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बिजली उपभोक्ताओं को झटका, ईंधन अधिभार शुल्क में 2.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी, सितंबर में बढ़ा आएंगा बिल
Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली के ईंधन अधिभार शुल्क में 2.34% बढ़ोतरी।
Electricity Privatization
Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को झटका लगा है। उनका सितंबर के महीने का बिजली का बिल बढ़ा मिलेगा। बिजली बिलों में लगने वाले ईंधन अधिभार शुल्क (Fuel Surcharge) में 2.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जो अगस्त में 0.24 प्रतिशत थी। इस बढ़ोतरी से बिजली कंपनियां सितंबर में उपभोक्ताओं से 184.41 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली करेंगी। इस शुल्क में आगे के महीनों में कमी आने की संभावना है।
उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस (अधिशेष) है। ऐसे में ईंधन अधिभार शुल्क में बढ़ोतरी करना न्यायसंगत नहीं है। ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में होने वाली मासिक वसूली को उपभोक्ताओं के सरप्लस से घटाया जाना चाहिए।
क्या है यह ईंधन अधिभार शुल्क
उनके तर्क अनुसार यह नियम केवल तभी लागू होना चाहिए। जब बिजली की दरों में कमी हो, जिससे उपभोक्ताओं को फायदा मिल पाएं। यह एक ऐसा शुल्क है। जिसे बिजली कंपनियां ईंधन की लागत में उतार व चढ़ाव को समायोजित करने के लिए लगाती हैं। भारत सरकार द्वारा कुछ समय बने नियमों के तहत, इसे राज्यों को लागू करने का निर्देश दिया गया था, जिसके बाद विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में लागू किया है।
जून महीने का यह अधिभार शुल्क
उपभोक्ता परिषद अधिभार शुल्क नियम का लगातार विरोध कर रही है। बता दे कि मई महीने के लिए लगने वाला 0.24 प्रतिशत का ईंधन अधिभार शुल्क अगस्त के बिलों में वसूला गया है। जिसकी अंतिम तिथि 31 अगस्त है। अब जून 2025 के महीने के लिए ईंधन अधिभार शुल्क 2.34 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जो सितंबर 2025 के बिजली बिलों में लागू होगा। उसके बाद उपभोक्ताओं को सामान्य बिल मिलेगा।
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