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अवैध संबंध है...क्या करूं! भक्त के सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने रिश्ता बचाने का सुझाया उपाय
Premanand Ji Maharaj: एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से अपना सवाल पूछा किया उसका जीवनसाथी का किसी के साथ अवैध संबंध है। अब वह क्या करें? इस पर प्रेमानंद महाराज ने बेहद सहजता के साथ भक्त को अपना रिश्ता बचाने का उपाय सुझाया।
Premanand Ji Maharaj
Premanand Ji Maharaj: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के वृंदावन में एक आश्रम में रहने वाले मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज के पास दूर-दराज से लोग मिलने के लिए आते हैं और अपनी शंकाओं और दुविधाओं को बेझिझक होकर उनसे कहते हैं। प्रेमानंद महाराज भी हर विषय पर भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। ऐसा ही एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से अपना सवाल पूछा किया उसका जीवनसाथी का किसी के साथ अवैध संबंध है। अब वह क्या करें? इस पर प्रेमानंद महाराज ने बेहद सहजता के साथ भक्त को अपना रिश्ता बचाने का उपाय सुझाया।
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि इस समस्या का समाधान धर्म और प्रेम से ही निकल सकता है। न कि आवेग या हिंसा से। अगर जीवनसाथी अवैध संबंध में पड़ गया है तो उसे सबसे पहले क्रोध नहीं, प्रेम से सँभालिए। पाप का परिणाम दिखाइए, लेकिन अपमानित मत कीजिए। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी ने ब्रह्मचर्य, संयम और विवाह की पवित्रतायें। यह सभी बातों बहुत पीछे छोड़ दिया हैं। मनोरंजन प्रधान जीवनशैली ने “विवाह” को भी एक अनुभव मात्र बनाकर रख दिया है।
संयम की जगह आकर्षण और रिश्तों में बोर होने पर त्याग यह नया पैटर्न बन गया है। बदलते बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड, लिवइन रिलेशनशिप ये सब किशोरावस्था से ही चरित्र को बिगाड़ रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में शादी तक कोई “एकनिष्ठता” की मानसिकता रह ही नहीं गयी है। मित्रता में भी मर्यादा बेहद ज़रूरी है। स्त्री-पुरुष का मित्र होना कोई दोष नहीं है। लेकिन मित्रता में विकार और सांसारिक आकर्षण का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
समस्या की जड़ बचपन की आदतें
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि विवाह के बाद भी अगर मन मनोरंजनप्रिय बना रहता है तो जीवनसाथी कितनी भी सुंदर, स्नेही या योग्य हो। व्यक्ति मर्यादा नहीं रख पाएगा। इसलिए समस्या की जड़ बचपन की आदतें होती हैं, न कि वर्तमान जीवनसाथी। अपने जीवनसाथी को सुधारन का पहला उपाय यह ही है कि पहले खुद पवित्र बनें। अगर आप ही झूठ बोलते हैं, फ़्लर्ट करते हैं या अश्लील फिल्में देखते हैं। तो सामने वाला कभी भी आपको गंभीरता से नहीं लेगा। उन्होंने रामचरितमानस एक श्लोक पढ़ते हुए उदाहरण दिया कि
पति वंचक पर पति रति करई।
रो रो नरक कल्प सत्त परई।।
विवाह में विश्वासघात करने वाला पुरुष या स्त्री रौरव नरक का भागी होता है। यह बताना ज़रूरी है पर आक्रोश से नहीं, बल्कि विवेक से। जीवनसाथी को चाहिए कि अपने पार्टनर की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक आवश्यकताओं को समझे। जिन कारणों से वह बहक गया है। उन्हें धर्म की दृष्टि से शुद्ध करे। जैसे शरीर का कोई अंग सड़ जाए तो पहले दवा दी जाती है, सीधे काटा नहीं जाता।
उन्होंने कहा कि समझाने पर भी जीवनसाथी प्रमाद में ही डूबा रहे तो धर्म के मार्ग को अपनाना चाहिए। धार्मिक मर्यादा का पालन करते हुए सरकार द्वारा दी गई व्यवस्था को अपनाया जा सकता है। किसी भी स्थिति में हिंसा, गाली-गलौच या प्रताड़ना करना पाप है। पाप का जवाब और पाप से देना सज्जन का मार्ग नहीं होता है।
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