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'समुद्र में घुसपैठ'! भारत के इस इलाके के पास चीन की बढ़ी हलचल, 7000 मीटर नीचे चल रहा बड़ा खेल?
China Naval Activity: चीन के रिसर्च पोत और पनडुब्बी हिंद महासागर में सक्रिय हैं, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ गई है।
China Naval Activity
China Naval Activity: हाल ही में हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों ने भारत की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई बार चीन के पोत और रिसर्च पोत हिंद महासागर में नजर आ रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये पोत केवल वैज्ञानिक शोध के लिए नहीं, बल्कि जासूसी और सामरिक जानकारी जुटाने के लिए भी काम कर सकते हैं। इससे भारत के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता बढ़ गई है।
शेन है यी हाओ पोत का अभियान
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का पोत शेन है यी हाओ हिंद महासागर की ओर बढ़ रहा है। यह पोत पहले मालदीव की राजधानी माले के आस-पास देखा गया था। इसके साथ एक छोटी पनडुब्बी भी मौजूद है। दावा है कि यह पोत हिंद महासागर का सर्वे कर रहा है और समुद्र के भीतर की गहराईयों में वैज्ञानिक शोध कर रहा है।
गहरा समुद्री शोध और पनडुब्बी क्षमता
शेन है यी हाओ पोत और इसके साथ लगी पनडुब्बी समुद्र के 7 किलोमीटर नीचे तक शोध करने में सक्षम हैं। इसे दुनिया के सबसे एडवांस गहरे समुद्र में रिसर्च करने वाले जहाजों में से एक माना जाता है। इसकी विशेषता समुद्री तल की संरचना, खनिज भंडार, समुद्री मार्ग और पनडुब्बियों के रास्तों के बारे में जानकारी जुटाने की क्षमता है।
अंडमान-निकोबार कमांड पर प्रभाव
चीन की गतिविधि मुख्य रूप से अंडमान-निकोबार कमांड के आसपास अधिक देखी जा रही है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन समुद्री तल का डाटा, खनिज भंडार और पनडुब्बी मार्ग की जानकारी हासिल कर सकता है। इस जानकारी का इस्तेमाल वह रणनीतिक लाभ के लिए कर सकता है, जिससे भारत के समुद्री सुरक्षा हित प्रभावित हो सकते हैं।
इतिहास और पैटर्न
पिछले कुछ सालों में चीन ने कई रिसर्च पोत भेजे हैं, जिन्हें हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के नाम पर पेश किया गया। इन पोतों का लक्ष्य न केवल वैज्ञानिक शोध करना है, बल्कि समुद्री रणनीति और सामरिक जानकारी जुटाना भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हिंद महासागर में चीन की लगातार निगरानी और रिसर्च गतिविधि एक तरह से क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास है।
भारत के लिए आवश्यक कदम
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि भारत को अपने समुद्री क्षेत्र और समुद्री रास्तों की सुरक्षा बढ़ानी होगी। इसके लिए भारत को हाई-टेक निगरानी प्रणाली, ड्रोन, उपग्रह और नौसैनिक तट सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता है।
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