International Day of Charity 2025: अंतरराष्ट्रीय दान दिवस क्या है? जानिए इसका इतिहास और महत्त्व

International Day of Charity 2025: इस लेख में हम अंतरराष्ट्रीय दान दिवस के इतिहास और महत्त्व के बारे में जानेंगे ।

Shivani Jawanjal
Published on: 5 Sept 2025 10:43 AM IST
International Day of Charity 2025
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International Day of Charity 2025

History Of International Day of Charity: मानव जीवन का असली उद्देश्य सिर्फ अपने लिए जीना नहीं बल्कि समाज और जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ अच्छा करना भी है। 'दान' एक ऐसी सुंदर भावना है जो हमें इंसानियत का असली मतलब समझाती है। इसी भावना को बढ़ावा देने के लिए हर साल 5 सितंबर को 'अंतरराष्टीय दान दिवस' (International Day of Charity) मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी छोटी-सी मदद भी किसी के जीवन में बड़ी खुशी और बदलाव ला सकती है।

अंतरराष्ट्रीय दान दिवस का इतिहास


अंतरराष्ट्रीय दान दिवस की शुरुआत 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने की थी। इस दिन को 5 सितंबर को मनाने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि यह दिन मदर टेरेसा की पुण्यतिथि है। मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन गरीबों, बीमारों, अनाथों और जरूरतमंद लोगों की सेवा में लगा दिया था। उनका जीवन निःस्वार्थ सेवा और दान की मिसाल है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में दान और परोपकार की भावना को बढ़ावा देना है ताकि व्यक्ति, संगठन और समाज मिलकर जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें और मानवीय संकटों को कम कर सकें। यह दिन हमें याद दिलाता है कि दान से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

दान का महत्व

दान केवल धन देने तक सीमित नहीं है बल्कि यह समय, सेवा और ज्ञान देने का भी रूप हो सकता है जो समाज के लिए बहुत मूल्यवान है। इससे जरूरतमंद लोगों को मदद मिलती है और दान करने वाले को भी मानसिक शांति और संतोष का अनुभव होता है। दान से अमीर और गरीब के बीच का अंतर कम होता है और समाज में समानता बढ़ती है। यह मानवता के विकास और एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय संस्कृति में दान को पुण्य का कार्य माना गया है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा देता है। संकट के समय जैसे प्राकृतिक आपदा, युद्ध या महामारी में तो दान कई लोगों की जान बचाने में सहायक साबित होता है।

मदर टेरेसा और उनकी प्रेरणा

मदर टेरेसा (1910-1997) का जन्म स्कोप्ये (आज का मैसेडोनिया) में हुआ था और उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजियू था। वे 1929 में भारत आईं और अपना पूरा जीवन गरीबों, बीमारों और अनाथों की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की जो आज भी दुनिया भर में जरूरतमंदों के लिए काम कर रही है। मदर टेरेसा का मशहूर विचार था 'हम सब बड़े काम नहीं कर सकते, लेकिन हम छोटे-छोटे काम बड़े प्यार से कर सकते हैं।'

अंतरराष्ट्रीय दान दिवस मनाने के उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय दान दिवस का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि दान केवल अमीरों का कर्तव्य नहीं, बल्कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दे सकता है। यह दिन भूख, गरीबी, शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य जैसी मानवीय समस्याओं के समाधान के लिए लोगों को दान करने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन पर गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और चैरिटी संस्थाओं को मदद देने, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) को बढ़ावा देने और कंपनियों को सामाजिक योगदान के लिए प्रेरित किया जाता है। इसका संदेश है कि मानवता की सेवा किसी देश या सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक प्रयास है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मदर टेरेसा की पुण्यतिथि पर मनाने का निर्णय लिया ताकि दान और परोपकार की भावना पूरे विश्व में फैलाई जा सके।

