लखनऊ में बड़ा जमीन घोटाला, हाईकोर्ट का सख्त रुख, जांच विजिलेंस को सौंपी, भूमाफिया के खिलाफ...

Lucknow News: लखनऊ खंड पीठ ने गोमती नगर विस्तार के एक जमीन घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंप दी है। करोड़ों की संपत्ति को गैरकानूनी तरीके से बेचा गया है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 18 Sept 2025 9:20 PM IST
लखनऊ में बड़ा जमीन घोटाला, हाईकोर्ट का सख्त रुख, जांच विजिलेंस को सौंपी, भूमाफिया के खिलाफ...
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Lucknow News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने गोमती नगर विस्तार के एक जमीन घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंप दी है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति में हुए करोड़ों रुपये के गबन पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि समिति की करोड़ों की संपत्ति को गैरकानूनी तरीके से बेचा गया, लेकिन बिक्री से प्राप्त एक पैसा समिति के खाते में जमा नहीं हुआ। कोर्ट ने विजिलेंस से एक हफ्ते के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

चुनाव जीतने के बाद नहीं सौंपा कार्यभार

यह घोटाले तब सामने आया जब 19 मार्च 2023 को समिति के चुनावों में याचिकाकर्ता विजयी रहा, लेकिन पुराने पदाधिकारियों ने कार्यभार विजेता को नहीं सौंपा था। इन पदाधिकारियों में प्रवीन सिंह उर्फ प्रवीन सिंह बफिला और लखन सिंह बलियानी प्रमुख हैं। कोर्ट को रिकॉर्ड से पता चला कि लखन सिंह बलियानी ने निर्वाचित न होने के बावजूद 11 अप्रैल 2023 को 1.31 करोड़ रुपये की एक रजिस्ट्री कर दी थी। उन्होंने 98 रजिस्ट्रियां की और किसी बिक्री का पैसा समिति के खाते में जमा नहीं किया।

शुल्क के नाम पर 8.34 करोड़ का गबन

कोर्ट ने पाया कि प्रवीन सिंह और लखन सिंह ने विकास शुल्क के नाम पर 8.34 करोड़ रुपये वसूले। इस राशि का कोई ऑडिट नहीं हुआ, न ही कोई रसीद या लेन-देन का रिकॉर्ड मिला। यह रकम सिर्फ कागजों पर वसूली गई थी, जिसका कोई हिसाब नहीं है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की सात सदस्यीय जांच समिति ने 27 अगस्त 2024 को रिपोर्ट में दोनों प्रतिवादियों को धोखाधड़ी और गबन का दोषी माना था। इसके अलावा 2 मई 2025 को सहायक निबंधक ने अवैध रजिस्ट्रियों को रद्द करने का आदेश दिया था।

भूमाफिया गिरोह से जुड़े होने का आरोप

जो आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रहे थे। यह भी दस्तावेजों से पता चला कि आरोपी प्रवीन सिंह पर पहले सेपांच आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। मुकदमों में धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और गिरोहबंदी अधिनियम की धाराएं शामिल हैं, कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता से पूछा कि जब इतने गंभीर आरोप और सबूत मौजूद हैं, तब भी कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई और न ही गबन की गई राशि की वसूली के लिए कोई प्रयास किए गए। इसको कोर्ट ने असंतोषजनक जांच बताया और जांच विजिलेंस को सौंप दी है।

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