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Hapur News: जर्जर विद्यालय में प्लास्टर गिरने से घायल हुए छात्र,जांच रिपोर्ट में एबीएसए और प्रधानाध्यापक दोषी करार
Hapur News: विद्यालय की मरम्मत को जो धनराशि मिली थी, वह खर्च तो कर दी गई, लेकिन कोई प्रमाणिक दस्तावेज या पक्के बिल प्रस्तुत नहीं किए गए।
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Hapur News: यूपी के जनपद हापुड़ के बाबूगढ़ क्षेत्र के भमैड़ा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में छत का प्लास्टर गिरने से दो छात्र घायल हो गए थे। इस गंभीर लापरवाही पर जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में विद्यालय की मरम्मत हेतु आई 75,000 रूपये की धनराशि के खर्च का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड न होने, कच्चे बिल लगाए जाने और मरम्मत कार्यों की अनदेखी के आरोप में संबंधित एबीएसए और प्रधानाध्यापक को दोषी पाया गया है।
जांच टीम का नेतृत्व सदर एसडीएम ईला प्रकाश ने किया
रिपोर्ट के अनुसार, विद्यालय की मरम्मत को जो धनराशि मिली थी, वह खर्च तो कर दी गई, लेकिन कोई प्रमाणिक दस्तावेज या पक्के बिल प्रस्तुत नहीं किए गए। यहां तक कि स्कूल भवन की मरम्मत न होते हुए भी विभागीय सर्वे में इसे "फिट-फॉर यूज" बताया गया था। यह चौंकाने वाली लापरवाही थी, क्योंकि इसी भवन की एक अन्य कक्षा में बीस दिन पहले भी प्लास्टर गिरा था, लेकिन उस समय बच्चे लंच ब्रेक में होने के कारण हादसा टल गया था।
जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते अधिकारी प्रधानाध्यापक सुशील कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि स्कूल गेट आदि का काम कराया गया था, और स्थानीय मिस्त्रियों के पास पक्के बिल नहीं होते, इसलिए जो भी बिल उपलब्ध हुए, उन्हें संलग्न कर दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि हादसे से पहले की गई छत की गिरावट की सूचना बीएसए और एबीएसए के साझा ग्रुप में भेजी गई थी, पर किसी अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया।वहीं, एबीएसए अर्चना सिंह ने अपनी तकनीकी जानकारी की कमी का हवाला देते हुए खुद को जांच से अलग बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने भवन का निरीक्षण किया था, और केवल टूटा बाथरूम उन्हें दिखा, जिसकी मरम्मत के आदेश उन्होंने दिए। भवन की दीवारों पर रंग-रोगन होने से वह उसे सही मान बैठीं।
बीएसए की सख्त कार्रवाई की तैयारी
बेसिक शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। प्रधानाध्यापक पर बीएसए रितु तोमर द्वारा बुधवार को अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, वहीं एबीएसए पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा।
गंभीर लापरवाही का मामला
इस मामले ने एक बार फिर शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली को उजागर कर दिया है। ऐसे समय में जब देश के अन्य हिस्सों, जैसे राजस्थान में स्कूल की छत गिरने से आठ बच्चों की जान जा चुकी है, हापुड़ जैसे जिले में जिम्मेदार अफसर अब तक चेत नहीं रहे हैं। जर्जर भवनों में बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है और मरम्मत धनराशि का पारदर्शी उपयोग नहीं हो रहा है।जांच रिपोर्ट के अनुसार, अगर समय रहते मरम्मत कार्य करवा लिए जाते और छत की स्थिति का सही मूल्यांकन होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था। अब ज़रूरत है कि न केवल दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो, बल्कि पूरे जनपद में स्कूल भवनों की फिर से निष्पक्ष जांच की जाए ताकि भविष्य में बच्चों की जान जोखिम में न पड़े।
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