TRENDING TAGS :
Etah News: SDM ने कमिश्नरी का आदेश पलटा, पीड़िता के विरुद्ध दिया एकपक्षीय आदेश, बुद्धिजीवियों में चर्चा का विषय
Etah News: एसडीएम भावना विमल द्वारा बीते सप्ताह दिया गया एक आदेश न सिर्फ अधिवक्ताओं के लिए चर्चा का विषय है, बल्कि अपर आयुक्त अलीगढ़ मंडल अलीगढ़ के आदेश को पलटकर एक पीड़िता के विरुद्ध दिए गए इस आदेश ने न्यायिक क्षेत्राधिकारों की भी कलई खोल दी है।
Etah SDM Bhavna Vimal (photo: social media )
Etah News: एटा जनपद के थाना जलेसर क्षेत्र में एसडीएम का एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जो बुद्धिजीवियों और अधिवक्ताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है। जहाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीड़ितों को सुलभ न्याय दिलाने के लिए नए-नए फरमान जारी कर रहे हैं, वहीं चोरी, अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात जलेसर तहसील में अब न्यायिक कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। एसडीएम भावना विमल द्वारा बीते सप्ताह दिया गया एक आदेश न सिर्फ अधिवक्ताओं के लिए चर्चा का विषय है, बल्कि अपर आयुक्त अलीगढ़ मंडल अलीगढ़ के आदेश को पलटकर एक पीड़िता के विरुद्ध दिए गए इस आदेश ने न्यायिक क्षेत्राधिकारों की भी कलई खोल दी है।
जनपद की तहसील जलेसर क्षेत्र के गांव कोसमा निवासिनी सर्वेश देवी पत्नी नर सिंह ने बताया कि उन्होंने उपजिलाधिकारी भावना विमल के न्यायालय में पुनः सुनवाई के लिए एक अपील प्रस्तुत की है। उनका मामला ग्राम कोसमा के खाता 303 के गाटा सं0122 रकबा 1.105 हे० के ½ भाग के बैनामे से संबंधित है, जो गत 31 दिसंबर 2019 को काश्तकार और काबिज काश्त रामवती विधवा सरमन से पूरे प्रतिफल के साथ कराया गया था। इस वैध विक्रय पत्र के आधार पर अपीलार्थिनी का नाम तहसीलदार जलेसर के वाद में गत 08 फरवरी 2020 को इंद्राज हो गया था।
प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था
पीड़िता के अनुसार, इस नामांतरण आदेश के विरुद्ध छेदालाल द्वारा एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसे 12/13 अगस्त 2020 को स्वीकार कर लिया गया। इसके विरुद्ध पीड़िता द्वारा गत 12 अक्टूबर 2020 को रिकॉल प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसे 05 दिसंबर 2022 को स्वीकार कर अपीलार्थिनी के हक में पारित नामांतरण आदेश 08 फरवरी 2020 बहाल कर दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ छेदीलाल द्वारा 05 दिसंबर 2022 को एक अपील प्रस्तुत की गई थी, जिसे 04 जुलाई 2023 को निरस्त कर दिया गया।
इस आदेश के विरुद्ध छेदीलाल द्वारा अपर आयुक्त न्यायालय अलीगढ़ में एक निगरानी वाद प्रस्तुत किया गया, जिसमें अवर न्यायालय (उपजिलाधिकारी) द्वारा पारित आदेश 04 जुलाई 2023 और तहसीलदार द्वारा पारित आदेश 05 दिसंबर 2022 को बहाल रखते हुए निगरानी निरस्त कर दी गई थी तथा 08 दिसंबर 2020 का नामांतरण आदेश यथावत रहा।
पीड़िता के मुताबिक, वाद भूमि से संबंधित एक अन्य विरासत का वाद (छेदीलाल बनाम रामवती में) में 10 सितंबर 2024 को विधि विरुद्ध विकृत आदेश पारित करके सर्वेश देवी के हक में वैध एक होलसम निर्विवाद आदेश दिनांक 08 फरवरी 2020 के प्रभाव में रहते हुए करसरी डबल स्टोरी विधिक आदेश राजस्व विधि अपील के आधार और विधियाँ पीठासीन अधिकारी के जेहन में नहीं रही। पीठासीन अधिकारी ने इन्हें अनदेखा करके आदेश पारित कर दिया था, जिसके विरुद्ध एसडीएम न्यायालय में विधिक आधारों पर अपील प्रस्तुत हुई थी। अपील की सुनवाई के समय जो न्यायालय के समक्ष रखी गई थीं, वे इस सुनवाई एवं निर्णय आदेश के बीच में विहित सीमा से अधिक अंतराल हो गया था। जिसके चलते एसडीएम महोदया द्वारा गत 18 जून 2025 पीड़िता के विरुद्ध बिल्कुल एकपक्षीय व नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के प्रतिकूल निर्णय लेते हुए आदेश पारित कर दिया गया है, जिससे पीड़िता के साथ सरासर अन्याय हो गया है। यह आदेश न्यायहित में वापस लिए जाने योग्य है।
वरिष्ठ अधिवक्ता पुरषोत्तम सिंह यादव ने बताया कि खातेदार रामवती विधवा सरमन की विरासत का प्रश्न दो चक्र की चकबंदी क्रियाओं (धारा-49 UP CH Act.) से तय हो गया था, और पुनः उसी विरासत का प्रश्न वाधित है। उन्होंने यह भी बताया कि वाद की सुनवाई के दौरान उनके द्वारा एसडीएम महोदया के समक्ष माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित विधि व्यवस्था 'श्रीमती बाई बनाम श्रीमती निर्मला RD 2011 (VO (114) Page 783' के अनुसार विधवा का नाम विरासत में अंकित होने पर न्यायालय उसके हित को सुरक्षित रखेगी' का आदेश भी रखा गया था, लेकिन एसडीएम साहिबा द्वारा हाईकोर्ट के इस पूर्व आदेश को भी अनदेखा कर दिया गया है। यह भी सामने आया है कि 08 फरवरी 2020 के नामांतरण आदेश के विरुद्ध छेदालाल द्वारा प्रस्तुत वाद पर पारित 12 व 13 अगस्त 2020 के आदेश को अवर न्यायालय द्वारा अपने 05 दिसंबर 2022 के आदेश से निरस्त कर दिया गया था, जिसकी पुष्टि अपर आयुक्त अलीगढ़ मंडल अलीगढ़ के निगरानी में पारित आदेश 26 मार्च 2025 से हो गई है, जिसमें सर्वेश देवी पत्नी नरसिंह निवासी ग्राम कोसमा को ही एकमात्र वैध स्वामिनी और काबिज काश्त वाद भूमि माना गया है। उपरोक्त 'वाईवेंट इश्यूज' को अनदेखा करके गत 18 जून 2025 को एकपक्षीय आदेश पारित कर दिया गया है, जो कि पीड़िता के साथ सरासर अन्याय है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge