Kanpur News: UPSIDA का ग्रीन इंडस्ट्रियल मॉडल: जहां उद्योग और पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं

Kanpur News: औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) अब केवल उद्योगों को जमीन देने वाला विभाग नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य को एक हरित और स्मार्ट औद्योगिक राज्य बनाने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है।

Avanish Kumar
Published on: 27 July 2025 3:56 PM IST
Kanpur News: UPSIDA का ग्रीन इंडस्ट्रियल मॉडल: जहां उद्योग और पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं
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UPSIDA, Green Industrial Model

Kanpur News: कानपुर, उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) अब केवल उद्योगों को जमीन देने वाला विभाग नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य को एक हरित और स्मार्ट औद्योगिक राज्य बनाने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। जल शोधन से लेकर ऊर्जा आत्मनिर्भरता तक, UPSIDA ऐसी मिसाल पेश कर रहा है जो पूरे देश के लिए आदर्श बन सकती है।

राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में यूपीएसआईडीसी ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP), वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (WWTP) और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) की स्थापना की है। इनका मकसद है—उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को वैज्ञानिक तकनीकों से साफ करना और उसे दोबारा उपयोग के लायक बनाना। मतलब, अब गंदा पानी भी कीमती संसाधन बन चुका है।

गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित दो WWTP संयंत्रों को SBR तकनीक में अपग्रेड किया जा रहा है। सूरजपुर का 6 MLD संयंत्र और EPIP कसना का 3.6 MLD संयंत्र अब आधुनिक तकनीकों से लैस होंगे। दोनों परियोजनाओं पर मिलाकर 15 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। इनका कार्य 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

गाज़ियाबाद में यूपीएसआईडीसी द्वारा संचालित लोनी क्षेत्र का STP संयंत्र MBBR तकनीक से काम करता है और पूरी क्षमता पर सक्रिय है। वहीं, क्षेत्र का एक विशेष CETP संयंत्र, जो डाइंग और टेक्सटाइल यूनिट्स के लिए बनाया गया है, अब 6 MLD से बढ़ाकर 16 MLD क्षमता तक विस्तारित किया जाएगा। इसके लिए करीब ₹42 करोड़ की विस्तृत योजना तैयार है।यूपीएसआईडीसी ने तय किया है कि शोधित जल को औद्योगिक क्षेत्रों में दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा—कूलिंग टावर, टॉयलेट फ्लशिंग, बागवानी, सड़क धुलाई जैसे कार्यों में।

इसके लिए पाइपलाइन नेटवर्क और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से बनाया जा रहा है।ऊर्जा के मोर्चे पर भी यूपीएसआईडीसी पीछे नहीं है। जल शोधन संयंत्रों की छतों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं, ताकि बिजली की जरूरत नवीकरणीय स्रोतों से पूरी हो। इससे न केवल बिजली बिल घटेगा, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होगा।

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Shalini Rai

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