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'दोहरा मापदंड गलत, हम जिम्मेदार देश ...' European Union के एकतरफा प्रतिबंध पर भारत ने सुनाई खरी-खोटी

India slams European Union: भारत के विदेश मंत्रालय ने रूसी हिस्सेदारी वाली भारतीय रिफाइनरी पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है कि यहां दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए, खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो।

Shivam Srivastava
Published on: 18 July 2025 9:39 PM IST (Updated on: 18 July 2025 10:03 PM IST)
India slams European Union
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India slams European Union (Photo: Social Media)

India slams European Union: भारत ने यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि भारत किसी भी तरह के एकतरफा प्रतिबंधों को नहीं मानता। उन्होंने कहा कि भारत एक जिम्मेदार वैश्विक साझेदार है और अपने सभी कानूनी दायित्वों के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुये कहा कि देश के नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा की उपलब्धता आवश्यक है। साथ ही, भारत ने यह भी साफ किया कि ऊर्जा व्यापार के मामले में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड स्वीकार्य नहीं हैं। भारत की यह सख्त प्रतिक्रिया उस समय आई है जब पश्चिमी देश रूस से तेल व्यापार पर विकासशील देशों पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन खुद विकल्प खुला रख रहे हैं।


दरअसल, यूरोपीय संघ ने रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए पहली बार भारत स्थित एक प्रमुख रिफाइनरी को निशाना बनाया है। EU की टॉप डिप्लोमैट काजा कैलास ने कहा, हम पहली बार किसी फ्लैग रजिस्ट्री और भारत में स्थित सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनरी को प्रतिबंधित कर रहे हैं।

यह प्रतिबंध गुजरात के वडिनार में स्थित उस रिफाइनरी पर लगाया गया है। जिसमें रूस की सरकारी तेल कंपनी Rosneft की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। वडिनार रिफाइनरी न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों की रीढ़ है। साथ ही दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी और रणनीतिक रूप से अहम रिफाइनरियों में से एक है। यूरोपीय संघ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर 18वें दौर के आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। इस नए पैकेज में यूरोपीय संघ ने पहली बार रूस के तेल निर्यात को वैश्विक स्तर पर टारगेट करते हुए उन रिफाइनरियों को भी शामिल किया है जो रूसी कच्चे तेल को रिफाइन करती हैं। इसमें भारत की एक प्रमुख रिफाइनरी भी शामिल है।

ब्रसेल्स से जारी बयान में कहा गया कि भारत में स्थित सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनर अब प्रतिबंधित इकाइयों में शामिल हैं। हालांकि रिफाइनरी का नाम आधिकारिक रूप से नहीं बताया गया। लेकिन संकेत स्पष्ट हैं कि यह गुजरात की वडिनार रिफाइनरी है। जिसे पहले एस्सार ऑयल द्वारा बनाया गया था और अब नायरा एनर्जी लिमिटेड संचालित करती है। इस कंपनी में रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है। यूरोपीय संघ ने इसके अलावा नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं और रूसी कच्चे तेल के दाम को बाज़ार मूल्य से 15% कम रखने की शर्त तय की है। इसका मकसद रूस के ऊर्जा राजस्व को सीमित करना है।

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