नाग पंचमी पर लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने दिया सामाजिक संदेश, कहा- 'गुड़िया को पीटने के बजाए करें पूजन'

Lucknow News: नाग पंचमी पर श्रीमहंत देव्या गिरि जी ने गुड़िया पीटने की परंपरा को बंद कर गुड़िया पूजन करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कन्या को देवी मानने वाली संस्कृति में ऐसी परंपरा अनुचित है। श्रद्धालुओं ने भी उनके विचारों का समर्थन किया।

Hemendra Tripathi
Published on: 29 July 2025 10:04 PM IST
नाग पंचमी पर लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने दिया सामाजिक संदेश, कहा- गुड़िया को पीटने के बजाए करें पूजन
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Lucknow News: नाग पंचमी जैसे पवित्र पर्व पर जब श्रद्धालु देवताओं के पूजन में लीन थे, उसी अवसर पर एक महत्वपूर्ण सामाजिक चेतना का संदेश सामने आया। मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्या गिरि महाराज ने अवध क्षेत्र में प्रचलित 'गुड़िया पीटने' की परंपरा पर सवाल खड़ा करते हुए इसे समाप्त करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में कन्या को देवी स्वरूप माना गया है और ऐसे में गुड़िया पीटना सांस्कृतिक रूप से गलत है। उनकी अपील केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक सोच में बदलाव की दिशा में एक सार्थक प्रयास भी मानी जा रही है। मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस सोच को व्यापक समर्थन देते हुए इसे लोकहितकारी बताया।

परंपरा का पुनर्मूल्यांकन ज़रूरी: महंत देव्यागिरी

मनकामेश्वर महंत देव्या गिरि ने नाग पंचमी के अवसर पर मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं से संवाद करते हुए कहा कि हमारी परंपराएं तभी जीवित रह सकती हैं, जब हम उन्हें समय के अनुसार परखें और उसमें आवश्यक सुधार करें। गुड़िया पीटने की परंपरा नारी के प्रतीक रूप में देवी के सम्मान के विरुद्ध है। इस विशेष अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए, नाग देवता की पूजा की और साथही एक नए सामाजिक संदेश को भी आत्मसात किया।

देवी स्वरूप कन्या का पूजन करें, पीटें नहीं

महंत देव्यागिरी ने कहा कि जब कन्या को नवदुर्गा के रूप में पूजने का विधान है, तो गुड़िया पीटने जैसी प्रथा न केवल अमानवीय है बल्कि हमारी संस्कृति के मर्म के भी खिलाफ है। उन्होंने गुड़िया पूजन को बढ़ावा देने की अपील की। मंदिर में मौजूद श्रद्धालु गौरजा गिरि, किरण, ऊषा, पियूष समेत अन्य लोगों ने श्रीमहंत जी के विचारों को पूरी तरह उचित और समयानुकूल बताया। सभी ने एक स्वर में कहा कि अब समाज को जागरूक होकर इस परंपरा को बदलना चाहिए।

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