चीन की बड़ी तैयारी! बढ़ा रहा 'परमाणु ताकत', छूट जाएगा पसीना... अमेरिका से भारत तक अलर्ट

China Nuclear Weapons: चीन का परमाणु हथियारों का भंडार तेजी से बढ़ रहा है, 2024 में 500 वारहेड्स तक पहुंचने के बाद, यह वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन गया है।

Akriti Pandey
Published on: 11 Oct 2025 10:41 AM IST
China Nuclear Weapons
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China Nuclear Weapons: जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही है, चीन चुपचाप अपने परमाणु हथियारों को और मजबूत करने में जुटा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन का न्यूक्लियर स्टॉकपाइल पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है, जिससे वैश्विक सुरक्षा पर नए सवाल उठ रहे हैं। चीन के परमाणु हथियारों की संख्या में जो वृद्धि हुई है, वह केवल एशिया ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

चीन के परमाणु स्टॉकपाइल की तेज वृद्धि

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में चीन के पास 410 परमाणु वारहेड थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 500 हो गई। यह संख्या केवल एक साल में 100 नए परमाणु हथियारों की वृद्धि को दर्शाती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। 2025 के शुरुआती आंकड़े यह संकेत देते हैं कि चीन के पास परमाणु हथियारों की संख्या और बढ़ सकती है। यह चीन के तेजी से बढ़ते न्यूक्लियर पावर का स्पष्ट संकेत है, जो पूरी दुनिया के सामरिक संतुलन पर गहरा असर डाल सकता है।

भारत के लिए एक चेतावनी

चीन के परमाणु हथियारों की संख्या में वृद्धि, भारत सहित अन्य परमाणु संपन्न देशों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। अमेरिका, रूस और भारत जैसी परमाणु शक्ति संपन्न देशों की नजरें अब चीन की गतिविधियों पर और भी चौकस हो गई हैं। चीन ने हालांकि सार्वजनिक रूप से 'नो फर्स्ट यूज' (पहले परमाणु हमला न करने) की नीति को दोहराया है, लेकिन इसके तेजी से बढ़ते परमाणु स्टॉकपाइल को देखते हुए उसकी इस नीति पर सवाल उठने लगे हैं। भारत के लिए यह स्थिति अपनी सुरक्षा और परमाणु नीति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता को उजागर करती है।

चीन का परमाणु कार्यक्रम कब से शुरू हुआ

चीन ने अपना परमाणु हथियार कार्यक्रम 1955 में शुरू किया, जिसे 'Project 596' नाम दिया गया था। इस कार्यक्रम को शुरू करने में उसे सोवियत संघ से शुरुआती तकनीकी मदद मिली। 1964 में, चीन ने अपना पहला परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक लोप नोर (Lop Nur) में किया, और इस प्रकार वह दुनिया का पांचवां परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया। इससे पहले, अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन और फ्रांस परमाणु हथियारों के मालिक थे। इस सफल परीक्षण के बाद, चीन ने लोप नोर में अगले तीन दशकों में 45 परमाणु परीक्षण किए।

मिसाइल आधारित परमाणु हथियारों का विकास

चीन ने परमाणु हथियारों के विकास में मिसाइलों को महत्वपूर्ण भूमिका दी है। उसने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) और पनडुब्बी-लॉन्च परमाणु मिसाइलों का विकास किया, जिससे उसके परमाणु हमला करने की क्षमता में इजाफा हुआ। हालांकि, चीन ने Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty (CTBT) पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन अभी तक उसे अनुमोदित नहीं किया है। यह चीन की परमाणु नीति को लेकर और सवाल उठाता है।

चीन की नई योजनाएं

2020 के बाद से चीन ने अपने परमाणु हथियारों के भंडार को तेजी से बढ़ाना शुरू किया है। SIPRI और अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, यदि यही रफ्तार बनी रही, तो 2035 तक चीन के पास 1500 से अधिक परमाणु वारहेड हो सकते हैं। SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, चीन लगभग 350 नए मिसाइल साइलो (missile silos) बना रहा है, जिनमें से कुछ बन चुके हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं। यह बढ़ती हुई मिसाइलों की संख्या चीन की परमाणु ताकत को और मजबूत करेगी और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक नया खतरा उत्पन्न कर सकती है।

वैश्विक सामरिक संतुलन पर असर

चीन की बढ़ती परमाणु ताकत का असर केवल एशिया में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामरिक संतुलन पर पड़ सकता है। अगर चीन के परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ती रही, तो यह वैश्विक शक्तियों के बीच तनाव और संघर्ष को बढ़ावा दे सकता है। दुनिया के परमाणु संपन्न देशों को इस नए खतरे से निपटने के लिए अपनी सुरक्षा नीतियों पर पुनः विचार करना होगा, खासकर भारत को, जो पहले से ही अपनी परमाणु नीति और सुरक्षा पर सोच-विचार कर रहा है।

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