UP में अब सिर्फ 'मेड इन यूपी' इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को मिलेगी सब्सिडी-14 अक्टूबर 2025 से नियम हुआ लागू

उत्तर प्रदेश सरकार ने नया नियम लागू किया है जिसके तहत अब 14 अक्टूबर 2025 से सिर्फ 'मेड इन यूपी' इलेक्ट्रिक वाहनों को ही रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट मिलेगी। जानिए नई ईवी नीति, सब्सिडी प्रक्रिया और इसका उपभोक्ताओं व उद्योग पर असर।

Jyotsna Singh
Published on: 16 Oct 2025 3:45 PM IST
UP EV policy 2025
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UP EV policy 2025 (Image Credit-Social Media)

UP EV Policy 2025: जीएसटी में छूट की राहत के साथ ही अब इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नया नियम लागू किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति में बड़ा संशोधन करते हुए स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने की दिशा में अहम कदम उठाया है। अब 14 अक्टूबर 2025 से केवल वे इलेक्ट्रिक वाहन ही रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट पाएंगे जो उत्तर प्रदेश में निर्मित या असेंबल किए गए हैं। इस निर्णय से जहां राज्य के औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलने की उम्मीद है, वहीं उपभोक्ताओं और बाहरी ब्रांड्स के लिए कुछ नई चुनौतियां भी सामने आएंगी। आइए इस बारे में जानते हैं विस्तार से -

नया नियम 'मेड इन यूपी' वाहनों को ही टैक्स छूट

नई व्यवस्था के तहत अब केवल 'मेड इन यूपी' इलेक्ट्रिक वाहनों को ही 100 प्रतिशत रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस से राहत मिलेगी। इसका मतलब यह है कि अगर कोई इलेक्ट्रिक कार, स्कूटर या बाइक उत्तर प्रदेश में बनी या असेंबल की गई है, तभी उसे इस छूट का फायदा मिलेगा। राज्य के बाहर बने वाहनों को यह सुविधा नहीं दी जाएगी। यह नियम 14 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा।


सरकार का कहना है कि, इस कदम से राज्य के अंदर विनिर्माण गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी और स्थानीय कंपनियों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही यूपी को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है।

क्या होगी सब्सिडी पाने की प्रक्रिया

जो उपभोक्ता सब्सिडी या टैक्स छूट का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें यह साबित करना होगा कि उनका वाहन उत्तर प्रदेश में बना या असेंबल किया गया है। इसके लिए 'यूपी मैन्युफैक्चरिंग- असेम्बली सर्टिफिकेट' अनिवार्य किया गया है।

ग्राहक को सब्सिडी पाने के लिए राज्य के EV सब्सिडी पोर्टल (upevsubsidy.in) पर आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ वाहन और निर्माता से संबंधित सभी दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इसके बाद संबंधित RTO (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) वाहन और कागजों की जांच करेगा। सत्यापन पूरा होने पर ही सब्सिडी या टैक्स छूट की मंजूरी दी जाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य धोखाधड़ी रोकना और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना है।

नई दिशा की शुरुआत के साथ पुरानी EV नीति हुई खत्म

यूपी सरकार ने 14 अक्टूबर 2022 को अपनी पहली EV नीति लागू की थी। उस नीति के तहत तीन साल तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट दी गई थी। इसके अलावा, खरीदारों को सीधे ₹5,000 से लेकर ₹20 लाख तक की सब्सिडी मिलती थी। वहीं दोपहिया वाहनों पर ₹5,000, चारपहिया कारों पर ₹1 लाख और इलेक्ट्रिक बसों पर ₹20 लाख तक।

अब 13 अक्टूबर 2025 को यह नीति समाप्त हो जाएगी और 14 अक्टूबर से नई व्यवस्था लागू होगी। इस दौरान लगभग 17,600 वाहन मालिकों को सब्सिडी दी जा चुकी है, जबकि 38,000 से अधिक आवेदन अभी लंबित हैं। नई नीति का फोकस उपभोक्ताओं को छूट देने के बजाय राज्य के भीतर उत्पादन बढ़ाने पर है।

क्या पड़ेगा उपभोक्ताओं पर इसका असर


इस फैसले का असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। एक ओर, 'मेड इन यूपी' वाहनों की बिक्री में तेजी आएगी, जिससे राज्य की फैक्ट्रियों को मजबूती मिलेगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। दूसरी ओर, ऐसे ब्रांड जो यूपी में उत्पादन नहीं करते, जैसे Tata Motors, Ather Energy, MG Motor और BYD, अब सब्सिडी के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे इनकी गाड़ियां पहले की तुलना में महंगी पड़ेंगी और उपभोक्ताओं के लिए विकल्प सीमित हो जाएंगे। इस बदलाव के कारण राज्य में EV की औसत शुरुआती कीमतें बढ़ने की संभावना है। हालांकि, सरकार का तर्क है कि जैसे-जैसे स्थानीय ब्रांड्स और असेंबली यूनिट्स बढ़ेंगी, प्रतिस्पर्धा से कीमतें स्वतः संतुलित हो जाएंगी।

क्या पड़ेगा राज्य की अर्थव्यवस्था और उद्योग पर इसका संभावित प्रभाव

यह कदम उत्तर प्रदेश को भारत का एक प्रमुख ईवी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां अपनी उत्पादन इकाइयां लखनऊ, कानपुर, ग्रेटर नोएडा, और वाराणसी जैसे औद्योगिक इलाकों में स्थापित करें। इससे स्थानीय उद्योगों, सप्लाई चेन और टेक्नोलॉजी सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग आने वाले पांच वर्षों में यूपी में लाखों नए रोजगार सृजित कर सकता है। निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार विशेष प्रोत्साहन पैकेज और आसान अनुमोदन प्रक्रिया भी तैयार कर रही है।

इस नियम के लागू होने में ये होंगी चुनौतियां

नई नीति के साथ कुछ व्यवहारिक चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। राज्य में अभी बहुत कम कंपनियां हैं जो पूरी तरह 'मेड इन यूपी' इलेक्ट्रिक वाहन बना रही हैं। अधिकांश बड़े ब्रांड्स की मैन्युफैक्चरिंग गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र या कर्नाटक में होती है। ऐसे में शुरुआती चरण में उपभोक्ताओं के पास सीमित विकल्प रह सकते हैं।

इसके अलावा, RTO स्तर पर सत्यापन और प्रमाणन प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी रखना भी एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। यदि प्रशासनिक विलंब या दस्तावेजी दिक्कतें बढ़ीं, तो उपभोक्ताओं में असंतोष की स्थिति भी पैदा हो सकती है।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

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मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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