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Sonbhadra News: NCL की आउटसोर्सिंग कंपनियों में नौकरी के लिए पहुंच रहे जनप्रतिनिधियों-अधिकारियों के सिफारिशी पत्र, जानें पूरा मामला
Sonbhadra News: एनसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनियों में स्थानीय और विस्थापित परिवारों को 80 प्रतिशत रोजगार दिए जाने के प्रावधान की अनदेखी के आरोप लगाए जा रहे हैं।
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Sonbhadra News: एक तरफ जहां एनसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनियों में स्थानीय और विस्थापित परिवारों को 80 प्रतिशत रोजगार दिए जाने के प्रावधान की अनदेखी के आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों और बड़े अधिकारियों की ओर से एनसीएल को, नौकरी दिलाने के लिए सिफारिशी पत्र भेजे जाने का मामला सामने आया है। इससे जुड़े कई पत्र वायरल भी हो रहे हैं। एक तरफ एनसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनियों में जनप्रतिनिधियों, बड़े अधिकारियों के नाम कोटा निर्धारित किए जाने की, कथित सूची पूर्व में वायरल हो चुकी है। वहीं, अब सिफारिशी पत्रों को वायरल होने का मसला आया है।
बताते चलें कि पिछले वर्ष जहां एसए यादव नामक आउटसोर्सिंग कंपिनयों में नियमों‘-प्रावधानों की अनदेखी कर नौकरियों दिए जाने का मामला सामने आया था। वहीं, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की तरफ से एनसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनियों में नेताओं, जनप्रतिनिधियों के साथ ही अफसरों, सरकारी महकमे के अहम ओहदेदारों के नाम कोटा निर्धारित करने वाली कथित सूची को वायरल कर हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी थी।
हालांकि तत्कालीन समय में, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने ऐसे किसी कोटे की जानकारी से पल्ला झाड़ लिया था और सूची को फर्जी बताते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। इस बात को व्यतीत हुए बमुश्किलन एक से डेढ़ वर्ष हुए होंगे अब जनप्रतिनिधियों और बड़े अफसरों की तरफ से नौकरी के लिए एनसीएल में सिफारिशी पत्र भेजने और एनसीएल की तरफ से उस पर आउटसोर्सिंग कंपनी को आवश्यक पहल किए जाने के दिए गए निर्देशों से जुड़े कथित पत्रों के वायरल होने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।
यूपी-एमपी दोनों राज्यों से भेजे गए सिफारिशी पत्र
जो पत्र वायरल हुए है। वह यूपी और एमपी दोनों राज्यों से जुड़े हुए हैं। एक पत्र में जहां सीधी सांसद की तरफ से सिफारिशी पत्र भेजे जाने का मामला सामने आया है। वहीं, दूसरे पत्र में पूर्वांचल के एक प्रतिष्ठित जनपद से जुड़े अभ्यर्थी के लिए सिफारिशी पत्र शासन से जुड़े एक बड़े अफसर से भेजे जाने की बात सामने आई है। जिले के ऑला अधिकारियोंके साथ ही, एनसीएल के अधिकारियों की तरफ से भी सिफारिशी पत्र पर अपनी संस्तुति देते हुए, आउटसोर्सिंग कंपनी को जरूरी पहल करने के लिए कहा गया है।
जिन लोगों के लिए सिफारिशी पत्र भेजे गए हैं, उन पत्रों में कितनी सच्चाई है, वह संबंधित आउटसोर्सिंग कंपनी में सेवायोजन के लिए निर्धारित किए गए मानक को किस हद तक पूरा करते हैं या नहीं करते, इस बारे में न्यूजट्रैक कोई दावा नहीं करता लेकिन जिस तरह से एक तरफ विस्थापित कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर स्थानीयों की उपेक्षा, नौकरी दिलाने के लिए बिचौलियों की तरफ से अच्छी खासी वसूली किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ बड़े जनप्रतिनिधियों और बडे़ अफसरों की तरफ से कथित सिफारिशी पत्र भेजे जाने के मसले को लेकर खासी चर्चा शुरू हो गई है।
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