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Lakhimpur Kheri News: खमरिया सीएचसी में जलभराव से बदला कार्यशाला का स्थान, भटके शिक्षक
Lakhimpur Kheri News: राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (National Deworming Day) के अंतर्गत आयोजित की जा रही ब्लॉक स्तरीय अभिमुखीकरण कार्यशाला को अचानक स्थान बदलना पड़ा।
Lakhimpur Kheri Khamaria CHC waterlogging News
Lakhimpur Kheri News: ईसानगर ब्लॉक में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (National Deworming Day) के अंतर्गत आयोजित की जा रही ब्लॉक स्तरीय अभिमुखीकरण कार्यशाला को अचानक स्थान बदलना पड़ा। कार्यशाला का आयोजन खमरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में होना था, लेकिन तेज बारिश के कारण हुए जलभराव से स्थान को बीआरसी खमरिया में स्थानांतरित कर दिया गया।
पूर्व निर्धारित सूचना के अनुसार अनेक सरकारी और निजी विद्यालयों के शिक्षक सीएचसी पहुँच गए थे, जिससे उन्हें कार्यशाला के नए स्थान तक पहुँचने में काफी समय और असुविधा का सामना करना पड़ा।कार्यशाला का उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक अध्ययनरत बच्चों को एल्बेंडाजोल टैबलेट दिए जाने के संबंध में शिक्षकों को जानकारी देना था। सीएचसी अधीक्षक डॉ. अमित कुमार सिंह ने जलभराव के कारण स्थान परिवर्तन का निर्णय लिया, जिसकी सूचना बीईओ अखिलानंद राय द्वारा शिक्षकों को दी गई, परंतु सूचना समय से न पहुँच पाने के कारण शिक्षक घंटों तक भ्रमित होते रहे।
डीएम से शिकायत के बाद भी नहीं बनी इंटरलॉकिंग सड़क, जलभराव से ग्रामीण परेशान
धौरहरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत बैबहा मटेहनी के मजरा शाहपुर में वर्षों से इंटरलॉकिंग सड़क की मांग अनसुनी पड़ी है। ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायत करने के बावजूद मुख्य मार्ग पर इंटरलॉकिंग कार्य शुरू नहीं हो पाया, जिससे बरसात में जलभराव की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान से लेकर ब्लॉक मुख्यालय और यहां तक कि जिलाधिकारी (डीएम) तक शिकायत की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
डीएम के निर्देश पर ब्लॉक के अधिकारियों ने जांच कर एक सप्ताह में कार्य शुरू होने का आश्वासन दिया था, परंतु वह केवल कागजों तक ही सीमित रहा।मोहन लाल, राम प्रताप, मोहित, अवधेश कुमार, सुनील, श्रवण कुमार सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि जलभराव से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को विशेष परेशानी हो रही है। अब ग्रामीण मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जाकर अपनी पीड़ा रखने की तैयारी में हैं।अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रदेश के मुखिया के हस्तक्षेप से ग्रामीणों को राहत मिलेगी, या यह रास्ता यूं ही उपेक्षा की कहानी बना रहेगा।
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