बिजली निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का 'कॉर्पोरेट घरानों सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर छोड़ो' अभियान

Electricity Privatization: बिजली कर्मचारी अभियान के दौरान 8 से 15 अगस्त तक प्रदेश भर में बिजली कर्मचारी तिरंगा लेकर व्यापक जनसंपर्क करेंगे। इस दौरान आम जनता को निजीकरण के संभावित नुकसानों के बारे में जागरूक करेंगे।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 6 Aug 2025 7:41 PM IST
Electricity Privatization in UP
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Electricity Privatization in UP (Photo: Network)

Electricity Privatization: बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ नया अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि "भारत छोड़ो" आंदोलन की पूर्व संध्या पर 08 अगस्त को प्रदेश भर में "कॉर्पोरेट घरानों- सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर छोड़ो" अभियान चलाया जाएगा।

निजीकरण से बढ़ेगी बिजली की कीमतें

संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को बाधित करने वाला है। निजी कंपनियां केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से काम करती हैं, जिससे बिजली दरों में बढ़ोतरी होती है। इसका सीधा असर किसानों, गरीबों और मध्यम वर्ग पर पड़ेगा।

तिरंगा लेकर जनसंपर्क करेंगे कर्मचारी

इस अभियान के तहत 8 से 15 अगस्त तक प्रदेश भर में बिजली कर्मचारी तिरंगा लेकर व्यापक जनसंपर्क करेंगे। इस दौरान आम जनता को निजीकरण के संभावित नुकसानों के बारे में जागरूक करेंगे। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पॉवर कॉरपोरेशन के वित्त निदेशक निधि नारंग को तीसरी बार सेवा विस्तार न देने की मांग है।

कॉर्पोरेट घरानों को गोपनीय दस्तावेज

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निधि नारंग ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन के साथ मिलकर चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों को गोपनीय दस्तावेज दे रहे हैं। शासन ने उनके सेवा विस्तार को अनुचित ठहराया है, इसके बावजूद यूपीपीसीएल अध्यक्ष ने दोबारा सेवा विस्तार की सिफारिश की है। निधि नारंग के कार्यालय को तुरंत सील करने की भी मांग की है।

आगरा और कानपुर में बिजली निजीकरण

आगरा और कानपुर में बिजली निजीकरण के समय भी आगरा और कानपुर शहर की हानियों को बढ़ाकर दिखाया गया था। आगरा के विषय में कैग की रिपोर्ट में खुलासा तक हो चुका है। उसमें निजी कम्पनी को लाभ देने का आरोप लगा था। इसके बावजूद आगरा का बिजली करार रद्द करने के लिए पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ने ठोस कदम नहीं उठाया।

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