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Sonbhadra News: सोनभद्र: श्रावण के पहले सोमवार से 'गुप्तकाशी दर्शन' यात्रा, 751 किमी का सात दिवसीय सफर
Sonbhadra News: साधु-संतों की एक टोली 'पंच तत्वों की रक्षा' का संकल्प लेकर आठ दिवसीय यात्रा पर निकलेगी। 751 किलोमीटर की यह यात्रा चोपन-जुगैल अंचल स्थित सोन त्रिवेणी संगम में स्नान और बाबा सोमनाथ के दर्शन-पूजन के साथ शुरू होगी।
सोनभद्र: श्रावण के पहले सोमवार से 'गुप्तकाशी दर्शन' यात्रा, 751 किमी का सात दिवसीय सफर (Photo- Newstrack)
Sonbhadra News: सोनभद्र। श्रावण मास के पहले सोमवार को 'गुप्तकाशी दर्शन' के लिए साधु-संतों की एक टोली 'पंच तत्वों की रक्षा' का संकल्प लेकर आठ दिवसीय यात्रा पर निकलेगी। 751 किलोमीटर की यह यात्रा चोपन-जुगैल अंचल स्थित सोन त्रिवेणी संगम में स्नान और बाबा सोमनाथ के दर्शन-पूजन के साथ शुरू होगी। शनिवार को गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट की एक बैठक में इस यात्रा का रूट और कार्यक्रम की रणनीति तय की गई।
यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम: इन स्थलों से होकर गुजरेगी टोली
ट्रस्ट के अध्यक्ष रवि प्रकाश चौबे के अनुसार, यात्रा पर निकलने के लिए साधु-संतों और श्रद्धालुओं का जमावड़ा यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले, यानी रविवार की शाम, सोन त्रिवेणी संगम तट स्थित गोठानी गाँव में विराजमान बाबा सोमनाथ के प्रांगण में हो जाएगा। यहाँ शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक सत्संग कथा और जन-जागरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। रात्रि विश्राम के बाद, अगली सुबह यानी सोमवार को, सुबह आठ बजे से 11 बजे तक पार्थिव पूजन और रुद्राभिषेक होगा। 11:30 बजे विशिष्ट अतिथियों द्वारा चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन और पौधरोपण कार्यक्रम किया जाएगा। इसके बाद, संगम का पवित्र जल लेकर सात दिवसीय यात्रा की शुरुआत होगी।
पहले दिन की यात्रा में बाबा सोमनाथ धाम से निकली टोली मां बंसरा, अघोरी दुर्ग स्थित मां महिषासुरमर्दिनी, ओबरा स्थित बाबा भूतेश्वर दरबार, सलईबनवा के दुअरा घाटी स्थित अमर गुफा, हाथीनाला में पंचमुखी हनुमान और दुद्धी स्थित मंदिरों का दर्शन-पूजन करते हुए शाम को उत्तर प्रदेश से सटे झारखंड स्थित बाबा बंशीधर दरबार पहुँचेगी। यहीं सत्संग कथा के साथ रात्रि विश्राम किया जाएगा।
15 जुलाई (मंगलवार) की सुबह आठ बजे बाबा बंशीधर से यात्रा शुरू होकर राजा पहाड़ी पर विराजमान महादेव के पास पहुँचेगी। यहाँ दर्शन-पूजन और अभिषेक के बाद भवनाथपुर, खरौंधी, कोन स्थित प्राचीन शिव मंदिर का दर्शन-पूजन किया जाएगा। इसके बाद चाचीकलां, पिंडारी गुफा स्थित गुप्ताधाम, अमिला धाम, गोमुख बाबा, कौल संप्रदाय के प्रवर्तक मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली-गुफा दर्शन करते हुए विजयगढ़ दुर्ग पहुँचेगी, जहाँ सत्संग के साथ रात्रि विश्राम होगा।
16 जुलाई (बुधवार) को यात्रा विजयगढ़ दुर्ग से सुबह सात बजे निकलकर मऊ कला, दुर्गा माता शिखर स्थल, ऋण मुक्तेश्वर महादेव पटना, सतपोखरिया महादेव सिलथम, रामपुर एरिया के सोम गाँव स्थित धरती माता, चिचलिक स्थित शिव मंदिर और गौ माता मंदिर खोडैला से होते हुए महुली पहुँचगी। यहीं रात्रि विश्राम का पड़ाव डाला जाएगा।
17 जुलाई (गुरुवार) की सुबह आठ बजे महुली से निकली यात्रा सियरिया, खलियारी, छिपाताली, वैनी, सेमरिया, बिछिया आदि गाँवों से होते हुए सातवीं शताब्दी के पंचायत शैली में बने शिव मंदिर में दर्शन-पूजन, गंगोत्री कुंड और झारखंडेय महादेव का दर्शन करते हुए दीवानी चुआ पहुँचेगी।
18 जुलाई (शुक्रवार) को गंगोत्री कुंड से जल लेकर यात्रा आगे बढ़ेगी। यह नलेश्वर महादेव नलराजा, बाघेश्वर महादेव बघैला, सिद्धेश्वर महादेव शिवाला गाँव, शिव मंदिर रामगढ़, पंचमुखी महादेव रौप, गिरजाशंकर धाम कण्वकोट, मार्कंडेय तपोस्थली मारकुंडी, बरैला महादेव और गौरी शंकर महादेव का दर्शन-पूजन करते हुए शाम को शिवद्वार धाम पहुँचेगी।
19 जुलाई (शनिवार) को शिवद्वार धाम से यात्रा निकलकर अंकोरवाट शैली के बरकन्हरा विष्णु मंदिर, खजुरी, मुक्खाफाल, कड़िया तारामंडल, ठाकुर ठाकुरई होते हुए मिर्जापुर जिले के विंध्याचल धाम पहुँचेगी। यहाँ माँ विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन और काशी में संकट मोचन मंदिर दर्शन-पूजन कर रात्रि विश्राम का पड़ाव दशाश्वमेध घाट पर डाला जाएगा।
20 जुलाई (रविवार) की सुबह गंगा स्नान और बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन-अभिषेक के साथ इस भव्य यात्रा का समापन किया जाएगा।
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