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Sant Kabir Nagar News: धरातल पर चौपाल का बुरा हाल, जनता बेहाल सिर्फ साहब हो रहे मालामाल
Sant Kabir Nagar News: शासन के निर्देश और मुख्य विकास अधिकारी के अनुमोदन के बाद जिले में 3 जुलाई से 26 सितंबर तक कुल 198 ग्राम पंचायतों में चौपाल का आयोजन किया जाना है।
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Sant Kabir Nagar News: "अंधेर नगरी, चौपट राजा" यह लाइन आज कल संतकबीरनगर जिले के विकास भवन के कारनामे पर सटीक बैठती दिख रही है। शासन के विकास की परियोजनाएं जिम्मेदारों की जेब भरने का माध्यम बनती जा रही हैं। केंद्र सरकार मनरेगा तो जमीनी स्तर पर पहले से ही बदनाम थी अब प्रदेश सरकार की बेहद महत्वपूर्ण योजना "ग्राम चौपाल" पर भी विकास भवन के एक जिम्मेदार साहब की गिद्ध जैसी निगाह जम गई है।
शासन के निर्देश और मुख्य विकास अधिकारी के अनुमोदन के बाद जिले में 3 जुलाई से 26 सितंबर तक कुल 198 ग्राम पंचायतों में चौपाल का आयोजन किया जाना है। शासन की मंशा के तहत इन ग्राम चौपालों में ब्लॉकों के खंड विकास अधिकारियों के साथ सभी विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों का पहुंचना अनिवार्य है। चौपाल में ग्रामीणों की समस्याओं को मौके पर ही सुन कर उनकी सूची तैयार की जानी है और सभी शिकायतों और समस्याओं को संबंधित विभाग को संदर्भित करके उनका निदान निकलवाने का निर्देश है।
चौपाल में नामांकित हुई समस्याओं के निदान की मॉनिटरिंग संबंधित बीडीओ से लेकर विकास भवन के जिम्मेदार अधिकारियों को किया जाना है। प्रत्येक शुक्रवार को एक ब्लॉक के दो दो ग्राम पंचायतों में चौपाल आयोजित की जाती है। धरातल पर अगर ग्राम चौपाल का हाल यह है कि सिर्फ ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव ही चंद ग्रामीणों को बैठा कर चौपाल वाले बैनर टांग फोटो खिंचवा कर चौपाल की इतिश्री कर दे रहे हैं। जिससे शासन की गांव में ही ग्रामीणों की समस्या निस्तारित करने की महत्वाकांक्षी सोच पर कुठाराघात हो रहा है। मजे की बात यह है कि यह चौपाल अब विकास भवन के एक जिम्मेदार अधिकारी की जेब भरने का माध्यम बन गई है।
सूत्रों का दावा है कि विकास भवन के एक लिपिक का चौपाल वाली ग्राम पंचायत के पास वसूली का पैगाम पहुंचता है। फरमान न पूरा करने पर ग्राम पंचायत में विकास कार्यों की जांच की धमकी दी जाती है। सूत्रों के दावे को यदि सच माना जय तो 50 हजार से शुरू होने वाली डिमांड लंबी बार्गेनिग के बाद 10 हजार प्रति ग्राम पंचायत पर निपट जाती है। साहब के इस कारनामे से जिले के पीड़ित प्रधानों में इस को लेकर भारी उबाल नजर आ रहा है।
पीड़ित प्रधान इस उत्पीड़न को लेकर ग्राम विकास मंत्री के दरबार में फरियाद की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि जिले में ग्राम चौपाल सिर्फ सो पीस और बड़े हुक्मरानों के वसूली का साधन बन कर रह गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत अभी तक उनके पास नही पहुंची है। फिर भी मामले की अपने स्तर से जांच कराएंगे। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही ग्राम चौपाल की धरातल पर मॉनिटेटिंग भी कराई जाएगी।
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