हैं। ऐसा ही एक पेशा है डॉग वॉकिंग।
जी हां लोग अपने पालतू कुत्तों के लिए भरोसेमंद और प्रशिक्षित डॉग वॉकर्स को हायर करते हैं और इसके एवज में मोटी फीस भी देते हैं। यही वजह है कि यह काम अब सिर्फ टाइम पास या छोटे-मोटे जेब खर्च तक सीमित नहीं रहा बल्कि एक उभरता हुआ उद्योग बन चुका है।
डॉग वॉकिंग क्या है और इसकी ज़रूरत क्यों है?
'डॉग वॉकिंग' का शाब्दिक अर्थ है कुत्तों को घुमाने का कार्य। यह सेवा विशेष रूप से पालतू कुत्तों के लिए दी जाती है ताकि वे नियमित रूप से टहल सकें, शारीरिक व्यायाम कर सकें और मानसिक रूप से सक्रिय रह सकें। इस काम को करने वाले व्यक्ति को 'डॉग वॉकर' कहा जाता है। जो किसी और के पालतू कुत्ते को एक निर्धारित समय और दूरी तक घुमाने की ज़िम्मेदारी निभाता है। यह सेवा उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है जो ऑफिस या बिज़नेस में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने पालतू की देखभाल के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते। लेकिन फिर भी उनके स्वास्थ्य और दैनिक ज़रूरतों को लेकर गंभीर होते हैं। खासकर मेट्रो शहरों और शहरी इलाकों में यह सेवा बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। अब यह सिर्फ एक अनौपचारिक काम नहीं बल्कि एक संगठित और प्रोफेशनल पेशा बनता जा रहा है। जिसमें डॉग वॉकर फ्रीलांसर के रूप में एजेंसियों के ज़रिए या मोबाइल ऐप्स के माध्यम से काम कर रहे हैं।
डॉग वॉकिंग का इतिहास और दुनिया में शुरुआत
डॉग वॉकिंग की पेशेवर अवधारणा सबसे पहले अमेरिका में उभरी, खासकर 1960 के दशक में न्यूयॉर्क शहर से। इस सेवा के पहले पेशेवर डॉग वॉकर माने जाते हैं जिम बक, जिन्होंने 1960 में न्यूयॉर्क में बाकायदा डॉग वॉकिंग सेवा की शुरुआत की थी। यह वह समय था जब अमेरिका में शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा था और लोगों की जीवनशैली इतनी व्यस्त होती जा रही थी कि पालतू कुत्तों की देखभाल के लिए उनके पास समय नहीं बचता था। इसी वजह से डॉग वॉकिंग जैसी सेवाओं की मांग बढ़ने लगी। धीरे-धीरे यह चलन यूरोप में भी फैला हालांकि वहाँ इसकी रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी रही। आज अमेरिका में डॉग वॉकिंग एक मल्टी-बिलियन डॉलर इंडस्ट्री बन चुकी है। जिसमें हजारों लोग न सिर्फ डॉग वॉकर के रूप में कार्यरत हैं बल्कि कई लोगों को इससे रोजगार भी मिल रहा है। यह उद्योग आधुनिक जीवनशैली, पालतू पशुओं के प्रति लोगों की संवेदनशीलता और सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था का बेहतरीन उदाहरण बन चुका है।
भारत में डॉग वॉकिंग का बढ़ता चलन और बाजार
भारत में पालतू जानवर पालने का चलन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। खासकर मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में लाखों लोग डॉग पालते हैं। लेकिन तेज़ रफ्तार और व्यस्त जीवनशैली के चलते इन पालतू जानवरों की देखभाल के लिए लोगों को समय निकालना मुश्किल होता जा रहा है। यही कारण है कि डॉग वॉकिंग जैसी सेवाएं अब एक नई जरूरत बनती जा रही हैं। जो न सिर्फ शारीरिक रूप से पालतू जानवरों के लिए लाभदायक हैं बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखती हैं।
भारतीय पालतू उद्योग हर साल लगभग 20% की दर से विकास कर रहा है जिसमें डॉग फूड, एक्सेसरीज़, ग्रूमिंग और देखभाल सेवाएं शामिल हैं। डॉग वॉकिंग भी अब इस बढ़ते हुए सेवा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। भले ही भारत में यह पेशा अमेरिका या यूरोप जितना संगठित न हो लेकिन सामाजिक और व्यावसायिक दृष्टि से यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। जिसे आने वाले वर्षों में और भी अधिक मांग और अवसर मिलेंगे। यह ट्रेंड दर्शाता है कि शहरी भारत अब पालतू जानवरों की देखभाल को एक गंभीर और पेशेवर जरूरत मानने लगा है।
