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Animal Save India Billboard Campaign: एनीमल सेव इंडिया का बिलबोर्ड कैंपेन बना चर्चा का विषय
Animal Save India Billboard Campaign: एनीमल क्लाइमेट एंड हेल्थ सेव फाउंडेशन के बिलबोर्ड अभियान ने जागरूकता और पौध-आधारित जीवनशैली को अपनाने की प्रेरणा दी।
Animal Save India Billboard Campaign Sparks Awareness
Animal Save India Billboard Campaign: शहर-शहर गूँजा सच्चाई का नाराः 'दूध मांसाहार है', एनिमल क्लाइमेट एंड हेल्थ सेव फाउंडेशन इंडिया ने देशभर में डेयरी उपभोग से जुड़ी गहरी जमी हुई गलतफहमियों को चुनौती देने के लिए एक पैन-इंडिया जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत 140 से अधिक बिलबोर्ड प्रमुख शहरों और कस्बों में लगाए गए हैं, जिन पर साहसिक और स्पष्ट संदेश लिखा है: "दूध मांसाहार है।" यह अभियान जिन शहरों में पहुंचा है, उनमें शामिल हैं- दिल्ली (ईस्ट दिल्ली और द्वारका), बेंगलुरु, पुणे, फरीदाबाद, रांची (झारखंड), धनबाद (झारखंड), पटना, आगरा, कानपुर, जबलपुर, मधुबनौ (बिहार), मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) और करहल (उत्तर प्रदेश)।
"भारत में दूध को अक्सर शाकाहारी माना जाता है। लेकिन हर गिलास दूध के पीछे पशु शोषण और क्रूरता की सच्चाई छिपी होती है, फाउंडेशन की निदेशक अपराजिता ने कहा। इस अभियान के जरिए हम यह संदेश देना चाहते हैं कि सच्चा शाकाहार किसी भी तरह के पशु शोषण को स्वीकार नहीं करता। हम लोगों से करुणा को चुनने और वीगन जीवनशैली अपनाने की अपील करते हैं।"
जनता की प्रतिक्रिया
यह अभियान आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इस संदेश को देखकर चकित रह गए, जबकि कुछ ने समझ और समर्थन व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि कई लोगों ने बिलबोर्ड पर लगे क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद वीरान बनने का निर्णय लिया। यह कोड दर्शकों को यूट्यूब पर उपलब्ध डॉक्यूमेंट्री 'माँ का दूध तक ले जाता है।
हमारा उद्देश्य सिर्फ जागरुकता बढ़ाना नहीं बल्कि सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा देना है," अपराजिता ने आगे कहा। हमारी थाली में लिया गया हर निर्णय जानवरों, पृथ्वी और हमारे स्वयं के स्वास्थ्य पर असर डालता है।"
एनीमल क्लाइमेट एंड हेल्थ सेव फाउंडेशन के बारे में
एनीमल क्लाइमेट एंड हेल्थ सेव फाउंडेशन (एनिमल सेव इंडिया) एक पंजीकृत सेक्शन 8 गैर-लाभकारी संस्था है, जो पूरे भारत में एक सामाजिक न्याय आंदोलन का निर्माण कर रही है। हमारा कार्य जलवायु परिवर्तन को उलटने, पृथ्वी का पुनः वनीकरण करने, पशु शोषण को समाप्त करने और पौध-आधारित जीवनशैली को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। अहिंसा और करुणा के सिद्धांतों से प्रेरित होकर, हमारा उद्देश्य प्रत्येक संवेदनशील प्राणी के प्रति नैतिक जिम्मेदारी जगाना और सतत, पर्यावरण-हितैषी जीवनशैली को प्रोत्साहित करना है।
वर्तमान में हम 14 राज्यों में 100 से अधिक वालंटियर्स के साथ सक्रिय हैं और पूरे देश में अध्यायों का विस्तार कर रहे हैं। वकालत, जागरुकता और सामुदायिक कार्यों के माध्यम से हम एक न्यायपूर्ण और समान समाज की कल्पना करते हैं, जहाँ मनुष्य और अन्य जीव मिलकर सामंजस्यपूर्ण जीवन जी सकें।
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