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तेलंगाना में 'जुबली हिल्स' कब्रिस्तान पर बवाल... जवानों ने संभाला मोर्चा! फंस गई कांग्रेस सरकार?
Telangana Jubilee Hills Graveyard Controversy: तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार ने हैदराबाद के पॉश इलाके जुबली हिल्स में सेना की जमीन मुसलमानों को कब्रिस्तान बनाने के लिए आसानी से दे डाली। अब तेलंगाना की कांग्रेस सरकार के लिए जुबली हिल्स उपचुनाव से पहले ही एक नया विवाद छिड़ता नज़र आ रहा है।
Telangana Jubilee Hills Graveyard Controversy (photo: social media)
Telangana Jubilee Hills Graveyard Controversy: हाल ही में हैदराबाद से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई, जिसमें तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार ने हैदराबाद के पॉश इलाके जुबली हिल्स में सेना की जमीन मुसलमानों को कब्रिस्तान बनाने के लिए आसानी से दे डाली। सेना के अफसर लोगों का स्पष्ट कहना है कि ये जमीन आर्मी की है, इसलिए इस जमीन पर कब्रिस्तान कतई नहीं बन सकता। इस बीच रेवंत रेड्डी की सरकार खामोश होकर सिर्फ तमाशा देख रही थी।
11 नवंबर 2025 को उपचुनाव
ये मामला केवल इतना ही नहीं... बल्कि इसके इर्द-गिर्द भी गौर किया जाने वाला है। इस जमीन के अलॉटमेंट की टाइमिंग पर एक नज़र डालें तो आपको पता चलेगा कि असल में जुबली हिल्स असेंबली सीट पर बाई-इलेक्शन होना है। जहां 06 अक्टूबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही जुबली हिल्स के बाई इलैक्शन का भी ऐलान किया गया था वहीं, यहां भी 11 नवंबर 2025 को मतदान होना है।
अब इसे लेकर तेलंगाना की कांग्रेस सरकार के लिए जुबली हिल्स उपचुनाव से पहले ही एक नया विवाद छिड़ता नज़र आ रहा है। राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड ने शेखपेट इलाके में मुस्लिम समुदाय के लिए लगभग 2500 वर्ग गज भूमि आवंटित की थी, जिसे कब्रिस्तान के रूप में प्रयोग करने की योजना थी। हालांकि, सेना ने इस भूमि पर अपना मालिकाना हक जताया है और स्पष्ट कहा है कि यह भूमि रक्षा विभाग की है।
निर्माण की गतिविधियों पर लगी रोक
सेना के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कब्रिस्तान निर्माण की गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया है और भविष्य में भी किसी निर्माण कार्य की अनुमति नहीं देने की चेतावनी दे डाली है। बता दे, इस विवाद ने जुबली हिल्स उपचुनाव को और भी अधिक संवेदनशील बना दिया है, जहां मुस्लिम समुदाय के वोट निर्णायक भूमिका में हैं। कांग्रेस सरकार के इस कदम को लेकर विपक्षी दलों ने तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाना शुरू कर दिया है।
वर्तमान में, जुबली हिल्स विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारियां लगातार चल रही हैं और यह विवाद चुनावी माहौल को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
कब्रिस्तान के लिए ज़मीन आवंटन
तेलंगाना वक्फ बोर्ड ने शेखपेट के घैराबाद मस्जिद के पास स्थित ज़मीन को मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए आवंटित किया था। इस ज़मीन का मुख्य उद्देश्य जुबली हिल्स, बोराबांडा, यूसुफ़गुड़ा, एर्रागड्डा, और रहमतनगर जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या की कब्रिस्तान की ज़रूरतों को पूरा करना था। इस कदम को कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी वादे के रूप में पेश किया था।
सेना की आपत्ति के बाद छिड़ा विवाद
हालांकि, सेना ने इस ज़मीन पर कब्रिस्तान बनाने की अनुमति नहीं दी है। सेना अधिकारियों का कहना है कि यह ज़मीन रक्षा मंत्रालय के अधीन है और इसका प्रयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता। इस आपत्ति के बाद, कब्रिस्तान निर्माण कार्य तत्काल रोक दिया गया और ज़मीन पर सेना ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है।
जुबली हिल्स उपचुनाव और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव 11 नवंबर 2025 को होना है। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता तकरीबन 30% हैं, जो चुनाव नतीजों में अपनी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। कांग्रेस ने इस कदम को मुस्लिम समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के रूप में प्रस्तुत किया था, जबकि विपक्षी दलों ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया है।
इसपर शेखपेट में कब्रिस्तान के लिए ज़मीन आवंटन के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किए। उनका कहना था कि यह ज़मीन आवासीय क्षेत्र के पास है और इससे उनकी जीवनशैली गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। विपक्षी दलों ने भी इस कदम को राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम बताया है।
बता दे, जुबली हिल्स कब्रिस्तान विवाद ने कांग्रेस सरकार के चुनावी वादों, सेना की ज़मीन अधिकारों और मुस्लिम समुदाय की आवश्यकताओं के बीच संतुलन की चुनौती को सामने लाकर खड़ा कर दिया है। यह विवाद अगले महीने में होने वाले उपचुनावों में राजनीतिक रणनीतियों और समुदायों के बीच संबंधों में गंभीर रूप से प्रभाव डाल सकता है।
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