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Sonbhadra News: सोनभद्र में कोयला तस्करी रैकेट का पर्दाफाश: चारकोल मिलावट से करोड़ों का घोटाला, गहराई से जांच पर खुल सकते बड़े नाम
Sonbhadra News: पिछले दिनों, पिपरी थाना क्षेत्र में वन विभाग और पुलिस की तरफ से पकडे गए कोयले लदे तीन ट्रकों के मामले में, पिपरी पुलिस की तरफ से एक व्यक्ति की गिरफ्तारी की गई है।
Sonbhadra coal scam (photo: social media )
Sonbhadra News: ट्रांसपोर्ट कंपनियों के जरिए, बिजली-अल्युमिनियम कारखानों को भेजे जाने वाले कोयले में चारकोल यानी कोयले से मिलते-जुलते पदार्थ की मिलावट की जा रही है। कुछ वर्ष पूर्व, डाला क्षेत्र के सलईबनवा रेलवे साइडिंग से भेजे जाने वाले कोयले में मिलावट का बड़ा खेल सामने आया था। अब उसी कंपनी से जुड़ी मोरवा-बरगवां रेल साइडिंग के जरिए भेजे जाने वाले कोयले में भी इसी तरह का कथित खेल खेले जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
फिलहाल पिछले दिनों, पिपरी थाना क्षेत्र में वन विभाग और पुलिस की तरफ से पकडे गए कोयले लदे तीन ट्रकों के मामले में, पिपरी पुलिस की तरफ से एक व्यक्ति की गिरफ्तारी की गई है। पूछताछ में आरोपी ने, कोयले की मिलावट और बचे कोयले की तस्करी करने वाले ब्लैक डायमंड तस्करी गैंग के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं।
बताते चलें कि पकड़े गए कोयला लदे तीन ट्रकों में दो को वन विभाग और एक को पुलिस ने पकड़ा था। इसको लेकर वन विभाग और पुलिस ने अपने-अपने यहां केस भी दर्ज किया था। चालक मौके से फरार हो गए थे। पुलिस ने पकड़े गए ट्रक पर 34.710 टन कोयला चोरी का लदा पाया। इस संबंध में धारा-303(2), 317(2), 61(2) बीएनएस और 3/5 सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 4/21 खान खनिज अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था।
एसपी ने दिए थे मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि एसपी अशोक कुमार मीणा की तरफ से इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। इसके क्रम में पिपरी पुलिस ने तुर्रा चौराहे से प्रकरण में वांछित महेंद्र प्रजापति पुत्र छोटेलाल प्रजापति निवासी मकान नंबर 12 गोंदवाली सरकारी विद्यालय के पास थाना बरगवां जिला सिंगरौली (मध्यप्रदेश) को मंगलवार को दबोच लिया। पुलिस के मुताबिक पूछताछ में आरोपी महेंद्र ने बताया कि वह पकड़े गए वाहन का चालक है। अपने मालिक लोगों के कहने पर कोयले को ग्रासिम कंपनी मध्य प्रदेश के लिए लोड करके ले जाता है। वहां पर कुछ कोयले में चारकोल का मिश्रण यानी मिलावट की जाती है। इस दौरान जो एक नंबर का कोयला बच जाता है उसे वह मालिक के कहने पर कोयला मंडी चंदासी पहुंचा देता है। पकड़े गए कोयले को भी वह वहीं ले जा रहा था, रास्ते मे चेकिंग के दौरान वाहन छोड़कर भाग गया था। गिरफ्तारी प्रभारी निरीक्षक सत्येंद्र कुमार राय के अगुवाई वाली टीम ने की।
जानिए मोटे मुनाफे की गणित का यह पूरा खेल:
बताया जाता है कि एनसीएल क्षेत्र से रेलवे रैकों के जरिए, यूपी सहित कई राज्यों के बिजली-अल्युमिनियम सहित अन्य कारखानों को कोयले की सप्लाई की जाती है। यह कोयला एनसीएल और उस कारखाने के बीच जुड़े लिंकेज का होता है इस कारण यह काफी रियायत दर पर यानी बाजार में जिस कोयले का रेट छह हजार टन है, वहीं कोयला रियायती दर पर दो हजार रुपये टन के हिसाब से उपलब्ध हो जाता है। इस आपूर्ति के खेल में पश्चिम बंगाल से जुड़ी एक कंपनी की बादशाहत बनी हुई है। स्थानीय स्तर पर भी कई ट्रांसपोर्टरों का इस कंपनी से अघोषित जुड़ाव बना हुआ है। झारखंड से इस पूरे खेल की निगरानी की जाती है ओर वहीं से विभिन्न माध्यमों से कोयले में मिलावट के लिए चारकोल यानी कोयले से मिलता-जुलता पदार्थ उपलब्ध कराया जाता है। एक तरफ मिलावट के जरिए बचे कोयले का मुनाफा मिलती है। वहीं, दूसरी तरफ रियायती दर वाले कोयले को खुले बाजार में तीन गुना अधिक तक के रेट पर बेचकर, हर माह करोड़ों का वारा-न्यारा कर लिया जाता है।
हुई गहन जांच तो पश्चिम बंगाल तक पहुंचेगी आंच:
कहा जाता है कि इस खेल को स्थानीय स्तर पर ही नहीं, शीर्ष स्तर पर भी कई सफेदपोशों का संरक्षण मिला हुआ है। यहीं कारण है कि इस रैकेट-सिंडीकेट पर सीधे कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। पूर्व में चारकोल लेकर पूरी रेलवे रैक ही सोनभद्र पहुंचने की बात सामने आई थी लेकिन रेलवे रैक के जरिए लाई गई चारकोल का किस रूप में और कहां उपयोग किया जा रहा, इस खेल के पीछे कौन‘-कौन संलिप्त हैं, इसको जानने की जरूरत नहीं समझी गई। अलबत्ता एनसीएल बीना के जमीन पर पकड़े गए हजारों मिलियन टन कोयले का भी एक बड़ा हिस्सा, चोरी-छुपके यूपी से एमपी पहुंचा दिया गया। कागज पर उठान की अनुमति कहीं, उठान कहीं की बात सामने आई।
ऊंची रसूख और बड़े संरक्षण के चलते नही हो पाती है कार्रवाई:
लोकेशन से जुड़ी तस्वीरें मीडिया की सुर्खियां भी बनी लेकिन कार्रवाई के नाम पर संबंधितों की तरफ से भी चुप्पी साधे रखी गई। इस मामले में भी महज एक चालक की गिरफ्तारी हुई है। असली गुनहगारों तक पुलिस पहुंच पाएगी या फिर रसूखदारों के दबाव में कुछ दिन बाद जैसे-तैसे जांच की फाइल बंद कर दी जाएगी, इसको लेकर भी चर्चाएं बनी हुई है। कहा जा रहा है कि अगर मामले की गहनता से जांच हो जाए तो न केवल राष्ट्रीय स्तर पर ब्लैक डायमंड तस्करी के बडे़ सिंडीकेट का खुलासा होगा बल्कि इसकी आंच सिर्फ, यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, झारखंड ही नहीं पश्चिम बंगाल तक पहुंची दिखाई देगी।
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