इजराइल ने दबाया बटन, अब ईरान से बरसेगा 'परमाणु क़हर'! तीसरे विश्व युद्ध की उलटी गिनती शुरू

Israel strikes Iran nuclear sites: रान हमेशा यही कहता आया है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम शांति और ऊर्जा जरूरतों के लिए है। लेकिन अमेरिका, इजराइल और इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) जैसे संगठनों की रिपोर्टें कुछ और ही कह रही हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 13 Jun 2025 4:57 PM IST
इजराइल ने दबाया बटन, अब ईरान से बरसेगा परमाणु क़हर! तीसरे विश्व युद्ध की उलटी गिनती शुरू
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Israel strikes Iran nuclear sites: मध्य पूर्व की आग एक बार फिर दुनिया को अपनी लपटों में लेने को तैयार खड़ी है। शुक्रवार की सुबह जैसे ही इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला बोला, हर तरफ सन्नाटा छा गया। मिसाइलों की बारिश में ईरान के दो परमाणु वैज्ञानिक मारे गए और उनके साथ ही फिर से वही पुराना, खौफनाक सवाल ज़िंदा हो उठा क्या वाकई ईरान अब परमाणु बम बनाने के इतने करीब पहुंच चुका है कि वो किसी भी वक्त पूरी दुनिया को हिला सके? ईरान हमेशा यही कहता आया है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम शांति और ऊर्जा जरूरतों के लिए है। लेकिन अमेरिका, इजराइल और इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) जैसे संगठनों की रिपोर्टें कुछ और ही कह रही हैं। दावा किया जा रहा है कि ईरान के पास इस वक्त इतना समृद्ध यूरेनियम है कि वो चाहें तो महज कुछ हफ्तों में पहला परमाणु बम बना सकता है। 2015 में हुए न्यूक्लियर डील में ईरान ने परमाणु कार्यक्रम सीमित रखने का वादा किया था, लेकिन जब 2018 में अमेरिका ने खुद ही उस डील को तोड़ दिया, तो ईरान भी पीछे नहीं रहा। उसने हर बंधन तोड़ दिए। आज हालात ये हैं कि ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर 60% तक यूरेनियम समृद्ध हो चुका है। और अगर इसे 90% तक ले जाया जाए तो एक नहीं बल्कि छह बम बनाने लायक सामग्री तैयार हो सकती है।

नतांज — जहां से शुरू हुआ बम का सपना

ईरान के परमाणु कार्यक्रम का असली दिल नतांज है। ये वही जगह है जिसे शुक्रवार को इजराइल ने निशाना बनाया। नतांज का नाम सबसे पहले 2002 में सामने आया था, जब ईरान से भागे विपक्षी नेताओं ने इसका खुलासा किया था। ये इलाका ईरान की राजधानी तेहरान के दक्षिण में शिया पवित्र शहर कौम के पास स्थित है। तीन मंजिल गहरे ज़मीन के नीचे बना यह फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FEP) यूरेनियम संवर्धन की फैक्ट्री है, जहां करीब 16,000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें लगी हैं। इससे पहले 2021 में भी यहां एक विस्फोट और बिजली कटौती से भारी नुकसान हुआ था, जिसका आरोप इजराइल पर ही लगा था। अब ताजा हमले के बाद यह ठिकाना फिर चर्चा में है और दुनिया के सामने सबसे बड़ा सवाल खड़ा है — क्या बम बनाने की रेस में ईरान अब अंतिम मोड़ पर पहुंच चुका है?

फोर्डो — बमबारी से बचा रहने वाला ठिकाना

अगर नतांज खुला हुआ मैदान है तो फोर्डो इसका उल्टा है। ये जगह एक पहाड़ के अंदर छिपी हुई है और इसे बमबारी से नुकसान पहुंचाना आसान नहीं। 2009 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इसका भंडाफोड़ किया था कि ईरान यहां गुपचुप न्यूक्लियर प्रोग्राम चला रहा है। 2015 की डील में फोर्डो को निष्क्रिय करने का वादा किया गया था, लेकिन अब यहां फिर से 2,000 से ज्यादा सेंट्रीफ्यूज मशीनें सक्रिय हैं, जिनमें से 350 मशीनें 60% तक संवर्धन कर रही हैं। अगर इजराइल इसे निशाना बनाना चाहता है तो उसके लिए यह सबसे कठिन चुनौती होगी।

इस्फहान और खोंडाब — बम बनाने का अगला अध्याय

ईरान का दूसरा बड़ा न्यूक्लियर केंद्र इस्फहान है। यहां यूरेनियम को गैस में बदला जाता है ताकि उसे सेंट्रीफ्यूज में इस्तेमाल किया जा सके। यही नहीं, इस्फहान में वो तकनीक भी है जिससे यूरेनियम मेटल तैयार किया जा सकता है — और यही मेटल एक परमाणु बम के कोर के लिए सबसे जरूरी होता है।खोंडाब, जिसे पहले अराक कहा जाता था, एक हेवी वॉटर रिएक्टर का ठिकाना है। 2015 की डील के बाद इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन अब ईरान IAEA को साफ-साफ कह चुका है कि 2026 में इसे फिर से चालू करने का इरादा है। यहां से निकलने वाला प्लूटोनियम, परमाणु बम बनाने के लिए दूसरा खतरनाक रास्ता है।

बुशहर — एकमात्र चालू परमाणु प्लांट

ईरान का इकलौता ऑपरेटिंग न्यूक्लियर प्लांट बुशहर में है, जो खाड़ी के किनारे स्थित है। ये प्लांट रूस के फ्यूल पर चलता है और सुरक्षा कारणों से यूरेनियम खत्म होने पर उसका कचरा भी रूस ही वापस ले जाता है। हालांकि बुशहर को अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है, लेकिन मौजूदा तनाव में इसका निशाना बनना भी संभव है।

क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज पर है?

फिलहाल सवाल यही है — अगर इजराइल ईरान के इन ठिकानों पर हमले बढ़ाता है और जवाब में ईरान अपने परमाणु कार्ड खेलता है तो क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? तेल के दाम से लेकर वैश्विक अर्थव्यवस्था तक हर चीज पर इसका असर पड़ेगा। भारत के लिए चुनौती और बड़ी है क्योंकि उसके रिश्ते ईरान और इजराइल दोनों से गहरे हैं। आने वाले कुछ हफ्ते पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़े इम्तिहान का वक्त हो सकते हैं।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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