प्रेरक प्रसंग: "मेरी बेटी" – जब नौकरानी ने निभाई एक सच्ची बेटी की जिम्मेदारी

Inspirational Story : एक सच्ची घटना पर आधारित प्रेरणादायक कहानी – "मेरी बेटी"

Newstrack          -         Network
Published on: 1 Sept 2025 12:06 PM IST
प्रेरक प्रसंग: मेरी बेटी – जब नौकरानी ने निभाई एक सच्ची बेटी की जिम्मेदारी
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एक सच्ची घटना पर आधारित प्रेरणादायक कहानी – "मेरी बेटी"

Inspirational Story : मां ये क्या हैं .... तुम हमेशा अपनी नौकरानी के लिए ये साड़ियां वगैरह खरीदते रहती हो वो भी मंहगी से मंहगी । कल भी खरीदी थी बीना बता रही थी। मां जो कीमती साड़ियां तुम्हारी बहु पर शूट करती है, वैसी अगर तुम अपने घर की नौकरानी के लिए। आखिर चाहती क्या हो ?क्यों तुलना करने में लगी हो? क्या आपकी नजर में बीना जोकि हमारे घर की बहु है और एक नौकरानी में कोई अंतर नहीं है। गुस्से में लाल पीला होते हुए दीपक ने अपनी मां से कहा बाहर दरवाजे की ओट में छुपी हुई बीना मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसने ही दीपक को बताया था कि मां ने कल फिर से अपनी नौकरानी के लिए कीमती साड़ी खरीदी है।

अंतर .... तुलना ... बेटा बहुत भारी शब्द है ।खैर तुम जानते भी हो एक बहु का फर्ज क्या होता है। बस अपनी सास से उसकी संपत्ति लेने का... । बेटा में जो करती हूं सोच समझकर ही करती हूं और में तुम्हारे पैसों का नहीं बल्कि अपने स्वर्गीय पति के पैसे का सदुपयोग करती हूं सुधा गर्व से बोली। मैं कुछ समझा नहीं मां तुम्हें बताया था मगर तुम भी अपनी पत्नी के कहे पर ही खैर में बुरा नहीं मानती जीवनसाथी हो उसके मगर बेटा एक अच्छे जीवनसाथी का फर्ज अपने साथी को अच्छा बुरा बताकर समझाने का भी होता है ।केवल आंख बंद करके हां में हां मिलाते हुए रहने का नहीं। मां साफ साफ कहो ना आखिर बात क्या है जानते हो बीना ने मुझे कहा था मां आपका ये सोने का हार मुझे चाहिए इतना खूबसूरत है और कीमती भी मेरी सहेलियां तो देखकर ही जलभुन जाएगी इन्होंने बड़े प्यार से दिया था

मुझे मेरे बाद ये सब है ही किसका तेरा और बहु का मैंने खुशी खुशी उसे दे दिया उसदिन तू भी था नाजब तेरे चचेरे भाई की शादी में हमसब को जाना था मेरा सिरदर्द हो रहा था ये तुझे भी पता था मगर तू तैयार होकर बाहर गाड़ी निकालकर हार्न बजाकर बहु को बुला रहा था और बीना तैयार होकर बाहर आई और मुझसे बोली मैं निकल रही हूं मम्मी जी आप अपना ख्याल रखिएगा..... ख्याल ....उसे बस अपनी कीमती साड़ी और सोने का हार दिखाने की जल्दी थी सास की फ्रिक नहीं जाना तो हमें सबको था ना क्या रुककर मेरे सिर को प्यार से सहलाया नहीं जा सकता था मुझे डाक्टर के पास पहले लेकर जाया नहीं सकता था मगर तुम्हें अपना स्टेटस मेंटेन करना जरूरी था शादी में दोनों को ही जाना था मेरी हालत ऐसी नहीं थी कि मैं उठकर खाना बना पाती जब बहु को कहा कुछ बनाकर दे जाओ तो वह बोली होटल रेस्टोरेंट से आर्डर कर लीजिए और तैयार होकर निकल गई उस वक्त मेरी आंखों में पानी भर आया था जिस वक्त अपनों का साथ जरूरी हो उस वक्त बेटे बहु को पार्टी जरुरी लगती है अपनी मां नहीं ... तभी अपनी कामवाली आ गई मे दरवाजा खोलकर वापस बिस्तर पर आकर लेट गई

अभी बमुश्किल पांच मिनट ही बीते थे की वह कमरे में आ गई और बोली आप यहां कयुं लेटी हुई है बाहर आकर बैठिए ना आपकी हमेशा की तरह मीन- मेख निकालने वाली बातें और मुझसे किच-कीच करने वाली बातें कीजिए ना काम में मन लगा रहता है और काम भी अच्छा होता है अच्छा तुझे मेरा किच -किच करना बुरा नहीं लगता नहीं मां जी ...बल्कि मुझे तो बहुत खुशी होती है मेरी मां बचपन में मुझे ऐसे ही टोकती थी और उनकी डांट खाने के लिए में अक्सर कुछ ना कुछ गलतियां करती रहती थी बाद में हम मां बेटी खिलखिला कर हंसती थी मुझे आप में अपनी मां की छवि दिखाई देती है अरे चलिए ना नहीं ...आज नहीं कयुं क्या हुआ है आपको वो आज तबीयत खराब है सर में बहुत दर्द है..जब मैंने कहा तो वह बोली अरे तो पहले बताना चाहिए था ना रुकिए कहकर वह तेजी से रसोईघर में गयी और

जब वह वापस आई तो उसके हाथों में तेल की कटोरी थी मेरे सिर में मालिश करनी और सिर दबाते हुए सहला रही थी उस वक्त बहुत सुकून मिला फिर उसने पूछा मैंने कुछ खाया मैंने कहा अभी बनाना है वो रसोईघर में गयी और झटपट खिचड़ी बनाकर ले आई उस वक्त मुझे बहु की बात याद आ रही थी मां में आपकी बहु नहीं बेटी हूं बेटी बेटी ....जो मां को दर्द में छोड़कर बाहर पार्टी के लिए निकल गई और वहीं एक दूसरी और हमारे घर में काम करने वाली एक गरीब घर की लड़की जिसे में हमेशा डांटती रहती थी

वह मेरी देखभाल कर रही थी मुझे अपनी मां समझती थी और में .... मैंने उसी वक्त तय कर लिया था आज से वह मेरी बेटी है और हर मां अपनी बेटी को कुछ ना कुछ देती है सो ...और हां बहु को बता देना आगे से अपनी तुलना मेरी बेटी से मत करना कहकर सुधाजी टीवी चला कर देखने लगी वहीं दीपक कमरे से बाहर दरवाजे की ओट में छुपी हुई अपनी पत्नी बीना को देखते हुए बाहर निकल आया दोनों एक दूसरे को देखकर शर्मिंदगी से यहां वहां देखते हुए अलग अलग कोनों में चले गए

सदैव प्रसन्न रहिए जो प्राप्त है वो पर्याप्त है

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Shalini Rai

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