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ट्रंप को पछताना पड़ेगा! अमेरिका पर पलटवार के लिए ईरान तैयार! इस तरह से करेगा हमला, तबाह हो जाएगा पूरा America

Iran retaliation plan against America: ईरान ने अब खुलकर ऐलान कर दिया है कि वह अमेरिका के सैन्य अड्डों को निशाना बनाएगा। इराक़, बहरीन, क़तर, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, कुवैत और सीरिया जैसे देशों में स्थित अमेरिकी बेस अब ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों की रेंज में हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 23 Jun 2025 4:51 PM IST
ट्रंप को पछताना पड़ेगा! अमेरिका पर पलटवार के लिए ईरान तैयार! इस तरह से करेगा हमला, तबाह हो जाएगा पूरा America
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Iran retaliation plan against America: ईरान और इज़राइल के बीच छिड़े संघर्ष की आग अब सीधे अमेरिका तक पहुंच चुकी है। ट्रंप सरकार की तरफ से ईरान के सबसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों पर भीषण बमबारी के बाद अब पूरा मध्य-पूर्व बारूद के ढेर पर बैठा है। बी-2 बॉम्बर्स ने जिस तरह से ईरान के फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान को तबाह किया, उसने ईरानी नेतृत्व को उबाल पर ला दिया है। अब ईरान ने चेतावनी दी है – “अब हमारी बारी है।”

फोर्डो पर गिरा 'डूम बम', खामोश नहीं रहेगा ईरान

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस बम का इस्तेमाल करवाया, वह कोई साधारण हथियार नहीं था। 13,600 किलो का मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर यानी 'डूम बम', जिसे खासतौर पर भूमिगत परमाणु केंद्रों को तबाह करने के लिए बनाया गया है, उसने फोर्डो को मलबे में बदल दिया। ट्रंप ने ऐलान किया कि "ईरान के परमाणु ख्वाब को हमने जमींदोज कर दिया है"। लेकिन शायद उन्होंने ये नहीं सोचा था कि ईरान इतनी जल्दी पलटवार की तैयारी में उतर आएगा।

अमेरिकी ठिकाने अब निशाने पर – 19 देशों में बज रही खतरे की घंटी

ईरान ने अब खुलकर ऐलान कर दिया है कि वह अमेरिका के सैन्य अड्डों को निशाना बनाएगा। इराक़, बहरीन, क़तर, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, कुवैत और सीरिया जैसे देशों में स्थित अमेरिकी बेस अब ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों की रेंज में हैं। क़तर के अल-उदैद एयरबेस और बहरीन का नौसैनिक अड्डा सबसे पहले निशाने पर हो सकते हैं। रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने कहा है कि "अब अमेरिका को पछताना पड़ेगा, उसका हर कदम उसे भारी पड़ेगा।"

होर्मुज़ की नाकेबंदी: दुनिया की तेल नब्ज पर ईरानी हथौड़ा

ईरान के नेताओं और कट्टरपंथी गुटों ने एक और बड़ा ऐलान किया है – होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने का प्लान। यह वही रास्ता है जिससे दुनिया का 20% कच्चा तेल गुजरता है। यदि यह बंद होता है, तो वैश्विक तेल कीमतें आसमान छू जाएंगी और पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था हिल जाएगी। ईरान की नौसेना ने जल क्षेत्र में मिसाइल बोट, बारूदी सुरंगें और ड्रोन तैनात करने की बात कही है। यह अमेरिका को एक आर्थिक युद्ध में झोंकने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

ईरान की 'प्रॉक्सी आर्मी': गुप्त जंग का ऐलान

अब बात करते हैं उस सबसे छिपे हुए खतरे की – ईरान की प्रॉक्सी फोर्सेस। लेबनान का हिज़्बुल्लाह, यमन के हूती, इराक़ के शिया मिलिशिया और सीरिया के ईरान समर्थक गुट — ये सभी अमेरिका और उसके सहयोगियों पर 'स्लीपर सेल' जैसे हमले कर सकते हैं। हालांकि इनकी हाल की गतिविधियां सीमित रही हैं, लेकिन अगर ईरान अमेरिका से सीधे युद्ध में उतरता है, तो इनका सक्रिय होना तय माना जा रहा है।

इरावानी की चेतावनी: "हम तीन ठिकानों को उड़ा सकते हैं"

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि आमिर इरावानी ने साफ शब्दों में कहा है – “हम जवाब जरूर देंगे, वो भी अपने तरीके से। अमेरिका ने तीन ठिकाने उड़ाए हैं, अब हमारी बारी है।” ये बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका को सीधी चुनौती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के निशाने पर अमेरिका के सीरिया, सऊदी अरब और बहरीन स्थित बेस हैं।

ट्रंप को पछताना पड़ सकता है?

