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दुनिया के सबसे खतरनाक तानाशाह पर आई शामत! किम जोंग के लिए 'काल' बनी ये महिला, कोर्ट में दी चुनौती
Kim Jong Un: यह मामला उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया पहुंची चोई मिन-कियॉन्ग ने दर्ज कराया है, जो कभी खुद इस तानाशाही शासन की पीड़िता रह चुकी हैं।
Kim Jong Un (photo credit: social media)
Kim Jong Un: उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के खिलाफ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाबदेही तय करने की कवायद शुरू हो गई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक उत्तर कोरियाई महिला किम के खिलाफ अपराधों को लेकर कानूनी कार्रवाई कर रही है। यह मामला उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया पहुंची चोई मिन-कियॉन्ग ने दर्ज कराया है, जो कभी खुद इस तानाशाही शासन की पीड़िता रह चुकी हैं।
कौन हैं चोई मिन-कियॉन्ग?
चोई वर्ष 1997 में उत्तर कोरिया से भागकर चीन चली गई थीं, लेकिन साल 2008 में उन्हें ज़बरदस्ती वापस उत्तर कोरिया भेज दिया गया। चोई का दावा है कि उत्तर कोरिया की हिरासत में उन्हें 5 महीने तक खतरनाक यातनाएं दी गईं जिसमें शारीरिक हिंसा, यौन उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार शामिल था। साल 2012 में वह फिर उत्तर कोरिया भागकर दक्षिण कोरिया पहुंचीं और वहीं बस गईं।
आखिर क्या है पूरा मामला?
डेटाबेस सेंटर फॉर नॉर्थ कोरियन ह्यूमन राइट्स (NKDB) ने चोई की तरफ से सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने का ऐलान किया है। यह मामला काफी बड़ा और ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह पहली बार है जब उत्तर कोरियाई मूल की किसी पीड़िता ने किम जोंग उन पर मानवता के खिलाफ किये अपराधों पर आवाज़ उठाई है।
चोई न सिर्फ किम जोंग उन के खिलाफ, बल्कि उनके सुरक्षा मंत्रालय से सम्बंधित 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के अधिकार क्षेत्र में शिकायत दर्ज करवाना चाहती हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि वह इस शासन के अत्याचारों को पूरी दुनिया के सामने लाना चाहती हैं ताकि पीड़ितों को इन्साफ मिल सके।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
NKDB की योजना है कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में भी ले जाया जाए। लंबे वक़्त से अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश उत्तर कोरिया पर मानवाधिकार उल्लंघनों और मिसाइल परीक्षणों को लेकर रोक लगा चुके हैं। अब यह मुकदमा उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और भी बढ़ा सकता है।
बता दे, चोई की यह कानूनी पहल केवल एक महिला की लड़ाई नहीं, बल्कि उन हजारों उत्तर कोरियाई नागरिकों की दबी हुई आवाज़ है जो कई सालों से तानाशाही शासन की यातनाएं झेल रहे हैं। अब देखना होगा कि यह मामला किस दिशा में बढ़ता है और क्या किम जोंग उन को कभी अंतरराष्ट्रीय न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सकेगा।
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