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Pakistan Independence Day: 14 अगस्त के विभाजन की कहानी, जानिए यौम-ए-आज़ादी का संपूर्ण इतिहास
Pakistan Independence Day History: आज पाकिस्तान अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा ।
Pakistan Independence Day History Significance Celebrations
Pakistan Independence Day History: प्रत्येक वर्ष 14 अगस्त को पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है जिसे यौम-ए-आज़ादी (Youm-e-Azadi) भी कहाँ जाता है । यह वह ऐतिहासिक क्षण है जब 1947 में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत के साथ भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन के बाद पाकिस्तान का जन्म हुआ था । यह दिन सिर्फ एक राजनितिक घटना नहीं थी बल्कि करोड़ों लोगों के सपनों, बलिदानों और संघर्षों का प्रभाव था। पाकिस्तान का अस्तित्व कई ऐतिहासिक, राजनितिक और सांस्कृतिक भावनाओं से जुड़ा है जिसे पाकिस्तान पूरे जोश और गर्व के साथ मनाता है।
ऐसे में आइये जानते है पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास।
स्वतंत्रता दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
19वीं सदी के मध्य तक भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश हिस्सा पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे में था । 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हुआ । इस विद्रोह के बाद सरकार के भारत अधिनियम 1858 के तहत भारत सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया। इस दौरान भारतीय उपमहाद्वीप कई सामाजिक और राजनितिक असमानताओं का शिकार हुआ जिससे विभिन्न समुदायों में विभाजन की भावना उत्पन्न हुई । यह वह समय था जब भारतीय समाज में हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदायों के बीच सामाजिक असमानताएँ, धार्मिक भेदभाव और जातिगत भेदभाव स्पष्ट रूप से मौजूद और जिसे ब्रिटिश शासन की 'Divide and Rule' नीति ने अधिक गहरा कर दिया। मुस्लिम समुदाय में स्वतंत्र भारत में अपनी पहचान और अधिकारों को लेकर चिंता बढ़ने लगी । हालाँकि 1857 के आंदोलन में हिंदू और मुस्लिमों की एकता ने ब्रिटिश शासकों ने दोनों को अलग करने की रणनीति अपनाई। इसी पृष्ठभूमि के तहत 30 दिसंबर 1906 को ढाका में मुस्लिम लीग का गठन हुआ। इस लीग का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक अधिकारों, पहचान और हितों की रक्षा करना था। यही संगठन आगे चलकर पाकिस्तान के निर्माण की आधारशिला बना।
दो राष्ट्र सिद्धांत और पाकिस्तान का विचार
मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र सिद्धांत के अनुसार हिंदू और मुस्लिम अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान में पूरी तरह भिन्न हैं, इसलिए उनका भविष्य एक राष्ट्र के रूप में सुरक्षित नहीं रह सकता। यह सिद्धांत पाकिस्तान आंदोलन की नींव बना। इस सोच को अधिक बल 29 दिसंबर 1930 को इलाहाबाद में मुस्लिम लीग के वार्षिक अधिवेशन में अल्लामा इकबाल के ऐतिहासिक भाषण से मिला। जिसमें अल्लामा इकबाल ने उत्तर-पश्चिम भारत पंजाब, सिंध, एनडब्ल्यूएफपी (NWFP) और बलूचिस्तान में एक स्वतंत्र मुस्लिम राज्य की परिकल्पना प्रस्तुत की। यह पहली बार था जब मुस्लिमों को एक अलग राजनीतिक इकाई मानने और उनके लिए स्वतंत्र राष्ट्र की आवश्यकता का विचार स्पष्ट रूप से सामने आया। इसी वैचारिक धारा को आगे बढ़ाते हुए मार्च 1940 में मुस्लिम लीग द्वारा लाहौर में प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को स्वतंत्र राज्यों के रूप में स्थापित करने की मांग की गई।
विभाजन और पाकिस्तान का गठन