ट्रंप ने जो कार्रवाई की है, वह सिर्फ ईरान ही नहीं, पूरी दुनिया को अस्थिर कर सकती है। अमेरिका की ओर से इस हमले को "परमाणु खतरे को खत्म करने की कार्रवाई" कहा गया है। लेकिन क्या ट्रंप ये समझ पाए हैं कि अब युद्ध सिर्फ मिसाइलों का नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था, तेल आपूर्ति, समुद्री सुरक्षा और वैश्विक शांति का बन चुका है?

रूस और चीन पर ईरान की नजरें

ईरान अकेले नहीं है। वह रूस के समर्थन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। विदेश मंत्री अब्बास अरघाची ने पुतिन से मुलाकात की है और कहा जा रहा है कि पुतिन जल्द ही ईरान को हथियारों और रडार तकनीक की खेप देने वाले हैं। अगर रूस खुलकर साथ आ गया, तो यह युद्ध यूक्रेन के मैदान से खिंचकर फारस की खाड़ी तक फैल जाएगा।

न्यूक्लियर की उलटी गिनती?

अब सवाल सिर्फ युद्ध का नहीं है, सवाल है अस्तित्व का। ईरान के पास परमाणु कार्यक्रम के अवशेष बचे हैं। ट्रंप के हमले ने उन्हें खत्म कर दिया, ऐसा अमेरिका का दावा है। लेकिन क्या कोई गुप्त साइट अभी भी बची है? क्या ईरान जवाब में 'न्यूक्लियर कार्ड' खेलने की सोच सकता है? हालांकि फिलहाल ईरान ने कहा है कि जवाब "आनुपातिक" होगा, लेकिन रणनीति कब बदल जाए, यह कोई नहीं जानता।

इस बार टारगेट सिर्फ सैनिक नहीं, तेल टैंकर और दूतावास भी हो सकते हैं!

विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान इस बार सिर्फ सेना पर हमला नहीं करेगा। वह अमेरिकी दूतावास, खाड़ी के तेल टैंकर और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक जहाजों को भी टारगेट बना सकता है। यह एक साइबर और समुद्री युद्ध की दिशा ले सकता है, जहां पहचान भी मुश्किल हो जाए कि हमला किसने किया। हालांकि अमेरिका ने अपने सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखा है और मिडिल ईस्ट में अतिरिक्त विमानवाहक पोत भेज दिए हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या अमेरिका इतने फ्रंट पर लड़ाई झेल सकता है – यूक्रेन में रूस, साउथ चाइना सी में चीन और अब ईरान?

संघर्ष नहीं रुका तो क्या होगा?

अगर यह संघर्ष यहीं नहीं रुका, तो अगला कदम किसी भी देश के लिए घातक हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान अमेरिका के तीन बेस पर जवाबी हमला करता है, तो ट्रंप शायद एक और बड़ा हमला करने का आदेश दे सकते हैं – जो शायद सीरिया या खुद तेहरान तक पहुंचे। और उसके बाद...?ईरान के सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिका के भीषण हमले के बाद अब ईरान चुप बैठने को तैयार नहीं है। उसकी चेतावनी स्पष्ट है — "हम जवाब देंगे, और ऐसा देंगे कि अमेरिका को याद रहेगा।" अब पूरा विश्व, खासकर तेल सप्लाई पर निर्भर देश, सांस रोककर इस पलटवार का इंतजार कर रहे हैं। क्या यह जवाब 'तीन ठिकानों' तक सीमित रहेगा या फिर यह दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की तरफ ले जाएगा?

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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