दान के विविध रूप

दान केवल पैसे देने तक सीमित नहीं है बल्कि यह कई रूपों में किया जा सकता है। जैसे धन दान करके जरूरतमंदों या संस्थाओं को आर्थिक सहायता देना, कपड़े, भोजन और स्वच्छ पानी मुहैया कराना, रक्तदान और अंगदान करके किसी की जान बचाना। इसके अलावा ज्ञान दान के रूप में शिक्षा, मार्गदर्शन और कौशल सिखाकर दूसरों को आत्मनिर्भर बनाना भी दान का ही एक रूप है। समय दान भी बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें हम वृद्धाश्रम, अनाथालय या अन्य सेवा केंद्रों में स्वयंसेवा कर सकते हैं। हिंदू धर्म और अन्य धार्मिक शास्त्रों में भी दान के कई प्रकार बताए गए हैं। जिनका मुख्य उद्देश्य समाज का उत्थान और जरूरतमंदों की मदद करना है।

भारत में दान की परंपरा

भारत में दान की परंपरा बहुत पुरानी है और वेद-उपनिषदों में इसे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। प्राचीन समय में राजा और अमीर लोग अपने खजाने का बड़ा हिस्सा जरूरतमंदों को दान कर देते थे। अन्न दान को सबसे श्रेष्ठ दान कहा गया है क्योंकि यह भूख मिटाकर जीवन बचाने में मदद करता है। वेद और उपनिषदों में दान को पुण्य का कार्य और जीवन के लिए जरूरी माना गया है। महाभारत और अन्य धर्मग्रंथों में भी दान के कई प्रकार और उनके अच्छे परिणाम बताए गए हैं। महात्मा गांधी का प्रसिद्ध विचार “आप वह बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं” लोगों को दान और सेवा के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।

आधुनिक युग में दान की आवश्यकता

कोरोना महामारी के दौरान भारत में दान और सहयोग का महत्व सबके सामने स्पष्ट हो गया। इस कठिन समय में लाखों लोगों ने पैसे, ऑक्सीजन सिलेंडर, भोजन और दवाइयों का दान किया, जिससे कई लोगों की जान बच पाई। गैर-सरकारी संस्थाएं, स्वयंसेवक, आम नागरिक और बड़ी कंपनियां भी आगे आईं और सामूहिक रूप से मदद की। कोविड-19 के दौरान व्यक्तिगत और संस्थागत दान में काफी वृद्धि हुई और पीएम केयर्स फंड जैसे राहत कोष में भारी आर्थिक सहयोग मिला। इस महामारी ने साबित कर दिया कि आपातकालीन स्थितियों में दान और सहयोग जीवन बचाने का सबसे बड़ा सहारा बन जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय दान दिवस पर गतिविधियाँ

दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय दान दिवस पर कई तरह के आयोजन होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

फंडरेज़िंग कैंपेन - ऑनलाइन और ऑफलाइन धन संग्रह अभियान चलाए जाते हैं।

जागरूकता अभियान - सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर प्रेरक कहानियाँ, वीडियो और संदेश साझा किए जाते हैं।

स्वयंसेवा - लोग स्थानीय सामुदायिक सेवा कार्यों में भाग लेते हैं, जैसे वृद्धाश्रम, अनाथालय, और अन्य सामाजिक केंद्रों में सेवा करना।

शैक्षिक कार्यक्रम - स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को दान और परोपकार के महत्व के बारे में शिक्षा दी जाती है।

कैसे मनाएं अंतरराष्ट्रीय दान दिवस

अंतरराष्ट्रीय दान दिवस को सार्थक बनाने के लिए हर व्यक्ति निम्नलिखित तरीके अपना सकता है:

• किसी गरीब परिवार की मदद करना।

• पुराने कपड़े, किताबें, खिलौने आदि दान करना।

• किसी गैर-सरकारी संगठन (NGO) को आर्थिक सहायता प्रदान करना।

• रक्तदान करना।

• अपने दोस्तों और परिवार को दान के महत्व के बारे में जागरूक करना

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