डॉग वॉकिंग से कमाई और व्यावसायिक संभावनाएँ
भारत में डॉग वॉकिंग अब सिर्फ एक सहायक कार्य नहीं रह गया बल्कि यह एक पूर्णकालिक और लाभदायक पेशा बनता जा रहा है। पेशेवर डॉग वॉकर्स की मासिक कमाई ₹20,000 से लेकर ₹1 लाख से भी अधिक तक हो सकती है। यह उनकी सेवा की गुणवत्ता, ग्राहक वर्ग और सेवा क्षेत्र पर निर्भर करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक डॉग वॉकर को एक पालतू कुत्ते को नियमित रूप से टहलाने के लिए औसतन ₹15,000–₹16,000 प्रतिमाह तक मिलते हैं। महाराष्ट्र के एक डॉग वॉकर ने इस क्षेत्र में इतनी सफलता पाई कि उनकी मासिक आमदनी ₹4.5 लाख तक पहुँच चुकी है। जो इस पेशे की संभावनाओं को स्पष्ट करता है।
डॉग वॉकर्स आमतौर पर प्रति डॉग ₹200 से ₹500 तक चार्ज करते हैं और यदि वे एक दिन में 5 से 10 कुत्तों को टहलाते हैं, तो रोज़ाना ₹1,000 से ₹5,000 तक की कमाई कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यदि वे डॉग ट्रेनिंग, ग्रूमिंग, पेट बोर्डिंग जैसी सेवाएँ भी प्रदान करते हैं, तो यह एक फुल-फ्लेज्ड व्यवसाय बन सकता है। जिससे उनकी आमदनी और क्लाइंट बेस दोनों में वृद्धि होती है। कुछ डॉग वॉकर्स तो इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि वे सेलेब्रिटी और उच्च वर्ग के पालतू जानवरों के लिए विशेष सेवाएं प्रदान करते हैं। जिससे न केवल उनकी आय में इज़ाफा होता है बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
युवराज शर्मा और 'Happy Paws' की सफलता की कहानी
भारत में डॉग वॉकिंग को एक संगठित और लाभकारी व्यवसाय बनाने की दिशा में कुछ युवाओं ने मिसाल कायम की है। ऐसा ही एक नाम है पुणे के युवराज शर्मा का जिन्होंने 2018 में MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद 'Happy Paws' नाम से अपनी डॉग वॉकिंग सर्विस शुरू की। शुरुआत में जब उन्होंने यह अनोखा काम चुना, तो समाज के कई लोगों ने इसे मज़ाक समझा। लेकिन युवराज ने अपने जुनून और मेहनत से इस पेशे को सम्मान और सफलता दिलाई।
आज उनके व्यवसाय की मासिक आय ₹2 लाख से भी अधिक है और उन्होंने 10 से ज्यादा लोगों को डॉग वॉकर, ट्रेनर और सहायक के रूप में रोजगार भी दिया है। 'Happy Paws' की सफलता की यह कहानी सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उद्यमिता की मिसाल के रूप में कई बार प्रकाशित हो चुकी है। युवराज शर्मा का सफर यह स्पष्ट करता है कि यदि किसी पारंपरिक 'शौक' को भी प्रोफेशनल सोच के साथ अपनाया जाए, तो वह भी एक लाखों की कमाई वाला व्यवसाय और रोजगार देने वाला स्टार्टअप बन सकता है।
डॉग वॉकिंग के लिए आवश्यक योग्यताएँ और कौशल
हालाँकि यह काम शारीरिक रूप से सरल लगता है लेकिन एक अच्छे डॉग वॉकर बनने के लिए कुछ विशेषताएं ज़रूरी हैं:
• जानवरों के प्रति प्रेम और धैर्य
• डॉग्स के व्यवहार को समझना (Breed-specific habits)
• सेहत और सुरक्षा का ज्ञान
• टाइम मैनेजमेंट
• बेसिक ट्रेनिंग स्किल्स
• EMERGENCY RESPONSE की समझ (जैसे डॉग को चोट लगना, अन्य जानवरों से लड़ाई आदि)
• मोबाइल और ऐप्स के ज़रिए मालिकों को लोकेशन अपडेट देने की आदत
टेक्नोलॉजी और डॉग वॉकिंग