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन आर्थिक और राजनीतिक तौर पर कमजोर हो गया जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया। 3 जून 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 'माउंटबेटन योजना' की घोषणा की। और इसी योजना के तहत ब्रिटिश भारत को दो स्वतंत्र देशों भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया गया। जिसमे पाकिस्तान का गठन दो भौगोलिक हिस्सों पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (जो 1971 में बांग्लादेश बना) के रूप में हुआ। 14 अगस्त 1947 की आधी रात को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने कराची में मोहम्मद अली जिन्ना के पास पाकिस्तान की सत्ता हस्तांतरित की जबकि भारत की 15 अगस्त 1947 को । दिलचस्प बात यह है की, शुरुआत में 15 अगस्त को ही पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर चुना गया था जिसे बाद में बदलकर 14 अगस्त कर दिया गया।
पाकिस्तान का पहला स्वतंत्रता दिवस
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस कराची में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया, जो उस समय पाकिस्तान की राजधानी थी। पूरे शहर में विशेष समारोह आयोजित हुए, इमारतों और सड़कों को झंडों व रोशनी से सजाया गया । इसी दिन मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली तथा लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। पूरे पाकिस्तान में मस्जिदों में शुक्राने की नमाज और विशेष दुआएं अदा की गईं। पाकिस्तान के स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा सरकारी स्तर रेडियो के माध्यम से की गई और और घोषणा पूरे पाकिस्तान में आज़ादी का संदेश के तौर पर प्रसारित हुआ।
पाकिस्तानी स्वतंत्रता के शुरुआती वर्ष
शरणार्थियों का आगमन - पाकिस्तान की स्वतंत्रता के साथ ही देश को भारी जनसांख्यिकीय और मानवीय संकट का सामना करना पड़ा, जब लाखों मुस्लिम शरणार्थी भारत से पाकिस्तान गए और लाखों हिंदू व सिख भारत लौट आए ।
सीमाई विवाद - भारत - पाकिस्तान विभाजन के तुरंत बाद ही सीमा विवाद, खासकर कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और संघर्ष शुरू हो गया जो आज तक जारी है।
आर्थिक और प्रशासनिक कठिनाइयाँ - नवगठित पाकिस्तानी सरकार को संसाधनों, संस्थागत ढांचे और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कमी के कारण गंभीर आर्थिक और प्रशासनिक कठिनाइयों से जूझना पड़ा। इसके अलावा पाकिस्तान को नेतृत्व शून्यता (जिन्ना का शीघ्र निधन), संविधान निर्माण में देरी और क्षेत्रीय विद्रोह जैसी आंतरिक चुनौतियाँ भी सामने आईं।
स्वतंत्रता दिवस मनाने का तरीका
हर वर्ष 14 अगस्त को पाकिस्तान में राष्ट्रीय अवकाश होता है और पूरे देश में विभिन्न आयोजन होते हैं
झंडारोहण समारोह - राजधानी इस्लामाबाद में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा झंडारोहण किया जाता है और देश को संबोधित किया जाता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और परेड - इस विशेष दिवस पर स्कूल, कॉलेज और सशस्त्र बलों की परेड आयोजित होती है जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना की विशेष परेड भी होती है। इस दौरान देशभक्ति और एकता के संदेश दिए जाते हैं।
रोशनी और सजावट - सरकारी भवनों, सड़कें और बाजार हरे और सफेद रंग (पाकिस्तानी राष्ट्रीय ध्वज के रंग) में खूबसूरती से सजाए जाते हैं।
देशभक्ति गीत और भाषण - रेडियो, टीवी, सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रप्रेम के संदेश और गीत सुनाए और प्रसारित किए जाते हैं।
पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज और उसका महत्त्व
पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज अपनी बनावट और रंगों में पूरे देश की मूल भावना को समेटे हुए है। इसका हरा रंग इस्लाम और पाकिस्तान की मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी का प्रतीक है जबकि बाईं ओर की सफेद पट्टी धार्मिक अल्पसंख्यकों को दर्शाती है। हरे हिस्से पर बना सफेद अर्धचंद्र प्रगति का प्रतीक है और उसके साथ स्थित पाँच नुकीला सफेद सितारा ज्ञान और रोशनी का अभिलेखन करता है। यह ध्वज पाकिस्तान के गठन के मूल मानक , धार्मिक पहचान, एकता, विश्वास और अनुशासन को व्यक्त करता है। स्वतंत्रता दिवस पर यह ध्वज घरों, सरकारी इमारतों और सड़कों पर गर्व से लहराया जाता है जो पूरे देश में राष्ट्रीय एकता और सम्मान का संदेश देता है।
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