Crude Oil War: रूस से कच्चे तेल आयात पर ट्रंप का टैरिफ कार्ड!

Crude Oil War: भारत और चीन दोनों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी कच्चे तेल की खरीद लगातार बढ़ाई और रियायती दरों (Discounted Prices) का लाभ उठाया।

Shivani Jawanjal
Published on: 11 Aug 2025 4:27 PM IST (Updated on: 11 Aug 2025 5:12 PM IST)
Crude Oil War: रूस से कच्चे तेल आयात पर ट्रंप का टैरिफ कार्ड!
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Crude Oil War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ पहले ही लगा दिया था और फिर 6 अगस्त 2025 को ट्रंप ने इस टैरिफ को 50% से बढ़ा दिया है, जो 27 अगस्त 2025 से लागू किया जाएगा । भारत के खिलाफ अमेरिका का यह कड़ा कदम भारत द्वारा रूस से तेल के निरंतर आयात को लेकर उठाया गया है। ऐसे में सवाल उठता है की, भारत रूस से रोजाना कितना तेल आयत करता है? रूस के अलावा कौन से ऐसे देश है जो भारत के लिए कच्चे तेल का विकल्प बन सकते है? और भारत के अलावा कौन से ऐसे देश है जो रूस से कच्चा तेल खरीदते है ?

आइये जानते है इन सवालों के जवाब, न्यूजट्रैक के इस लेख में!

रूस से आता है इतना तेल!

भारत एक ऐसा देश है जो लगातार प्रगति के पथ पर है ऐसे में भारत की ऊर्जा जरूरतें भी अधिक है। और इन्ही ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की कच्चे तेल पर निर्भरता अधिक है । जिसकारण भारत अपनी कुल खपत का 85% से ज्यादा तेल विदेशों से खरीदता है। खास बात यह है की भारत अपनी जरूरत का एक-तिहाई से भी अधिक तेल सिर्फ अकेले रूस से आयात करता है । साल 2024 में भारत ने हर रोज औसतन 1.8 मिलियन बैरल कच्चा तेल रूस से ख़रीदा, जो रूस के कुल निर्यात का तक़रीबन 37 प्रतिशत था । रोज 1.8 मिलियन बैरल के हिसाब से साल 2024 में भारत ने रूस से प्रति घंटा 75000 बैरल कच्चा तेल आयात किया । इस हिसाब से भारत दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा खरीदारों में से एक है, जो रूस का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आयातकर्ता है।

2025 के आकड़े

2025 में जनवरी से जुलाई के बीच भारत ने रूस से प्रतिदिन 1.95 से 2.0 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया । जिसका मुख्य कारण पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद रूस से रियायती दामों पर तेल की उपलब्धता है। यानी, 2025 में भारत ने रूस से रोजाना करीब 2 मिलियन बैरल रूसी तेल ख़रीदा है।

साल 2024 में भारत ने किन - किन देशों से ख़रीदा कच्चा तेल?

रूस - साल 2024 में भारत ने रूस से प्रतिदिन 1.8 मिलियन बैरल कच्चा तेल ख़रीदा

इराक - साल 2024 में भारत ने इराक से 1.02 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया।

सऊदी अरब - साल 2024 में भारत ने सऊदी अरब से प्रतिदिन 0.45 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया।

UAE - UAE से 2024 में भारत ने प्रतिदिन 0.45 मिलियन बैरल ख़रीदा।

अमेरिका - 2024 में अमेरिका से भारत ने हर दिन 0.17 मिलियन बैरल कच्चा तेल का आयात किया।

किस देश की कितनी हिस्सेदारी?

वर्ष 2024 के दैनिक आकड़ों के अनुसार भारत ने सबसे ज्यादा तेल रूस से ख़रीदा और 36.3% के साथ रूस, भारत के हिस्सेदारी में प्रथम स्थान पर रहा । इसके बाद 20.5% के साथ इराक भारत के हिस्सेदारी में दूसरे स्थान पर रहा जबकि 13% की हिस्सेदारी के साथ सऊदी अरब तीसरे स्थान पर रहा । 9% के साथ यूएई चौथे और 3.5% के साथ अमेरिका पांचवें स्थान पर रहा जो भारत का हिस्सेदार बना । इन आकड़ों से स्पष्ट होता है की, रूस के अलवा इराक, सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका भारत के हिस्सेदार है । हालांकि कच्चे तेल की आपूर्ति में रूस, भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली साझेदार बना हुआ है।