आज का डॉग वॉकिंग पेशा सिर्फ सड़कों पर कुत्तों को घुमाने तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि यह एक आधुनिक, टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड सर्विस बन चुका है। अब ग्राहक मोबाइल ऐप्स के ज़रिए न केवल डॉग वॉकर की बुकिंग कर सकते हैं बल्कि GPS के माध्यम से लाइव ट्रैकिंग, इन-ऐप पेमेंट और रेटिंग-रिव्यू जैसी सुविधाओं का भी लाभ उठा सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म जैसे Wag, Rover और PetBacker ने इस क्षेत्र को ग्लोबल स्तर पर संगठित और भरोसेमंद बनाया है, जहाँ ग्राहक और डॉग वॉकर सीधे जुड़ सकते हैं। वहीं भारत में भी Pawshake India, Fur Ball Story, BarkNBond जैसे स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और स्थानीय स्तर पर तकनीक आधारित सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। इन ऐप्स के ज़रिए ग्राहक सुरक्षित पेमेंट, ट्रस्टेड वॉकर की प्रोफाइल और सीधे संवाद की सुविधा पाते हैं, जिससे सेवा की पारदर्शिता और गुणवत्ता बनी रहती है। डॉग वॉकिंग अब सिर्फ सेवा नहीं बल्कि एक स्मार्ट, ऐप-संचालित प्रोफेशन बन गया है। जो आज के डिजिटल युग की ज़रूरतों और अपेक्षाओं के अनुसार खुद को ढाल चुका है।
इसमें करियर कैसे शुरू करें?
• छोटे स्तर से शुरू करें - पड़ोसियों या दोस्तों के पालतू कुत्तों को घुमाने की ज़िम्मेदारी लें।
• एक ब्रांड बनाएं - सोशल मीडिया पर अपनी सेवाओं की प्रोफाइल बनाएं।
• ग्राहकों के फीडबैक और रिव्यू लें - इससे विश्वास बढ़ता है।
• सर्टिफिकेशन - Pet handling या dog training से जुड़े कोर्स करें जो आपकी प्रोफेशनल पहचान को मजबूत करेगा।
• डॉग सेफ्टी और फर्स्ट एड का ज्ञान लें।
चुनौतियाँ क्या हैं?
• सभी डॉग्स शांत या प्रशिक्षित नहीं होते, कभी-कभी गुस्सा, काटने या दौड़ने की प्रवृत्ति होती है।
• मौसम की स्थिति जैसे गर्मी, बारिश, या सर्दी में कुत्तों के साथ बाहर जाना मुश्किल हो सकता है।
• यदि कई कुत्तों को एक साथ घुमाना हो तो उनके व्यवहार का समन्वय बनाना चुनौतीपूर्ण होता है।
• डॉग वॉकिंग एक समय-संवेदी सेवा है, इसमें देरी स्वीकार्य नहीं होती इसलिए समय की पाबंदी भी एक बड़ी चुनौती होती है।
सामाजिक और भावनात्मक लाभ
डॉग वॉकिंग सिर्फ एक कमाई का जरिया नहीं बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का भी माध्यम बनता है। कई वॉकर बताते हैं कि डॉग्स के साथ समय बिताने से तनाव कम होता है, जीवन में संतुलन आता है और एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव भी बनता है।
भविष्य की संभावनाएँ
आज डॉग वॉकिंग केवल एक पारंपरिक सेवा नहीं बल्कि आधुनिक जीवनशैली, तकनीकी नवाचार और उद्यमिता का एक अद्भुत मेल बन चुकी है। अमेरिका में शुरू हुई यह सेवा अब भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस क्षेत्र में अब सिर्फ टहलाना नहीं बल्कि मोबाइल ऐप्स, GPS ट्रैकिंग, डॉग फिटनेस ऐप्स और ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्सेज जैसी सुविधाओं के ज़रिए पूरी एक प्रोफेशनल सिस्टम विकसित हो चुका है।
नए ट्रेंड्स जैसे पेट केयर टूरिज्म, डॉग फिटनेस एक्सपर्ट्स और फ्रेंचाइज़ी मॉडल ने इस उद्योग को और विस्तार दिया है। साथ ही तकनीकी टूल्स के प्रयोग और व्यवस्थित प्रशिक्षण से यह क्षेत्र अब एक सुरक्षित, सम्मानजनक और हाई-इनकम करियर विकल्प के रूप में उभर रहा है। शहरीकरण, डिजिटल सुविधा और लोगों की पालतू जानवरों के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता इस बात का संकेत हैं कि डॉग वॉकिंग भविष्य में एक स्थायी और स्मार्ट पेशा बनकर और अधिक लोगों को आकर्षित करेगा।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!