भारत के अलावा रूस से कच्चा तेल खरीदते है ये देश

भारत के अलावा रूस से कच्चा तेल आयात करने वाले प्रमुख देशों में चीन, तुर्की, और हंगरी शामिल है।

चीन रूस से लगभग 219.5 बिलियन डॉलर की ऊर्जा (तेल, गैस, कोयला सहित) आयात करता है । रूस के कुल कच्चे तेल का लगभग 47% हिस्सा अकेला चीन खरीदता है। जो स्पष्ट करता है की, चीन रूस का सबसे बड़ा खरीदार है। तुर्की रूस से लगभग 90.3 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल आयात करता है। इसके आलावा हंगरी जैसे कुछ यूरोपीय देश भी सीमित मात्रा में पाइपलाइन के जरिए रूस से कच्चा तेल खरीदते हैं।

रूसी तेल का एशियाई देशों के लिए बड़ा बाजार बन चुका है, खासतौर पर ईयू के प्रतिबंधों के बाद।

एशियाई देश रूसी तेल के सबसे बड़े खरीददार है और एशियाई देशों के लिए रूसी तेल एक बड़ा बाजार बन चुका है। रूस लगभग 2.08 मिलियन बैरल कच्चा तेल भारत को बेचता है जो भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 40 प्रतिशत है। भारत के बाद चीन सबसे बड़ा देश है जो रूस का सबसे बड़ा आयातकर्ता है जबकि यूरोपीय संघ और तुर्की लगभग 6 प्रतिशत हिस्सा रूस से खरीदते हैं।

इसके अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका भी छोटे पैमाने पर रूस से कच्चा तेल खरीदते है। इसके अलावा कुछ अफ़्रीकी देश भी विशेष समझौतों के तहत रूस से कच्चा तेल आयात करते है । EU प्रतिबंधों के बाद एशिया रूस का अब सबसे बड़ा बाजार बन चूका है ।

भारत के लिए संभावित वैकल्पिक देश

अगर अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव कारण भारत को रुसी कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता घटानी पड़ती है तो, कई ऐसे देश है जो भारत के लिए बेहतर विकल्प बन सकते है। इन देशों में इराक पहले से ही भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसके अलावा OPEC+ के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब और यूएई भी भारत के लिए स्थिर और भरोसेमंद विकल्प साबित हो सकते है । कुवैत लंबे समय से भारत को निरंतर भारत आपूर्ति करता आ रहा है जबकि नाइजीरिया अफ्रीका का प्रमुख तेल निर्यातक है जो भारत के लिए भी उत्तम विकल्प हो सकता है । इसके अलावा ब्राज़ील और गुयाना लैटिन अमेरिका से उभरते हुए नए विकल्प हैं। तथा लंबी दूरी के बावजूद संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक स्थिर और रणनीतिक आपूर्ति स्रोत है जो भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति कर सकता है ।

अमेरिका का प्रतिबंध

संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी तेल के आयात के साथ - साथ कई प्रतिबंध लगाए है । बावजूद इसके भारत और चीन जैसे देश अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं जिससे अमेरिका नाराज है। अमेरिका ने भारत को रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं लेकिन भारत ने अभी भी रूसी तेल खरीदना जारी रखा है। इसके अलवा चीन भी रूस का एक प्रमुख खरीदार है और 2022 में रूस ने चीन को तेल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए एक प्रमुख पाइपलाइन परियोजना भी शुरू की है ।

रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस-यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022) के बाद, यूरोपीय संघ (EU) ने समुद्री मार्ग से आने वाले अधिकांश रूसी कच्चे तेल (crude oil) तथा तेल उत्पादों पर प्रतिबंध (sanctions) लगा दिए। हालांकि, कुछ पूर्वी यूरोपीय देश (जैसे हंगरी, स्लोवाकिया) पाइपलाइन के जरिए सीमित मात्रा में रूसी तेल खरीदते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर यूरोपीय बाज़ार बंद हो गए। जैसे ही यूरोपीय मांग में गिरावट आई, रूस ने अपना अधिकतर कच्चा तेल एशियाई बाजारों विशेषकर भारत और चीन की ओर मोड़ दिया।

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